असली ट्रॉफी!! – लतिका श्रीवास्तव  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : विनी प्रथम पुरस्कार की ट्रॉफी ले रही थी पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था विनी के माता पिता को भी मंच पर आमंत्रित किया गया था फूलों के गुलदस्ते भेंट किए गए फोटोग्राफी भी हुई….गणेशोत्सव के आयोजन हो रहे थे रोज एक प्रतियोगिता होती थी आज समापन समारोह में सबसे ज्यादा पुरस्कार जीतने वालों को ट्रॉफी प्रदाय की जा रही थी जूनियर बच्चों की विभिन्न प्रतियोगिताओं में विनी ने सर्वाधिक पुरस्कार जीते थे इसीलिए आज वह विजेता घोषित की गई थी सर्वत्र उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा हो रही थी…..

बस अब और नहीं देखा जायेगा मुझसे चलो जी यहां से एक मिनट भी यहां और बैठी तो मेरी लड़ाई हो जायेगी इन आयोजको से …..सोमा अक्रोषित सी अपने पति आदित्य की बांह पकड़ कर बोल उठी और अपनी सीट से खड़ी हो गई
अरे ये क्या कर रही हो इस तरह कार्यक्रम के बीच से उठकर जाना क्या शोभा देता है हमें..! विनी के माता पिता रिया जी और सुबोध जी हमारे खास परिचितों में से हैं क्या सोचेंगे वे!!उन्हें बुरा लगेगा आखिर एक ही ऑफिस में एक ही कॉलोनी में हम हैं ….आदित्य ने सोमा का हाथ पकड़ सीट पर बिठाते हुए समझाना चाहा लेकिन सोमा आदित्य का हाथ झटक कर अपनी बेटी टीना के साथ तेजी से उठ कर बाहर चली गई थी।
मम्मा आप मुझे क्यों ले आईं मुझे वही बैठना था…टीना ने दुखी होते हुए कहा
हां हां ताली बजाने में तुझे भी ट्रॉफी मिल जाती…. है ना!! वहीं बैठना था!!क्यों बैठना था वहां अपनी बेइज्जती करवाने के लिए!! नहीं ….तुम्हारी तो कोई इज्जत है नहीं हर वर्ष तुम्हारा यही हाल रहता है तुम्हारी तो आदत पड़ गई है ताली बजाने की पर मेरी नही पड़ी समझी तुम!!
अरे मम्मा आप क्यों गुस्सा हो रही हैं चलो ना अंदर बैठते हैं विनी कित्ती सुंदर दिख रही थी स्टेज पर मुझे देखना है…. टीना ने फिर से रूआंसा आग्रह किया था।
कान खोल कर सुन लो टीना मुझे अपनी बेइज्जती बिलकुल बर्दाश्त नहीं है मेरी अपनी इज्जत है वो विनी की मम्मी कैसे हंस हंस कर हाथ हिला हिला कर फोटो खिंचवा रही थी मंच पर …जैसे कहीं की महारानी बन गई हो!!तुमने एक बार फिर से मेरी नाक कटवा दी टीना ..!पता नहीं सारी सुविधाएं देने के बावजूद भी तुम पीछे क्यों रह जाती हो ट्रॉफी हासिल क्यों नही कर पाती हो और वो विनी की बच्ची हर बार तुमसे बाजी मार ले जाती है..!मैं यहां एक पल भी नहीं रुक सकती चलो हम ऑटो से घर चलेंगे तुम्हारे पापा को विनी के लिए ताली बजाने और बधाई देने से जब फुर्सत मिल जाएगी तब कार से आ जायेंगे कहते हुए उसने तुरंत एक ई रिक्शा रुकवाया और टीना को पकड़ कर उसमे बैठ गई।

