घर है या चिड़ियाघर? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

अरे जीजी! सुना है गुड़िया का रिश्ता तय कर दिया है और उसका परिवार संयुक्त है? जीजी! आज के ज़माने में संयुक्त परिवार में कौन अपनी बेटी देता है? बेचारी का पूरा जीवन रसोई में ही बीत जाएगा, एकांत को तरसेगी बेचारी, प्रभा जी ने अपनी बड़ी बहन शोभा जी से कहा 

शोभा जी:  देख प्रभा! जिसकी जहां किस्मत लिखी होती है, होता वही है! अब हम तो मात्र एक ज़रिया है वहां तक पहुंचाने का और पहले के ज़माने में संयुक्त परिवार ही होते थे, कितने प्यार से मिलकर सभी रहते थे। पर समय के साथ-साथ संयुक्त परिवार खत्म ही हो गया है समझो, पर गुड़िया तो किस्मत वाली है जो उसे यह इस ज़माने में यह जीने को मिलेगा, सब के साथ बनाकर चलेगी तो यही परिवार स्वर्ग जैसा लगेगा।

प्रभा जी:  वाह जीजी! खुद कभी रही हो क्या संयुक्त परिवार में? शुरुआत से ही जीजा जी की नौकरी की वजह से, कभी इस शहर तो कभी उस शहर घूमती रही, अकेले-अकेले अपना हर एक पल जिया, तुम्हें क्या पता संयुक्त परिवार के झंझट? मैं रही हूं संयुक्त परिवार में, ऊपर से बड़ी बहू, अपना हर एक अरमान बस अरमान ही रह गया। गुड़िया, मेरी बात ध्यान से सुन, शुरुआत से ही अपनी अकड़ में रहना, इन्हें कोई भी मौका मत देना, जिससे यह तुझ पर हावी हो जाए। घर की छोटी बहू समझकर यह तुझ पर हुक्म चलाने की जो कोशिश करें,

उन्हें इशारों में समझा देना, कि तू कोई नौकरानी नहीं, मेरी गलती तू मत तोहराना मेरी बच्ची। गुड़िया कभी अपनी मां तो कभी अपनी मासी की बात सुनती, बेचारी उसे तो संयुक्त परिवार का मतलब भी सही से पता नहीं था, तो वह कैसे निभाएगी? यही सोच कर वह खामोश थी, फिर वह वक्त आ गया और गुड़िया विदा होकर अपने ससुराल चली गई।

हम इंसानों की भी बड़ी अजीब फितरत होती है, हमें कोई लाख अच्छी चीज़ बता दे, वह हमारे मन से तुरंत निकल जाती है, पर एक भी बुरी चीज़ हमारे मन में अपना डेरा जमाने लग जाती है। वही गुड़िया के साथ भी हुआ, मां के समझाए बातों से ज्यादा मासी की बताई बातों का प्रभाव था। खैर नई नवेली दुल्हन का स्वागत बड़े धूमधाम से हुआ। कई रस्मों के साथ उसका दिन बिता, कभी बड़ी जेठानी तो, कभी मंझली, तो कभी संझली आकर उससे बाते करती। एक ननद भी थी जो आकर नई भाभी को कभी जूस,

इस कहानी को भी पढ़ें:

स्वाभिमानी पिता

कभी पकौड़े थमा कर चली जाती और कहती भाभी, मां ने कहा है आप यह सब खा लो। गुड़िया एकल परिवार में बड़ी हुई थी, जहां वह, उसका भाई, मां और पापा जो कभी-कभी छुट्टियों पर घर होते थे। क्योंकि पापा फौज में थे तो वह ज्यादातर ड्यूटी पर ही होते थे। बस तीन लोग ही एक दूसरे के साथ रहते थे, उसे पर मां रसोई में व्यस्त, भाई और वह अपने-अपने कमरे और फोन में व्यस्त और इसके बिलकुल विपरीत माहौल उसके ससुराल का था। वह 1 मिनट भी अकेले नहीं हो पा रही थी कि अपनी मां को फोन लगा पाए।

