यह कोई एहसान नहीं! ( भाग 1 ) – गीता चौबे गूँज  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “रीना! अब कैसी तबीयत है मम्मी की? “

“जिसे आप का सहारा मिल जाए, वह भला कब तक बीमार रह सकता है? आपका यह एहसान हम कभी भूल नहीं पाएँगे।” 

रीना ने सुनील की तरफ प्यार और आदरपूर्ण नजरों से देखते हुए कहा। 

सुनील रीना और उसके परिवार को अपना मान बैठा था। उसके मन में यही भाव उठ रहा था कि अपनों का एहसान कैसा? परंतु मन के भावों को दबा कर इतना ही कह सका…

“तुम भी न…बेकार की बातें करती रहती हो। इसमें एहसान कैसा? संकट में मदद का हाथ बढ़ाना तो हर किसी का फर्ज होता है। “

“नहीं सुनील ये बेकार की बातें नहीं हैं। आप नहीं होते तो आज हम माँ-बेटी न जाने किस हालत में होतीं”… कहते-कहते रीना दो वर्ष पीछे पहुँच गयी, जब वह हादसा हुआ था… 

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रीना स्नातक में थी तब। उसके पिता उसे आई. ए. एस. बनाना चाहते थे। पिता की आँखों से देखे गए सपने को रीना ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। किताबें ही उसका ओढ़ना-बिछौना बन गयी थीं उन दिनों। ‘घर से काॅलेज और काॅलेज से घर’… यही उसकी दिनचर्या हुआ करती थी। इस बात से बिलकुल बेखबर कि उसी के मुहल्ले में रहनेवाला गुड्डू पिछले छह महीनों से उस पर दिवानों की तरह फिदा था। वह आँखें बिछाए उसके काॅलेज आने-जाने की राह देखा करता। 

हालाँकि उसने रीना से कभी कोई शब्द नहीं कहे, किंतु मन-ही-मन आश्वस्त था कि रीना उसकी ही दुल्हन बनेगी। उसका दोस्त सुरेश अक्सर उससे कहता रहता, 

“भाभी, कोई अंतरयामी है क्या जो बिना बताए समझ जाएगी कि तुम उसे कितना चाहते हो? “

“यार! मेरी तो हिम्मत ही नहीं पड़ती। काश! मैं हनुमान होता तो उसे अपनी छाती चीर के दिखा देता!”

“तो बैठे रहो यूँ ही हाथ पर हाथ रखकर… जब चिड़िया फुर्र हो जाएगी तो मत पछताना।”

       सुरेश की बातें वजनदार तो लगती थीं उसे, किंतु वह रीना के सामने जाने का साहस नहीं कर पाता था। जब हृदय में किसी के लिए अतिशय प्रेम भरा हो तो, उसे किसी भी बात के लिए नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहता ये पगला दिल। एक तरफा प्रेम में आकंठ डूबा हुआ गुड्डू अपनी आँखों से रीना को निहारने का सुख नहीं छीनना चाहता था। किंतु होनी को कौन टाल सकता है। विधाता ने रीना के किस्मत की डोर तो किसी अन्य के साथ बाँध रखी थी। 

   उस दिन रीना अपने पापा के साथ चहकती हुई घर जा रही थी। उसकी खनकदार हँसी से उसकी खुशी का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था। जाने क्या सोचकर गुड्डू दोनों बाप-बेटी का पीछा करने लगा। साथ ही सावधानी भी बरत रहा था कि उन्हें इस बात का अहसास भी न होने पाए कि वह उनका पीछा कर रहा है। वह तो रीना की खुशी का राज जानना चाहता था जिसमें सफल भी हुआ। रीना स्नातक की परीक्षा में अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो गयी थी। उसके पापा ने कहा था 

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यह कोई एहसान नहीं! ( भाग 2 ) – गीता चौबे गूँज  : Moral Stories in Hindi

            — गीता चौबे गूँज 

                 बेंगलूरु, कर्नाटक

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