घर पहुंचते ही पड़ोसन रीना गेट पर ही मिल गई अरे दीदी क्या हुआ इस बार पक्का टीना को ही ट्रॉफी मिली होगी ना!!हंसती हुई रीना को देख सोमा का जी और जल उठा था
तुम्हें इससे क्या!! अपना काम देखो तुम्हारी बेटी प्रीति कितनी ट्राफियां जीत लाती है इस पर ध्यान दो… तुम्हें हमारे घर की तांक झांक करने के अलावा और भी कोई काम रहता है कभी!!अरे ट्रॉफी मिली होती तो दिख जाती ना टीना के हाथ में इतनी समझ नहीं है तुम्हें या जानबूझ कर मुझे जलाने के लिए ऐसी बात पूछती हो…!जले भुने वाक्यों से पड़ोसन को आहत मर्माहत करते हुए सोमा ने अपने मन की भड़ास उसी पर निकाल दी।
सोमा के दिल के गुबार को झेलती रीना तुरंत ही यह बात अच्छी तरह से समझ गई थी कि इस बार की ट्रॉफी भी जरूर विनी को ही मिली है ।
दीदी आप दिल छोटा क्यों करती हैं देखना अगली बार जरूर टीना ट्रॉफी जीत कर लाएगी वो विनी के पापा का बड़ा प्रभाव है ना इसीलिए उसको ही ट्रॉफी मिल जाती है हर बार …अरे टीना बेटा तुम दिल छोटा ना करो तुम विनी से ज्यादा होशियार हो पर गणेशोत्सव का सबसे ज्यादा चंदा विनी के घर से ही मिलता है ना इसीलिए आयोजक पक्षपात कर देते हैं रीना की जले पर नमक जैसी बाते सुनकर सोमा बेतरह कुढ़ रही थी।

नहीं रीना आंटी विनी मेरी पक्की सहेली है उसकी मम्मी हमेशा मेरी तारीफ करती हैं वे दोनों बहुत अच्छी हैं चंदा तो मेरे पापा मम्मी भी बहुत देते हैं है ना मम्मी आप बताओ ना आंटी को इस बार आपने सबसे ज्यादा चंदा दिया था इसी बात पर पापा से आपकी बहस भी हो गई थी मासूम टीना अपनी सहेली विनी की बुराई नहीं सहन कर पा रही थी।

टीना चलो तुम घर के अंदर चलो ज्यादा हिसाब किताब मत करो किसने कितना चंदा दिया इस पर दिमाग खर्च करने के बजाय किसने ट्रॉफी जीती किसने नहीं इस पर सोचो तो तुम्हारी मम्मी का दिमाग इतना खराब ना हो । मेरे सामने विनी और उसकी मम्मी का इतना पक्ष लेने की जरूरत नहीं है समझीं कहते हुए सोमा ने टीना को घर के अंदर करते हुए रीना के मुंह पर ही दरवाजा जोर से बंद कर दिया ।