खैर रात हो गई सभी कोई अपने-अपने कमरे में चले गए, तो अब जाकर पतिदेव के दर्शन मिले। गुड़िया चुपचाप आरव के बगल में बैठी थी, तभी आरव कहता है कैसा लगा मेरा परिवार? मम्मी कह रही थी कि तुम्हें इतने बड़े परिवार में घुलने मिलने में वक्त लगेगा, पर यकीन मानो सबके साथ रहने में जो मजा है ना वह अकेले रहने में नहीं और धीरे-धीरे तुम्हें भी इस बात का एहसास हो जाएगा। गुड़िया मन ही मन सोचने लगी सुबह से उनके परिवार से घिरी रही और अब इनके मुंह से भी बस परिवार की ही बातें निकल रही है।

मासी कही सच ही तो नहीं कह रही थी, के संयुक्त परिवार में एकांत कभी नहीं मिलता? यह घर कम चिड़ियाघर ज्यादा लग रहा है मुझे, हे भगवान! कहां फंसा दिया मुझे? सारी गलती मां पापा की है, क्यों मुझे यहां भेजा? गुड़िया यही सब सोच रही थी कि तभी आरव कहता है, बहुत थक गई होगी ना? सो जाते हैं कल भी बहुत सारे रस्में होंगी, यह कहकर आरव तो सो गया, पर गुड़िया की आंखों से नींद कोसों दूर थी। वह बस अपनी मासी की बातों को याद किए घबराए जा रही थी। अगली सुबह इससे पहले गुड़िया उठकर तैयार होकर बाहर आती,

दरवाजा पीटने की आवाज़ से वह चिढ़ गई, दरवाजा खोला तो देखा उसकी तीनों जेठानिया खड़ी मुस्कुरा रही है और कहती है, क्या हुआ गुड़िया रात भर सोई नहीं क्या? यह कहकर तीनों हंसने लगी, उनके इस तंज से गुड़िया को गुस्सा आ गया और वह तुरंत बोल पड़ी, दीदी! दरवाजा खोलने का समय भी तो दीजिए ना, चल कर ही आऊंगी उड़कर तो आ नहीं सकती। 

गुड़िया का ऐसा कहने पर तीनों जेठानिया एक दूसरे की ओर देखने लगी कुछ इशारों में कहते हुए, फिर बड़ी ने बात को संभालते हुए कहा, वह पूजा का मुहूर्त निकला जा रहा है, इसीलिए हम थोड़ा जल्दी में थे। तुम तैयार हो गई हो तो चलो हमारे साथ। इसी तरह शादी के तीन-चार दिन बीत गए और सारे मेहमान भी चले गए। इन बीते दिनों में गुड़िया बड़ी खींझ चुकी थी, क्योंकि उस एकांत बड़ी कमी महसूस हो रही थी। देखा जाए तो गलती उसकी भी नहीं थी। जो लड़की बचपन से जवानी तक अकेले में अपना जीवन बिताया हो,

इस कहानी को भी पढ़ें:

जमी हुई तपिश – सुरभि शर्मा ‘जिंदगी’

उसे हर वक्त यूं भीड़ कहां से रास आएगी? वह रसोई जब भी अपनी जेठानियों की मदद करने जाती, वह उसे बस बैठने को कहती और कहती आगे तो करना ही है, अभी नई-नई हो आराम कर लो, तो यह बात भी गुड़िया को बुरी लगती और वह समझती कि यह लोग आगे सारा काम मुझ पर लादने का और खुद आराम फरमाने का सोच रहे हैं। ठीक कहती थी मासी, मुझे अभी से ही सावधान रहना होगा और

तब से गुड़िया ने अपना ज्यादातर समय अपने ही कमरे में बिताना शुरू कर दिया, पति के साथ घूमने निकलती तो जेठानियों के बच्चे पीछे लटक जाते हैं, जिससे वह और चिढ़ जाती और एक दिन वह गुस्से में अपनी मां को फोन पर कहती है, अच्छा बदला लिया मां आपने मुझसे? मैं आपकी कोई बात नहीं मानती थी, इसलिए मुझे इस चिड़ियाघर में भेज कर उसका बदला निकाला? ठीक कहती थी मासी, पर मैं भी चुप नहीं रहूंगी, मैं इस चिड़िया घर में नहीं रह सकती।

शोभा जी:  बेटा! जोश में कोई भी फैसला मत लेना, तुझे बहुत अच्छा परिवार मिला है इसका एहसास भी तुझे एक दिन ज़रूर होगा, पर तब तक कोई ऐसा कदम मत उठाना, जिससे बाद में पछताना पड़ जाए। 

