अनपढ़ माँ – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मोर अपनी खूबसूरती देख कितना इतराता है, पर जैसे हीं अपने पैरों पर नजर पड़ती है उसकी सारी खुशी काफूर हो जाती है.. ऐसे हीं होते हैं #मतलबी रिश्ते # जो रिश्तों की खूबसूरती पर अपने  मतलब  से प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं ..कृष्णा  तुझे पढ़ा लिखा कर मैने अपना खुद से किया वो वादा पूरा किया जो मैने गांव छोड़ते वक्त किया था..

और तुमने भी मुझसे वादा किया था मां मैं तुम्हे पढ़ना सिखाऊंगा.. तुम्हारे निश्चल और मासूम बचपन की उस बचपने को  मैं सच समझ बैठी.बचपन  में तुम्हारी कॉपी पर जब माता पिता का हस्ताक्षर करना होता तो मैं परेशान हो जाती क्योंकि मैं अनपढ़ थी और तुम्हारे पिता भी.मैं ये उम्मीद पाल बैठी थी कि तुम मुझे पढ़ना सिखाओगे.. खैर मैंने लिखना और पढ़ना सीख लिया है..

ये चिट्ठी मैने खुद से लिखा है… मैं दुःखी होकर ये कह रही हूं रिश्ते मतलब से बनते हैं शायद!! पर भगवान का बनाया मां बेटा का रिश्ता इतना मतलबी होगा ये कभी सोचा नहीं था.. मैं कुछ हीं दिनों की मेहमान हूं .. मेरे दोनो फेफड़े खराब हो चुके हैं.. जहां भी रहो खुश रहो.. ये चिट्ठी तुम्हे मेरे मरने के बाद नमिता दीदी जिसने मुझ अनपढ़ को पढ़ना सिखाया, से मिलेगी..

     कमली अतीत की स्मृतियों में खो गई…

                  अनपढ़  कमली पांच साल के कृष्णा को लेकर गांव से शहर आ गई.. शहर आने के पहले कितना लड़ाई झगडे हुए, गांव की उसके हिस्से में आई चार कट्ठा जमीन से भी बेदखल होने की धमकी सास ससुर ने दी.. पर दृढ़ निश्चय की कमली अपने नशेड़ी पति को साथ लेकर शहर आ गई.. कृष्णा गांव में दिन भर कंचे खेलता और स्कूल की छुट्टी के समय घर वापस आ जाता.. पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगाता..

             कृष्णा के पापा दीनू ताड़ी गांजा जो मिल जाता उसी में मगन रहता.. कमली को गांव में कृष्णा का भविष्य अंधकारमय दिख रहा था..कमली को अपने अनपढ़ होने का बहुत दुःख था इसलिए वो शहर आई ताकि कृष्णा पढ़ सके..

                       शहर में शुरू में बहुत परेशानी हुई पर हिम्मत और मेहनत के बल पर कमली टिक गई.. एक स्कूल में साफ सफाई का काम मिल गया.. उसी स्कूल में कृष्णा भी पढ़ने लगा.. दीनू दिन रात घर में पड़ा रहता.. कमली दीनू को इसलिए साथ लेकर आई थी की जवान औरत  के लिए  पति नाम के सुरक्षा  कवच का होना  अनजान शहर में जरूरी था…कमली दो तीन घरों में खाना बनाती और बर्तन साफ करती.. कृष्णा के लिए ट्यूशन भी रख दिया..

                वक्त अपनी गति से आगे बढ़ता रहा.. कृष्णा दसवीं कक्षा में चला गया था.. स्कूल ड्रेस बैग चमचमाता जूता पहने जब कृष्णा निकलता तो कहीं से नहीं लगता कमली का बेटा है.

                     दीनू एक दिन मुफ्त की शराब पीने के लालच में जहरीली शराब पीकर मर गया..

                          कमली जी तोड़ मेहनत कर रही थी कृष्णा के भविष्य के लिए..

          अपनी परवाह किए बिना.. दमा और गठिया से परेशान रहती पर कृष्णा को कोई कमी नही होने देती..

             कृष्णा आईटीआई कर अप्रेंटिस की नौकरी के लिए चुन लिया गया.. ज्वाइनिंग में थोड़ा समय बचा हुआ था.. कृष्णा की पढ़ाई और भागदौड़ को विराम लग गया था.. कमली जब भी राशन लेने जाती अंगूठा लगाती , उसे भी इच्छा होती काश वो लिख पाती.. कृष्णा से दबे शब्दों में कई बार कहा बेटा मैं भी पढ़ना चाहती हूं कम से कम अपना नाम लिख सकूं.. कृष्णा टाल देता..

         अब तो तुम ब्यस्त हो जाओगे बेटा मुझे अपना नाम लिखना सीखा दो.. कृष्णा बुरी तरह से डांटते हुए कहा इस उम्र में ये कौन सा शौक तुम्हे हो रहा है… इजलास पर बैठना है क्या.. ब्यंग से मुस्कुरा कर बाहर निकल गया.. स्वाभिमानी कमली रो पड़ी.. ओह जिस बेटे के लिए गांव छोड़ शहर आई.. एक एक पैसा जोड़कर यहां तक पहुंचाया.. आज तक नई साड़ी नही पहनी.. त्योहार में साड़ी के जगह पैसे लिए ताकि बेटे के काम आ जाए.. मालकिन की उतरन पहन जाड़ा गर्मी बरसात सब काट लिया.. अपने बासी खाकर तुझे गरम गरम खाना अपने हाथों से खिलाया..

                   इससे बड़ा #मतलबी रिश्ता #और क्या होगा..

             कमली जिस स्कूल में साफ सफाई करती थी उसी स्कूल की शिक्षिका के यहां इस शर्त पर काम करना शुरू किया की पगार की जगह मुझे पढ़ना सिखाए..

                    और कमली की पढ़ाई शुरू हो गई.. कृष्णा अपनी नौकरी पर चला गया.. मां अपने बच्चों की खुशी इच्छा को पूरा करने के लिए जी जान लगा देती है पर वही बच्चे… कमली के आंखों से आसूं निकलने लगे.. अगली सुबह चिरनिंद्रा  में विलीन हो गई थी कमली…

                #स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

               Veena singh

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