अनजानी फ्रेंड रिक्वेस्ट – डा. पारुल अग्रवाल

अवनी एक ज़िंदगी से भरपुर लड़की हुआ करती थी कभी पर आज पता नहीं क्यों हर बात पर चिड़चिड़ी होती जा रही है,आँखो के नीचे काले घेरे,किसी से ना बात करना,ना कहीं जाने की इच्छा करना बस किसी तरह अपने घर के थोड़े बहुत काम निबटाना फिर बस जाकर अपने रुम में बैठ जाना यही उसकी दिनचर्या बन गयी थी। वैसे अगर देखा जाये तो दुनिया की नज़र में उसके पास कोई कमी नहीं थी,एक समझदार पति अम्बर ,दो प्यारे बच्चे रिधी और सिद्धि मतलब एक हँसता-खेलता परिवार था उसका। किसी को भी उसकी दिक्कत समझ नहीं आ रही थी। उसके पति ने भी काफी बड़े से बड़े डॉक्टर से उसका इलाज़ कराया पर रिजल्ट ज़ीरो ही रहा। आखिर मैं जब कहीं से कुछ पॉजिटिव नहीं निकल के आया तो उसके पति को अपने एक मनोवैज्ञानिक दोस्त का खयाल आया जो की आजकल अमेरिका में था। अवनी के पति ने अपने दोस्त को मेल से अवनी की सारी रपोर्ट्स भेज दी। उसके दोस्त ने अवनी की सारी केस हिस्ट्री जाने के बाद अवनी को किसी अवसाद से ग्रसित बताया साथ-साथ ये भी कहा की अभी अगर स्थिति पर नियंत्रण कर लिया जाये तो सब नॉर्मल हो सकता है।

अब अवनी के पति को काफी हद तक अवनी की समस्या समझ में आ रही थी। उसे याद आया कि शादी से पहले अवनी बहुत अच्छी पैंटींग्स बनती थी और एक स्कूल में ड्रॉइंग टीचर भी थी। पर शादी के बाद घर-गृहस्थी के चक्कर में ऐसे फँसी की अपने सारे शौक ही भूल गयी। इस तरह से धीरे-धीरे अवनी ने अपने आपको एक खोल में ही बन्द कर दिया। इसके साथ-साथ अम्बर को याद आया कैसे अगर कभी अवनी अपने लिये कुछ करना भी चाहती थी तो ना तो अम्बर ने ना ही उसके घरवालों ने अवनी का साथ दिया। असल में अवनी ने अपनी ने सब लोगो के लिये अपनी खुशियों से बहुत समझौता किया।आज अम्बर को बहुत अपराध बोध हो रहा था उसे लग रहा था कि अनजाने मैं ही सही पर कहीं ना कहीं वो ही अवनी का इस हालत के लिये ज़िम्मेदार है।  अब वो कैसे भी सब ठीक करके अपनी पुरानी अवनी को वापिस लाना चहाता था।

इधर अवनी के पास सोशल मीडिया पर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आती है। उसको नाम कुछ जाना-पहचाना लगता है,पर अभी कुछ दिन तक इस पर ध्यान ही नहीं देती पर उस फ्रेंड रिक्वेस्ट से लगातार मैसेज आने पर उसको लगता है की बात कर लेती हूँ वैसे भी अब उसके कोई और दोस्त तो थे भी नहीं, सबसे शादी के बाद से मिलना ही नहीं हुआ था। अब जब अवनी उस फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार कर बात करना शुरु करती है तो उसको अच्छा लगता है,उसको लगता है जाने कितने टाईम बाद वो मुस्कराई हो।


धीरे-धीरे अपने उस नये दोस्त की वजह से उसका खोया आत्मविश्वास वापिस आने लगता है। अवनी का वो दोस्त अवनी को उसके शौक पुरे करने के लिये बहुत प्रेरित करता है। अवनी में बदलाव आना शुरु हो जाता है,वो फिर से पैंटींग करना शुरु करती है। बस एक शुरुआत करने की देर थी अवनी के हाथों में जैसे जादू था वो ब्रश के एक स्ट्रोक से ही कैनवास पर रंगों का ऐसा मायाजाल सा बुन देती थी की सामने वाला नज़रें ही नहीं हटा पाता था। अवनी का पति अम्बर भी काफी खुश था क्योंकि उसकी अवनी वापिस लौट रही थी।घर के सब लोग इस चमत्कार से हैरान थे पर अवनी बिना कुछ कहे गुनगुनाते हुए अपनी पैंटींग्स पूरी करती रहती। पूरी करके वो उस पैंटींग की पिक्चर क्लिक करके अपने सोशल मीडिया वाले  फ्रेंड को भेजती वो भी उसके तारीफ़ के साथ कुछ कमी होती तो खुलकर अपनी बात कहता और उसका उत्साहवर्धन करता। अब काफी पैंटींग्स बनाने के बाद अवनी ने अपनी कला प्रदर्शनी लगाने का फैसला लिया। अवनी ने इस प्रदर्शनी में अपने दोस्त को भी बुलाया। अवनी को था की इस बहाने वो अपने दोस्त की अम्बर से भी मुलाक़ात करवा देगी क्योंकि अवनी की इस सफ़लता के पीछे उसके इस दोस्त का भी काफी योगदान था।

खैर प्रदर्शनी वाला दिन आ गया, अवनी की प्रदर्शनी काफी सफल रही। लोगो से अवनी की खुले दिल से बहुत तारीफ़ की। अब अवनी को बस अपने दोस्त का बेसब्री से बस अपने दोस्त का इन्तज़ार था पर उसका दोस्त नहीं आया। अम्बर ने भी बोला लगता है अवनी तुम्हारा दोस्त मेरे से मिलना नहीं चाह्ता। अवनी थोड़ी दुखी सी होने लगी तभी उसके बच्चे उसके पास आये बोले मम्मी आपका वो दोस्त आपके आस-पास ही है आप ही उसे पहचान नहीं पा रही, थोड़ी कोशिश करिये, तब कुछ सोचने के बाद,कुछ बातें याद करने के बाद अवनी को लगता है हो ना हो उसका वो दोस्त और कोई नहीं उसका पति अम्बर ही है। जब वो अपने पति की तरफ देखती है तब अवनी को अपने पति के हसँने के अन्दाज़ से उसका जवाब मिल जाता है।अवनी को एहसास होता है की वो कितनी खुशकिस्मत है जो उसको इतनी प्यार करने वाला परिवार मिला। अब उसका सारा तनाव दुर हो गया।

 दोस्तों आजकल की भागा-दौड़ी वाली ज़िंदगी में अधिकतर लोग जाने-अनजाने में तनाव का शिकार हो रहे हैं। जिससे बचने का सबसे बड़ी तरीका यही है की अपने शौक हमेशा ज़िंदा रखने चहिए। ज़िंदगी में हो सकता है आज वक़्त ना मिल रहा हो पर कभी ना कभी तो मिलेगा जब हम अपने शौक दोबारा पुरे कर सकेंगे। हो सके तो एक ऐसा दोस्त भी ऐसा भी बनाना चाहिये जिससे आप अपनी बात दिल खोलकर कह सकें और अगर ऐसा दोस्त ना भी हो तो भी कोई बात नहीं ऐसे में आइने को भी दोस्त बनाकर उसको ही सामने रखकर अपने दिल को खोल लेना चाहिये।

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