किस्मत – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

हैलो मैं मोहन कुमार बोल रहा हूँ क्या श्यामा चरण जी से बात हो सकती है। दूल्हे के पिता का नाम सुनते ही दुल्हन के मामा श्यामाचरण जी फोन की ओर लपके हां हां समधी जी बोलिये न मैं… उमा का मां ही बोल रहा हूँ। वो क्या है न समधी जी… कैसे बताऊं मेरा … Read more

आत्मसम्मान – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

देख बहु हमारा इंतजार हमारी तपस्या रंग लाई और मेरा बेटा वापिस आ गया। अब तू सब कुछ भूलकर उसे माफ कर दे बेटा, कल्पना जी अपनी बहू सिमी से बोली।  हां सिमी बेटा जिंदगी में खुशियां बार बार दस्तक नही देती, अब इनसे मुंह न मोड़, देख बेटा हम दोनो अब बूढ़े हो चुके … Read more

सम्मान बुजुर्गों का – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

आज सुबह का माहौल घर में बेहद व्यस्त और भारी था। सीमा सुबह तड़के ही उठ गई थी। रसोई में हलचल शुरू हो गई थी। घर में ससुर जी का वार्षिक श्राद्ध था, और सीमा इसे बड़ी धूमधाम से मनाना चाहती थी। उन्होंने अपने पति मोहित से कहा था कि वह इस बार श्राद्ध को … Read more

पछतावा – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

सुवर्णा का मन सदियों से ठहरा हुआ प्रतीत हो रहा था, मानो उसकी भावनाएँ कहीं जड़ हो गई हों। जब वह सामने खड़ा था, उसकी आँखों में पछतावे और शर्म का भाव था, लेकिन वह वह भावनाओं को फिर से सहलाना नहीं चाहती थी। सुवर्णा और उसके पति के बीच का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता … Read more

मां की नसीहत – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

ममता जी लाइट बन्द कर सोने ही जा रही थी कि डोरबेल की आवाज सुनकर ठिठक गयी। रात के 11 बजने वाले हैं इस समय कौन…हो…. सकता है। दरवाजा खोला तो सामने रुचि को देखकर हैरान रह गयी। क्या बात है रुचि इस तरह अचानक… और रौनक जी कंहा है मेरा मतलब तुम उनके साथ … Read more

गला काटना – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

सरिता बहु यदि तुम्हे इस घर में हिस्सा चाहिए तो जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करो….. वरना छोटे को इसका आधा हिस्सा देकर तुम गांव के घर मे अपना हिस्सा ले लो। लेकिन याद रखो मैं तुम्हे कोई पैसा नही दे पाऊंगा यदि गांव के घर मे हिस्सा चाहिए तो वंही चलकर रहना पड़ेगा … Read more

गला काटना – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

सरिता बहु यदि तुम्हे इस घर में हिस्सा चाहिए तो जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करो….. वरना छोटे को इसका आधा हिस्सा देकर तुम गांव के घर मे अपना हिस्सा ले लो। लेकिन याद रखो मैं तुम्हे कोई पैसा नही दे पाऊंगा यदि गांव के घर मे हिस्सा चाहिए तो वंही चलकर रहना पड़ेगा … Read more

सन्तुष्ट- मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

प्रतीक मैं नौकरी करना चाहती हूं… थाली में गर्म रोटियां रखती हुई नेहा बोली। नौकरी ऐसे अचानक, पर क्यों मैंने या मम्मी ने कभी किसी चीज के लिए रोका है तुम्हे। वो बात नही है प्रतीक, मैं अब घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर अपनी एक पहचान बनाना चाहती हूं सुमि भी अब तीन साल … Read more

सन्तुष्ट-मोनिका रघुवंशी Moral stories in hindi

प्रतीक मैं नौकरी करना चाहती हूं… थाली में गर्म रोटियां रखती हुई नेहा बोली। नौकरी ऐसे अचानक, पर क्यों मैंने या मम्मी ने कभी किसी चीज के लिए रोका है तुम्हे। वो बात नही है प्रतीक, मैं अब घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर अपनी एक पहचान बनाना चाहती हूं सुमि भी अब तीन साल … Read more

सन्तुष्ट – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

प्रतीक मैं नौकरी करना चाहती हूं… थाली में गर्म रोटियां रखती हुई नेहा बोली। नौकरी ऐसे अचानक, पर क्यों मैंने या मम्मी ने कभी किसी चीज के लिए रोका है तुम्हे। वो बात नही है प्रतीक, मैं अब घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर अपनी एक पहचान बनाना चाहती हूं सुमि भी अब तीन साल … Read more

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