गुड़िया: आपने शादी करवा दी, अब यह मेरा घर है। इसमें मैं आपकी कोई बात नहीं सुनूंगी। यह कहकर गुड़िया फोन काट देती है। 

उसके बाद गुड़िया सबसे ऊखड़ी ऊखड़ि रहने लगी, वह अपना काम करती और सीधे अपने कमरे में चली जाती है। पूछने पर कहती मुझे शांति चाहिए। पूरा परिवार उसकी उसके इस रवैैये को नजरअंदाज कर रहा था, क्योंकि सभी जानते थे उसे इस माहौल किया ढलने में वक्त लगेगा। एक दिन गुड़िया की तबीयत थोड़ी खराब लग रही थी, उसे बुखार जैसा लग रहा था तो, वह एक गोली खाकर बिस्तर पर लेट गई और थोड़ी देर बाद उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई। उसका पूरा शरीर दर्द से फटने लगा,

वह पड़ी पड़ी कराह रही थी, तभी उसकी ननद उसके कमरे में आकर कहा, भाभी, क्या हुआ आप काफी देर से कमरे में हो? इतने में उसने गुड़िया को कराहते हुए देखा तो वह जल्द सबको बुलाकर ले आई, गुड़िया बेहोश हो चुकी थी और जब उसकी आंखें खुली तो देखा पूरा परिवार उसके समीप चिंतित खड़ा है। सास उसके सर पर पानी की पट्टी कर रही है। बड़ी जेठानी उसके हाथ को सहला रही है, बाकी दोनों जेठानिया उसके तलवों को मल रही है, यह नज़ारा देखकर वह निशब्द थी, तो क्या ऐसा होता है संयुक्त परिवार?

इस कहानी को भी पढ़ें:

उम्र तो सिर्फ एक नंबर है

उसके आंखों से आंसू बहने लगे, तभी आरव डॉक्टर को लिए अंदर आया और डॉक्टर ने जांच करने के बाद टाइफाइड के लक्षण बता कर कुछ टेस्ट लिख कर देते हैं और कुछ दवाइयां लिखकर वह चले गए। एक जेठ डॉक्टर को छोड़ने गया तो, दूसरा दवाई लेने तीसरा वहीं बैठे थे। थोड़ी ही देर में गुड़िया की मां भी आ गई। आरव ने उन्हें आने को बोला था। गुड़िया की मां को देखकर उसकी सास ने थोड़ी बातचीत की और दोनों मां बेटी को अकेला छोड़कर सभी कमरे से बाहर चले गए। 

शोभा जी:  क्या हुआ बेटी? तू अभी ठीक तो है ना? सही कहती थी तू बेटा मेरी गलती है, तेरी इस घर में शादी नहीं करवानी चाहिए थी, देख कैसी हालत हो गई है तेरी! क्या यह लोग तुझसे बहुत काम करवाते हैं? बेटा तुझे यहां नहीं रहना तो चल मेरे साथ। 

गुड़िया:  नहीं मां, परिवार का प्यार क्या होता है आज ही तो देखा है मैंने! यहां एक को चोट लगती है दर्द सभी को होता है। मां मैं कितनी गलत थी उनके प्यार और मेल को देख नहीं पाई, मां जिस एकांत से मैं बचपन में चिढ़ती थी, उसी एकांत से कब प्यार हो गया पता ही नहीं चला? इसलिए इनके प्यार और मेल को मैंने भीड़ समझ लिया, पर अब असली परिवार का मतलब समझ आ गया है मां!  

शोभा जी: पता है बेटा? मैंनें तुझे ढूंढ ढूंढ कर ऐसे परिवार में ही क्यों तेरी शादी की? क्योंकि एकल परिवार में रहने की सजा मैं भुगत चुकी हूं, मैं चाहती थी मेरी बेटी वह सजा न भुगते, उस दिन जब तेरी मासी ने कहा कि दीदी तुम नहीं समझोगी, कभी संयुक्त परिवार में तो रहा नहीं? तब मैं चाहती तो बोल सकती थी, पर मैं उस वक्त यह चाहती थी कि तू खुद यह सब अनुभव करें, बेटा एकल परिवार में अपनी तबियत कितनी भी खराब हो, कैसी भी परिस्थिति हो तुझे हर हाल में अपने परिवार के लिए खड़ा रहना ही पड़ता हैं,

