आखिर यह आंसू कब तक..? – रोनिता कुंडू : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  हेलो अनुष्का..!

 अरे, नहीं.. नहीं… मैं तो उसकी सास बोल रही हूं… वह नहाने गई है … आप मुझे बता सकते हैं, कोई बात है क्या समधी जी..? माला जी ने अनुष्का के पापा अमित जी से फोन पर कहा…

 अमित जी:  वह तो अब अनुष्का ही बता सकती है.. क्योंकि उसने अभी थोड़ी देर पहले ही मुझे फोन किया था.. पर मैं गाड़ी चला रहा था, उठा ना सका… ठीक है मैं थोड़ी देर बाद फिर फोन करता हूं.. 

फिर थोड़ी देर बाद अमित जी का वापस फोन आता है.. हेलो बेटा..! कॉल किया था तूने..? अमित जी ने कहा 

अनुष्का:   हां पापा… बस ऐसे ही फोन किया था… आप से बात करने का मन किया इसलिए…

अमित जी:  ओ अच्छा… मुझे लगा तू तो इस समय कभी फोन नहीं करती, क्योंकि मैं दुकान पर होता हूं…

 अनुष्का:   ठीक है पापा.. फिर बाद में कॉल करती हूं… इधर अनुष्का फोन रखती है और उधर उसके सामने खड़ी माला जी कहती है… क्यों फोन किया था अपने पापा को..? हमारी शिकायत करने..? पर तू यह क्यों नहीं समझती, की तेरे पापा की ही गलती है.. अगर वह विवेक के बिजनेस के लिए मदद कर देते, तो फिर तुझे भी इतनी तकलीफ नहीं होती..

अगर उन्हें अपनी बेटी की फिक्र होती तो कभी भी विवेक को पैसे देने से मना नहीं करते.. वैसे भी शादी के बाद लड़कियों को ससुराल में जो कुछ भी क्यों न सहना पड़े..? उसके मायके से सिर्फ समझौता करने की ही सीख मिलती है.. तो तुम्हारे पापा भी यही करेंगे और अगर तुम्हें फिर भी उनसे विवेक के बारे में कहना है तो, कह सकती हो… उसके बाद जो विवेक तुम्हारा हाल करेगा उसकी जिम्मेदार तुम खुद होगी…

अनुष्का रोने लग जाती है और मन ही मन सोचती है… क्या सच में शादी के बाद लड़कियों के आंसू पोछने वाला कोई नहीं होता..? क्या सच में पापा नहीं सुनेंगे मेरी तकलीफ..? क्या उन्हें भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा मेरे आंसुओं से..? सच ही तो कह रही थी मम्मी जी, उन्हें अगर समझना होता तब ही समझ गए होते, जब मैंने उन्हें बेवक्त फोन किया या फिर वह जानबूझकर समझना नहीं चाहते हैं… ना जाने और भी क्या क्या सोचे जा रही थी अनुष्का..?

अगले दिन जब सुबह विवेक दफ्तर के लिए निकल ही रहा होता है, तो माला जी उससे कहती है… बेटा.! तू निकलने से पहले एक बार इसकी खबर लेता जा… वह कल रात को तू घर देर से लौटा था, मैं तुझसे कह नहीं पाई… तेरे पीछे से यह अपने पापा को फोन कर हमारी शिकायत लगाती है… कल तो इसे मैंने रंगे हाथों पकड़ा..

 विवेक:   अच्छा तो क्या बिगाड़ लेंगे इसके पापा..? इसकी शिकायत करने पर भी वह आए क्या..? और कौन अपने सर से बोझ को एक बार विदा करने के बाद, दोबारा लेना चाहेंगे..? आप चिंता मत कीजिए मां… इसे जो करना है करने दीजिए और मुझे जो करना है मैं वह करूंगा… यह कहकर उसने अनुष्का के बाल खींचकर फिर कहा… तुम्हारी किस्मत में यह दर्द अब हमेशा के लिए जुड़ गया है… तुम्हारी मदद ना तो अब तुम्हारे पापा कर सकते हैं और ना और कोई..