धम से बिस्तर पर गिर पड़ी थी सोमा… आंखें बंद करते ही पंडाल में तालियों की गड़गड़ाहट की गूंज उसके कानों को बहरा करने लगी थीं और हंसती हुई विनी और उसके साथ खड़ी विजेता भाव लिए रिया ने उसकी नींद ही उड़ा दी ।
असहनीय मानसिक जलन का विपरीत प्रभाव तत्काल शरीर पर होता है उसका सर दर्द के मारे फटा जा रहा था ।
विनी और उसके माता पिता के बारे में नकारात्मक विचारों का बेधड़क प्रवेश उसके दिल दिमाग को कुंठित किए दे रहा था ।आयोजकों के प्रति उसका क्रोध चरम पर था अब से एक फूटी कौड़ी चंदा के नाम पर नहीं दूंगी देख लेना क्या फायदा हुआ इतनी मोटी रकम चंदा में देने का जब मंच पर स्वागत मेरा नहीं किसी और का हो गया!!
जोर जोर से डोर बेल बज रही थी सोमा जो अपने ही खयालों में बेहोश सी थी अचानक उठ बैठी थके हुए कदमों से दरवाजा खोला तो आदित्य थे।
अरे सोमा क्या हुआ तुम्हें तबियत ठीक नहीं है क्या!!आज धूप की तपिश भी बहुत थी फिर तुम ऑटो से आई होगी ….चिंतातुर हो आदित्य ने सोमा का हाथ पकड़ते हुए कहा।
तुम्हें तो हरारत सी भी है क्या हो जाता है सोमा तुम्हें!!
आदित्य सब कुछ समझ कर भी पूछ रहे थे और सोमा की आंखों के सामने फिर से ट्रॉफी लेती हुई विनी और हंसती हुई उसकी मम्मी की तस्वीर कौध गई थी।
आदित्य अगली बार हम एक भी पैसा चंदा नही देंगे गणेशोत्सव के किसी भी आयोजन में भाग नहीं लेंगे मैने और मेरी बेटी ने इतनी मेहनत की थी इस बार फिर भी ट्रॉफी मिली उसी विनी को वो रिया मंच पर कितना इतरा रही थी देखा आपने अब देखना कल सबको बुला बुला कर ट्रॉफी दिखाएगी
और मुझे जलाएगी।
सोमा तुम व्यर्थ ही ऐसा सोच कर अपना जी जला रही हो और तबियत खराब कर रही हो विनी वास्तव में उस ट्रॉफी की हकदार थी आयोजकों ने किसी के प्रभाव या दबाव में आकर उसे ट्रॉफी नहीं दी है सभी लोग उसकी तारीफ कर रहे थे तुम्हें भी अपनी यह संकुचित मनोवृत्ति त्याग कर आगे बढ़कर विनी और उसकी मम्मी को बधाई देनी चाहिए थी देखो अपनी बेटी टीना का चेहरा भी तुम्हारे कारण कैसा बुझा बुझा सा हो गया है ….आदित्य ने समझाना चाहा था।
आपसे तो बात करना ही बेकार है बस हमेशा दूसरों की तारीफ ही दिखती है और मेरी बुराई पता नहीं आपको कोई फर्क क्यों नहीं पड़ता किसी बात का आपकी इच्छा नहीं होती मंच पर सम्मानित होने की ये हर बार उन्हीं उन्हीं लोगों को महिमामंडित क्यों किया जाता है ।टीना मेरे कारण नहीं ट्रॉफी नहीं मिल पाने के कारण बुझी है आखिर वह भी बच्ची है बुरा तो लगता है उसे भी मुझे क्या पड़ी है आगे बढ़कर उन्हें बधाई देने की मुझसे इस तरह का दिखावा नहीं हो पाता मन में कुछ रहे कर रहे और कुछ!!सोमा के दिल की जलन शांत ही नही हो पा रही थी।
बच्ची है वह यही समझा रहा था मैं तुम्हे सोमा तुम इस तरह रिएक्ट करोगी तो उसका बालमन क्या सीखेगा !!जो योग्य है पुरस्कार प्राप्त कर रहा है दिल खोल के उसकी तारीफ करना सिखाओ उसे उदार विचारों का पोषक होना सिखाओ उसे इस तरह के नकारात्मक विचार जलन कुढन पतन की ओर ले जाते है….आदित्य सच में दुखी हो गया था।

विचारों की संकीर्णता हमेशा व्यक्तित्व को सिकोड़ देती है विकास को अवरूद्ध कर देती है और जीवन की दिशा बिगाड़ देती है। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से ही सही विकास संभव है

तभी फिर से डोर बेल बज उठी
” आप ही देखिए जाकर लॉन्ड्री वाला होगा मैं चाय बनाती हूं सिर दर्द से फटा जा रहा है कहती सोमा अपने पैरो को घसीटती किचन में चली गई थी।
अरे सोमा जल्दी आओ देखो तो कौन आया है बैठक से आती कई परिचित आवाजों के बीच आदित्य की आवाज सुनकर सोमा खड़ी सी रह गई किचन में।यह तो विनी और रिया की आवाजे हैं…हद है इसको चैन नहीं मिला मेरे घर तक आ गई मुझे जलाने कुढ़ाने ….!हां जब तक मुझे ट्रॉफी दिखा दिखा कर इतरा नहीं लेगी इसको मजा ही नही आयेगा…!!
तब तक आदित्य किचन में आ गया था” सोमा सभी के लिए चाय बना लेना विनी और उसके मम्मी पापा खास तुमसे ही मिलने आए हैं वे लोग वहां पंडाल में भी तुम्हें और टीना को पूछ रहे थे ढूंढ रहे थे !”
देखा आदित्य मुझे जलाने में चिढ़ाने में विनी और रिया को कितना आनंद मिल रहा है मुझे नही मिलना इन लोगों से चाय वाय गई भाड़ में….सोमा के क्षोभ का अंत नहीं था।
तभी विनी उसे ढूंढती किचन में आ गई और एकदम लिपट ही गई ..”आंटी आप कहां हो मैं तो आपसे ही मिलने आई हूं वहां पर भी मैं आप दोनों को ढूंढ रही थी क्यों टीना तुम जल्दी क्यों आ गई थी तुम्हारे बिना मुझे वहां बिलकुल मजा नही आ रहा था..विनी की निर्दोष स्पष्टता सोमा को थोडा सा शांत कर गई थी।
हां सोमा जी विनी एकदम सत्य कह रही है मैं तो मंच से भी आपको ही हाथ हिला रही थी मैं जानती हूं आप लोग ही हमारे सच्चे हितैषी हैं बाकी तो सब बधाई देने का दिखावा कर रहे थे जबकि दिल ही दिल में जल कुढ़ रहे थे आप हमेशा विनी की फेवरेट रही हैं यह मुझसे ज्यादा आपको मानती है टीना की संगत के कारण ही तो यह अव्वल आ जाती है लेकिन टीना को इसके अव्वल आने से कभी भी बालसुलभ ईर्ष्या भी नही होती देखिए दोनों को कितनी खुश हो रही हैं आपस में… टीना को तो ज्यादा ही खुशी है ।
ये ट्रॉफी ये पुरस्कार तो आते जाते रहेंगे सोमा लेकिन हमारे बच्चों में और हमारे बीच हमेशा सच्चा और अगाध स्नेह बना रहेगा यही हमारी जिंदगी की असली ट्रॉफी है और रहेगी… रिया का भावुक स्वर सोमा को शीतलता प्रदान कर गया था।

