अब तो माँ बन जाओ ( भाग 1)- रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “ कामिनी कब तक तुम ऐसे ही बचपना करती रहोगी …उस में उन बच्चों की क्या गलती है…जब से शादी की बात चली है उस दिन से तुम मुँह फूला कर रखी हुई हो।” किशोर जी कामिनी जी को समझाते हुए बोल रहे थे 

“ काश तुम समझ पाते… मेरे दिल की बात… पर तुमने कभी कोशिश ही नहीं की और मैं बस अपने आप में सिमट कर रह गई ।” कामिनी जी किशोर जी से बातें कर ही रही थी कि दरवाज़े पर दस्तक हुई 

“ बड़ी माँ हम अंदर आ जाए?” नकुल ने दरवाज़े पर ही खड़े खड़े पूछा 

“ इसमें पूछना क्या बेटा… आओ ना ।” किशोर जी ने कहा 

नकुल अपनी नवविवाहिता कृति के साथ कमरे में आकर दोनों के पाँव छूकर आशीर्वाद लिया और कामिनी जी के हाथ में एक तोहफ़ा रखते हुए कृति ने कहा,“ ये हम दोनों की तरफ़ से आपके लिए माँ…।”

“ हा.. हा… उधर मेज पर रख दो…।” कह कामिनी जी कमरे से निकल गई 

“ बेटा ….बहू को अभी अपने कमरे में ले जाओ…. तुम तो अपनी बड़ी माँ का स्वभाव जानते ही हो…. बहू को थोड़ा वक़्त दो… वो भी सास को समझ जाएगी ।” धीरे से नकुल के कंधे पर हाथ रख किशोर जी बोले

कामिनी जी के व्यवहार से वो बहुत आहत हुए थे….पर समझाने का मतलब वो जानते थे कि बोलचाल बंद कर कमरे में पड़ी रहेगी इसलिए वो नकुल को समझाने लगे।

नकुल कृति को अपने कमरे में लेकर गया और बोला,“ कृति बड़ी माँ के इस व्यवहार के लिए मुझे माफ कर दो….बस एक विनती करता हूँ पलट कर बड़ी माँ को कभी भी भूल से भी कुछ मत कहना…. वो जैसी भी है मेरी माँ है और मैं उनकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ ।”

“ तुम चिन्ता मत करो नकुल शादी से पहले जब भी तुमसे बात हुई तुमने अपनी बड़ी माँ का ही ज़िक्र किया …. तभी मैं समझ गई तुम्हारी ज़िन्दगी में उनका स्थान बहुत ऊँचा है …. तुम बेफ़िक्र रहो।” कृति ने नकुल को तसल्ली देते हुए कहा 

शादी का तीसरा दिन था मेहमान लगभग सब चले गए थे…. रह गए थे तो कामिनी जी की दोनों बेटियों का परिवार…. जिनकी विदाई करने की तैयारी करने नकुल निकल गया था ।

सब सामान बाँध कर दोनों बहनें कृति से मिलने पहुँची ।

दोनों बहनें नकुल से बड़ी थी….निशि और निवि…

“ कृति हम ज़्यादा दिन यहाँ नहीं रह पाएँगे शादी से सप्ताह भर पहले से ही यहाँ आए हुए थे….. हमारे इकलौते भाई के ब्याह की तैयारी करने… अब इस घर को तुम सँभालो…. हाँ माँ की किसी बात पर दिल मत लगाना …. रहते रहते तुम ख़ुद उसको समझ जाओगी ।” बड़ी ननद ने कृति से कहा

“ जी दीदी आप निश्चिंत रहे।” कृति दोनों ननदों के लिए साथ लाया तोहफ़ा देते हुए बोली 

दोनों ननदों के चले जाने के बाद अब घर में चार लोग ही रह गए थे….

कामिनी जी कृति से ज़्यादा बात नहीं करती थी पर कृति अपनी ज़िम्मेदारी समझ रसोई का कार्यभार उठाने लगी थी पर एक डर मन में उसके भी लगा रहता था कोई गलती ना हो

जाए ….कामिनी जी का व्यवहार कृति को कभी-कभी समझ ही नहीं आता था ऐसे में वो एक दिन परेशान हो नकुल से पूछ बैठी..

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अब तो माँ बन जाओ ( भाग 2)- रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#माफ करने वाले का दिल बहुत बड़ा होता है

GKK(M)

 


 

 

 

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