अमोल आशीर्वाद – गीता वाधवानी : hindi stories with moral

hindi stories with moral :  अभिनव और अनुष्का की खूबसूरत खूबसूरत जोड़ी को देखकर लगता था कि मानो दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हों। दोनों सुंदर, पढ़े लिखे और संस्कारी और अमीर परिवारों से थे। अभिनव और अनुष्का दोनों एक दूसरे के परिवारों का भरपूर आदर करते थे और उनके परिवार भी दामाद और बहू के रूप में उन्हें पाकर बेहद खुश थे। 

आज अनुष्का के छोटे भाई राजीव का विवाह था। सभी खुशी में जी भर कर नाच रहे थे। अभिनव भी अपने साले साहब की शादी में खुशी से डांस कर रहा था। बैंड वालों ने “आज मेरे यार की शादी है”धुन बजानी शुरू कर दी थी। 

अभिनव मस्ती से डांस कर रहा था। नाचते नाचते वह एक वृद्ध बैंड वाले से टकरा गया। उसे बैंड वाले के हाथ में बड़ा वाला बाजा था। 

वह बेचारा बूढ़ा लड़खड़ाया और तेजी से पीछे की तरफ गिरने को हुआ, तभी अभिनव ने लपक कर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचा लिया। 

अभिनव के कुछ बोलने से पहले ही वह बैंड वाला बोला-“माफ कर दो साहब, मुझसे गलती हो गई, मैं जानबूझकर नहीं टकराया।” 

अभिनव-“बाबा, आप क्यों माफी मांग रहे हैं गलती तो मेरी थी। मैंने आपको देखा ही नहीं और टकरा गया।” 

अभिनव ने देखा कि उसे बूढ़े बैंड वाले की आंखों में और चेहरे पर बेहद उदासी और लाचारी झलक रही थी और उसकी आंखों में पानी भरा हुआ था। उसने देखा कि वह बेहद मजबूरी में बाजा बजा रहा है। अभिनव को कुछ ठीक नहीं लगा। 

   अभिनव ने उसे बैंड वाले का हाथ पकड़ा और थोड़ा साइड में ले जाकर उससे पूछा-“बाबा क्या बात है, आप परेशान नजर आ रहे हैं।” 

बैंड वाला बुजुर्ग बोला-“ऐसी कोई बात नहीं है साहब।” 

अभिनव-“बाबा, आप मुझे सब मत कहिए और हो सके तो अपनी परेशानी बताइए।” 

अब बैंड वाला खुद को रोक न सका और फूट-फूट कर रोने लगा। बाकी बैंड वाले और बारात थोड़ा आगे निकल चुके थे। 

उसने बताया -“बेटा, अभी थोड़ी देर पहले गांव से फोन आया था कि मेरी पत्नी मरणासन्न स्थिति में पड़ी हुई है और मेरी बाट जोह रही है। बार-बार दरवाजे की तरफ देखती है। मैंने अपने मालिक से कुछ पैसे और छुट्टी मांगी। लेकिन उसने साफ मना कर दिया और बोला कि सुबह जब विवाह हो जाने के बाद डोली जब बैंड बाजे के साथ घर पहुंच जाएगी, तभी पैसे मिलेंगे और तभी तुम घर जाना। अभी मैं तुम्हें ना पैसे दे सकता हूं और ना ही छुट्टी। इसी बीच अगर मेरी पत्नी को कुछ हो गया तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। मैं क्या करूं मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा।”और वह अपना सिर पड़कर फिर से रोने लगा। 

अभिनव को यह सब सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने कहा-“बाबा, मैं आपके मालिक से आपको छुट्टी दिलवा देता हूं और आप पैसों के बारे में चिंता मत करो।” 

अभिनव ने बैंड वाले के मालिक से फोन पर बात करके बाबा को छुट्टी दिलवा दी और बाबा के हाथ में दस हजार रखते हुए बोला-“आइए बाबा, मैं आपको अपनी गाड़ी से बस स्टैंड पर छोड़ आता हूं।” 

बाबा-“नहीं बेटा, मेरी वजह से पहले ही आप इतना परेशान हुए हो और आप घर की शादी में भी ध्यान नहीं दे पा रहे हो। मेरी वजह से आपका इतना समय बर्बाद हो गया। आप शादी में जाइए ,बस स्टैंड मैं खुद चला जाऊंगा।” 

तभी अनुष्का और उसके पापा अभिनव को ढूंढते हुए वहां पहुंच गए। उन्हें पूरी बात का पता लगता ही उन्होंने अभिनव से कहा कि तुमने बिलकुल ठीक किया। 

फिर उन्होंने बाबा को ऑटो करवा कर दे दिया। बाबा उसमें बैठकर अपने दोनों हाथ उठाकर, आंखों में पानी लिए, बहुत सारा आशीर्वाद देते हुए चले गए। 

उनके दोनो हाथों से मिला हुआ आशीर्वाद अभिनव और अनुष्का के लिए अमोल आशीर्वाद था। उसे आशीर्वाद के बाद बाबा तो उन्हें कभी नहीं मिले लेकिन उनके जीवन में इतनी सफलता और खुशियां आई कि उनका जीवन खुशियों से भर गया और इसके बाद भी वह हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते रहे। 

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

 

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