तभी पीछे से अमित जी आकर कहते हैं… इस गलतफहमी में मत रहना बरखुरदार..! छोड़ दो मेरी बेटी को, वरना वह हाल करूंगा कि जिंदगी भर भूल नहीं पाओगे…

 विवेक:   आ गए उस मरहुम के पापा… क्या बिगाड़ लेंगे आप मेरा..? अगर मैंने छोड़ दिया ना आपकी बेटी को तो फिर रखना पूरी उम्र अपनी बेटी को अपने पास…

अमित जी:  ठीक है रख लूंगा… मेरी बेटी है… मेरी जिम्मेदारी.. हां सौंपा तुम्हें था, पर तुम उसके लायक नहीं निकले..

 माला जी:   इतना ही था तो दे देते विवेक को पैसे… बेटी को पूरी उम्र बिठाकर खिला सकते हैं.. पर दामाद को उसके भविष्य के लिए पैसे नहीं दे सकते… आप लोग भी बड़े चालाक होते हैं…

अमित जी:   भीख ही मांगना था तो किसी मंदिर के बाहर या स्टेशन पर बैठ जाते… यह किस तरह की भीख है जो देने वाले को ही मार रहे हैं.?  आपलोगों को तो आपकी ही भाषा समझ आएगी… चिंता मत कीजिए, उसका भी इंतजाम कर आया हूं… वह देखो आ गई पुलिस… ले जाइए इनको.. यह देखिए मेरी बेटी को हर दिन दहेज के लिए मारते हैं… यह कहकर अमित जी ने अपना मोबाइल आगे बढ़ा दिया… जिसमें वह तस्वीर होती है जब अमित जी अंदर आ रहे थे और विवेक ने अनुष्का के बाल खींचे थे… फिर पुलिस विवेक और माला जी को घरेलू हिंसा के जुर्म में गिरफ्तार कर ले जाते हैं..  

 उसके बाद अनुष्का अपने पापा से लिपटकर खूब रोने लगती है..

 अमित जी:   बेटा.. तेरे आंसू उस दिन भी बह रहे थे, जब तेरी विदाई हो रही थी और आज भी बह रहे हैं, जब तेरी कष्ट से जुदाई हो रही है… चाहे कितना भी फर्क हो तेरे आंसुओं में..? मुझे तेरे आंसू बर्दाश्त नहीं., जब तूने उस दिन मुझे बेवक्त फोन किया, मैं तभी से चैन से नहीं बैठ पाया और लग गया छानबीन में… तब मुझे पता चला, यह लोग तेरे साथ कैसा व्यवहार करते हैं..? पर तूने मुझे कभी कुछ क्यों नहीं बताया.? इतना अत्याचार क्यों सह रही थी..? 

अनुष्का:   पापा..! एक तरफ आप मेरे लिए इतना सोच रहे थे और दूसरी तरफ आपको मेरी परवाह नहीं, मैं यह सोचकर आंसू बहा रही थी… क्योंकि बचपन से यही देखती और सुनती आई हूं कि, शादी के बाद लड़कियों का असली घर उसका ससुराल होता है… ससुराल अच्छा मिले तो भाग्यशाली, वरना बदकिस्मत.. ऐसे में बदकिस्मत लड़कियां पूरी जिंदगी आंसू बहाते हुए निकाल देती है… मायके वालों को सब कुछ पता होता है, पर फिर भी थोड़ा एडजस्ट कर लो, यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं…

 अमित जी:   बेटा..! कह तो तू सही रही है, हम जिस वर्ग में रहते हैं… वहां हम हमेशा ऐसा ही देखते और सुनते आए हैं… पर इतनी सारी बातें तुझे याद रही, बस अपने पापा की बातें भूल गई जो उसने तेरी विदाई के वक्त कहा था… बेटा..! आंसू बहाते हुए जा रही हो, पर आंसुओं के साथ रहना नहीं… शायद इस बात का अर्थ तू नहीं समझ पाई..?

 अनुष्का:   हां पापा तब तो समझ नहीं पाई थी… पर अब समझ गई… काश..! के हर लड़की के पापा अपनी बेटी को विदा करते वक्त यही कहे, ताकि हर बेटी खुद को बदकिस्मत नहीं, भाग्यशाली समझे…

धन्यवाद 

मालिक/सुरक्षित/अप्रकाशित 

#आंसू 

रोनिता कुंडू

V M 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!