सम्मान का स्वाद – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

काँधे पर झुकी उम्र, आँखों पर मोटे शीशों वाला चश्मा, और उँगलियों में अब भी वर्षों पुरानी सुई की पकड़—ये थे विष्णु प्रसाद। दिल्ली की एक पुरानी गली के कोने पर उनका छोटा-सा सिलाई ठेला था, जो वर्षों पहले एक सुनहरे सपने की तरह शुरू हुआ था। अब वहीं बैठकर वे फटी जेबें टाँकते, टूटे … Read more

स्नेह का बन्धन – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

गुरुग्राम की ऊँची इमारतों के बीच “गैलेक्सी हाईट्स” नाम की एक सोसाइटी थी। ऊपरी मंज़िल पर रहने वाली अन्विता मेहता की ज़िंदगी चमचमाती लाइटों जैसी थी—शानदार, तेज़ और ख़ूबसूरत। उसके पिता रजत मेहता बड़े उद्योगपति थे और माँ संध्या मेहता समाजसेवा से जुड़ी थीं। इसी सोसाइटी की सबसे निचली मंज़िल पर कमला देवी अपने परिवार … Read more

खिचड़ी का मेलजोल – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

बैंड-बाजे के शोर में सुमिता जब ससुराल पहुँची, तो दरवाज़े पर उसकी अगवानी के लिए पूरा परिवार खड़ा था। आरती का थाल, फूलों की वर्षा, ढोल-नगाड़े… और सासू माँ का भावुक बयान— “अब ये घर तेरा ही है, बेटी!” लेकिन सुमिता को जल्दी ही समझ आ गया कि ‘तेरा ही है’ का असली मतलब यह … Read more

मेरी पहचान – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर सुश्री राधिका श्रीवास्तव ने दो सौ और पाँच सौ मीटर की रेस जीतकर देश में अपना परचम लहराया है।” अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर रखी गई प्रतियोगिता में श्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के रूप में राधिका को सम्मानित किया जा रहा था। “राधिका ने अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के मौके … Read more

विरासत का फैसला – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

शर्मा परिवार का गाँव एक छोटा लेकिन संपन्न गाँव था। इस गाँव में स्थित विशाल हवेली में दादाजी रामलाल शर्मा अपने चार बेटों और उनके परिवारों के साथ रहते थे। दादाजी ने अपने जीवनभर की मेहनत से एक विशाल संपत्ति अर्जित की थी। उनके निधन के बाद, इस संपत्ति के बंटवारे को लेकर परिवार में … Read more

जीवन का सवेरा (भाग -17 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“ये क्या है अंकल” .. आरुणि आश्चर्य से पूछती है।  रोहित के पापा, आरुणि को संजीदगी से देखते हुए कहते हैं, “तुम खुद ही पढ़ो बेटा। अगर तुम्हारी हाँ होगी तभी बात आगे बढ़ेगी।” आरुणि के हाथों में पेपर्स होते हैं, जिनमें “जीवन का सवेरा” संस्था को सहारा देने और विस्तार करने की योजना विस्तार … Read more

मनमुटाव – आरती झा आद्या  : Moral Stories in Hindi

शांतिनगर कॉलोनी में, एक खूबसूरत सुबह के साथ हरियाली भरी थी। यहाँ रमेश और सुरेश नाम के दो पड़ोसी खुशहाली और सद्भाव के साथ रहते थे। उनके घर एक-दूसरे के बगीचे के साथ जुड़े थे और और उनके बीच एक छोटी सी बाड़ थी। उनकी दोस्ती का वातावरण पूरे कॉलोनी में प्रशंसित था। लेकिन एक … Read more

जीवन का सवेरा (भाग -16 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

इस बीच रोहित की और रोहित की दादी की आरुणि और सबसे बातें होती रहती थी।  कार्य के कार्यान्वयन का समय आते ही सबसे पहले सब पचमढ़ी जाने और आरुणि से मिलने का विचार बनाते हैं… जिसकी सूचना आरुणि को दादी देती हैं और सबको मुंबई लेकर आने के बाद ही सरप्राइज देने की बात … Read more

जीवन का सवेरा (भाग -15 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

रोहित ने अपने पापा से मन की बात साझा करते हुए कहा, “मैं मुंबई में ‘जीवन का सवेरा’ शुरू करना चाहता हूँ। ये भी अभी आरुणि से डिस्कस नहीं किया है मैंने।” रोहित के पापा इस विचार को सुनकर गहराई से सोचने लगे। तभी गोपी चाचा, जो पास ही खड़े थे, उत्साहित होकर बोले, “ये … Read more

जीवन का सवेरा (भाग -14 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

रोहित ने अपने पापा से मन की बात साझा करते हुए कहा, “मैं मुंबई में ‘जीवन का सवेरा’ शुरू करना चाहता हूँ। ये भी अभी आरुणि से डिस्कस नहीं किया है मैंने।” रोहित के पापा इस विचार को सुनकर गहराई से सोचने लगे। तभी गोपी चाचा, जो पास ही खड़े थे, उत्साहित होकर बोले, “ये … Read more

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