अपना घर छोड़ कर क्यों जाना…(भाग 1 ) – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अचानक किसी ने जोर से दरवाज़ा खटखटाया…इस वक़्त कौन आया होगा सोचती हुई काव्या दरवाज़े की ओर बढ़ ही रही थी की देखा सासु माँ दरवाज़ा खोल चुकी थी और किसी से बात करने में व्यस्त थी..

“ कौन है माँ जी ….?” काव्या ने पूछा 

“ वो मेरी एक सहेली है…. ।” कहकर रम्या जी बहू के थोड़ा पास आई और बोली,“बहू याद है तुम्हें कजरी … ये वही है… इसके नालायक बेटे बहू ने इसे घर से इतनी रात को निकाल दिया…. तुम तो जानती हो मेरी आदत है सबकी मदद करना तो ये बेचारी मेरे पास मदद माँगने आ गई… कह रही है कल सुबह किसी वृद्धा आश्रम चली जाऊँगी…तू बोल आज रात इसे हम पनाह दे दे?” 

“ माँ कजरी चाची को सब अच्छी तरह जानते हैं इतना मिलनसार स्वभाव इनका फिर भी बच्चों ने परवाह तक ना की… खैर अभी इन्हें अंदर तो लेकर आइए ।” कह काव्या कजरी के लिए पानी लाने रसोई में गई और रम्या जी कजरी को बुला कर सोफे पर बिठा दी

“ क्या हुआ कजरी चाची बच्चों से कुछ कहा सुनी हो गई क्या?” काव्या पानी का गिलास थमाते हुए बोली 

“ क्या कहूँ काव्या बेटा…. काश मेरी बहू भी तेरी जैसी होती तो मुझे आज ये दिन ना देखना पड़ता…. अरे बेटे के लिए क्या नहीं किया मैंने… जो दुकान उसके पिता ने खड़ी की उसे सँभालने को दे दी… जब भी मैं कभी उधर जाती तो मेरी बहू धमक पड़ती… बेटा पैसे जैसे तैसे निकाल कर रख लेता… मैं उसे समझाती सब हिसाब सही से लिख कर रखा कर… जब तू सौदा लाने जाता है तो तेरे पीछे से हम दुकान सँभाल सकते पर तू जब बाहर जाता दुकान का शटर गिरा देख ग्राहक आकर लौट जाते इससे अच्छा है हम सौदा दे दिया करेंगे…

दो चार पैसे आएँगे तो सही…मेरा बेटा मान गया था पर आज एक गरीब दुखियारी औरत गोद में बच्चा लेकर आई बेटा बाहर जाने की तैयारी कर रहा था और मैं गल्ले के पास बैठी थी… बहू भी उधर ही थी… उस ग़रीब औरत के पास रूपये ना थे मैं एक ब्रेड का पैकेट देते हुए बोली ले बेटे को खिला दें…जब पैसे होंगे दे देना….वो आश्चर्यचकित रह गई और बोली आज आप डाँट कर भगाएगी नहीं? मुझे बहुत आश्चर्य हुआ ये क्या बोल रही तब पता चला बेटा बहू ऐसे किसी को कुछ ना देते…

मैंने कहा अरे कभी कोई मजबूरी हो तो दे दिया करो…दोनों कहने लगे.. हाँ हाँ आपको तो दान धर्म का बहुत शौक़ चराया है… यहाँ बैठे बैठे खाने को मिलता रहता तो तकलीफ़ कैसे पता चलेगा…. हमें ये दीन पुण्य का काम नहीं करना… आप तो अब दुकान पर मत ही आना..मुझे वहाँ से उठा दुकान के पीछे घर की ओर धकेल दिया ।

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अपना घर छोड़ कर क्यों जाना…(भाग 2 )

अपना घर छोड़ कर क्यों जाना…(भाग 2) – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश

 

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