“देखा जाए तो टीना बेटी ही इस ट्रॉफी की असली हकदार है अगर यह नहीं होती तो विनी के हाथ में यह ट्रॉफी नहीं होती सुबोध ने आगे बढ़कर वह ट्रॉफी टीना के हाथो में थमा कर सोमा का धन्यवाद दिया “हां सोमा जी आप के परिवार से मेरी बेटी बहुत सीख रही है हम लोग आपका ही आभार व्यक्त करने आए थे अच्छा हम चलते हैं काफी देर हो चुकी है आप लोग भी आराम करिए हाथ जोड़ते सुबोध कह रहे थे ।
अरे नहीं इतनी जल्दी कैसे अभी बैठिए आज तो सब इक्कठे डिनर करेंगे आखिर विनी की पार्टी तो बनती है अचानक जैसे सोमा सोते से जागी
हां हां पापा चलो ना जो न्यू रेस्टोरेंट खुला है आज वहीं चलते हैं बड़ा मजा आयेगा क्यों विनी तुझे वहां का बर्गर बहुत्वपसंद आयेगा टीना ताली बजाते कह रही थी।
नहीं मुझे नही जाना वहां मुंह लटका कर विनी ने कहा।
अरे क्यों!!
सब विनी की तरफ देखने लगे।
मुझे आंटी के हाथ की चटपटी मैगी खानी है अगर आंटी की तबियत ठीक हो तो…सकुचाते हुए विनी धीरे से कह रही थी
सोमा को ऐसा लगा जैसे टीना ही खड़ी है।
सोमा का दिल भर आया विनी का निश्छल प्यार देख कर । अचानक उसने दोनों हाथो से तालियां बजाते हुए आनंदातिरेक से कहा हां हां बेटा आज मैं बहुत खुश हूं मेरी काबिल बेटी विनी ट्रॉफी जीत कर आई है आज तो जो तू कहेगी वही बनेगा मैं अभी फटाफट तेरे लिए वही वाली मैगी बनाती हूं सोमा ने दिल से खुश होते हुए कहा और तभी अचानक उसका सिरदर्द उसका आक्रोश जलन कुढ़न सारा विषाद मानो छू मंतर ही हो गया था।
सोमा जी केवल विनी के लिए नहीं हम सबके लिए भी आपको आज मैगी बनानी पड़ेगी हमें भी आपके हाथ की मैगी खानी है आज…! क्यों बंधुवर आदित्य आज का यही डिनर कैसा रहेगा सुबोध ने बेतकल्लुफी से सोफे पर बैठते हुए कहा तो आदित्य के साथ सभी चहक उठे हां हां बहुत बढ़िया रहेगा ।
दिल से दिल जुड़ गए थे ….हर्ष और निश्छल स्नेह की लहर प्रवाहित हो गई थी जो अपने प्रवाह में सोमा के दिल की सारी जलन बहा ले गई थी …और थोड़ी ही देर में सोमा के साथ रिया ने डाइनिंग टेबल पर स्वादिष्ट चटपटी मैगी का डोंगा लाकर रख दिया था जिसमे से सोमा के दिल की सच्ची खुशी की खुशबू आ रही थीl
सोमा को भी असली ट्रॉफी आज मिल गई थी।
#जलन
लतिका श्रीवास्तव

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