अपने अपने संस्कार – निभा राजीव “निर्वी”

आज बड़े दिनों के बाद निधि की बचपन की सहेली विनीता उससे मिलने आई थी। यूं तो दोनों एक ही शहर में रहते थे मगर कामकाजी होने के कारण व्यस्तता इतनी हो जाती थी कि मिलना कभी-कभार ही हो पाता था। निधि ने बड़े मन से विनीता के पसंद का बेसन का हलवा बनाया था … Read more

मर्यादा – निभा राजीव “निर्वी”

“तेरा दिमाग तो नहीं चल गया कहीं! क्या अनाप-शनाप बके जा रही है तू! तू इस घर की बहू है बहू! हमारा मान और सम्मान !हमने तुझे थोड़ी छूट क्या दे दी तू तो सर पर चढ़कर बैठ गई। अरे मेरे बेटे को तो खा ही गई, अब क्या घर की मान मर्यादा और इज्जत … Read more

हारा हुआ जुआरी – निभा राजीव “निर्वी”

रंजीत बिस्तर पर बैठा गोद में लैपटॉप लिए कुछ काम कर रहा था। वहीं से उसने अनन्या को आवाज लगाकर एक प्याली चाय लाने को कहा। अनन्या ने फटाफट चाय बनाई और चाय लेकर उसके पास पहुंच गई। उसने चाय की प्याली वहीं सिरहाने वाली मेज के पास रख दी और वापस रसोई तक पहुंची … Read more

error: Content is Copyright protected !!