कोई तुझे पूछने वाला नहीं होता और आराम करने का वक्त भी बिलकुल नहीं मिलता, लेकिन संयुक्त परिवार में यह नहीं होता है, संयुक्त परिवार में एक दूसरे को देखने के लिए सभी मौजूद होते हैं, तेरी तबीयत ठीक नहीं है, अगर तू पूरे दिन सोई भी रही, तो तुझे इस बात की फिक्र नहीं होगी कि तेरे परिवार में कोई भूखा रहेगा, एक दूसरे की सहानुभूति और साथ बहुत मायने रखता है बेटा, जो एकल परिवार में कभी मुमकिन ही नहीं, बस यही कारण था, मैं चाहती थी तू एक संयुक्त परिवार में जाए और जब तेरे लिए यह रिश्ता आया

मैंनें  झट से हां कर दिया, क्योंकि मुझे पता चला कि तेरे ससुराल वाले सारे पढ़े लिखे हैं, लेकिन फिर भी एक साथ रहने के लिए इन्होंने अपने व्यापार को बढ़ाया और एक साथ मिलकर काम करते हैं, साथ में रहते हैं, तो मैंने ठान लिया अब तेरी शादी यही करवाऊंगी, जब तूने उस दिन फोन पर कहा था, कि तुझे मैंने किस चिड़ियाघर में भेज दिया? तभी मैं समझ गई थी कि तू खुद को इनसे अलग अलग रख रही है, तभी तू ऐसी बातें बोल रही है, इसलिए मैंने तुझे कहा बेटा कुछ भी फैसला करने से पहले जरा सोच ले, वरना बाद में पछताना ना पड़े, और देख भगवान ने हीं वह स्थिति तेरे सामने ला दी, जिससे तेरी आंखें खुल गई 

गुड़िया:  हां मां, सही कह रही हो आप! जब हम तीनों घर पर होते थे, तो अपने में ही हम व्यस्त रहते थे, पूरी दुनिया में क्या हो रहा है हमें इससे कोई मतलब नहीं होता था? लेकिन इस तरह से जीना भी क्या जीना? जब परिवार में एक साथ रहकर भी इतनी दूरियां होती है, उससे अच्छा तो परिवार में हंसते बोलते दिन गुज़रे इससे बड़ी जिंदगी मैं खुशी और क्या हो सकती है?

इस कहानी को भी पढ़ें:

नियति तेरे करतब कमाल..

आज जब मैं बीमार पड़ी, एक बच्चे की तरह सभी मुझे घिरे हुए चिंता में बैठे मेरी सेवा कर रहे थे, यह देखकर तो मैं हैरान ही हो गई यह सोचकर की मैंने आज तक इनके लिए कभी कुछ ऐसा किया भी नहीं और एक कल की आई हुई लड़की के लिए इनके मन में इतना प्यार? मां मैं आपको धन्यवाद कहना चाहती हूं जो रिश्तो की असली अहमियत आपने मुझे दिखाया, शायद ही वह कभी बोलकर समझ पाती 

दोस्तों, आजकल हम देखते हैं कि हर जगह बस एकल परिवार ही है, कोई अपने परिवार के साथ नहीं रहता, चाहे वजह उसकी नौकरी हो या फिर इच्छा और इसी के साथ-साथ हमारे विचार भी एकल से हो गए हैं, हम अपने ही परिजनों की खुशी से जलने लग गए हैं, पर एक ज़माना ऐसा था,

जहां परिवार में भाई-बहन तो साथ रहते ही थे और साथ में उनके चाचा और ताऊ के भी परिवार रहते थे, हां जितने लोग, काम भी उतना ही ज्यादा होता था, पर हाथ भी तो उतने ही ज्यादा होते थे, इसीलिए सब मिल बांटकर काम कर लेते थे, एक दूसरे के दुख सुख की बातें करते हुए काम भी निपट जाते थे और शायद इसलिए उस वक्त डिप्रेशन/अवसाद नाम की कोई चीज़ भी नहीं होती थी, और इसी तरह एक का दुख पूरे परिवार का दुख बन जाता था और एक की खुशी में पूरा परिवार झूम उठता था… क्या अब कभी लौटेंगे वैसे दिन? बनेंगे संयुक्त परिवार? आप सब ही बताओ..  

धन्यवाद 

रोनिता 

#संयुक्त परिवार

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!