“यादों की अलमारी” – कविता भड़ाना

बात थोड़ी पुरानी है हम जिस कॉलोनी में रहते थे वहां के सभी परिवारों में बहुत ही प्यार,भाईचारा और मेलजोल था

किसी की भी बहन बेटी जब अपने ससुराल से आती तो वो पूरी कॉलोनी की मेहमान होती थी और शादी ब्याह चाहे किसी के भी घर में हो, पूरी कॉलोनी की रौनक देखते ही बनती थी, हम सारे बच्चे भी खूब धमा चौकड़ी मचाते और मस्त रहते… ये वो समय था जब मोबाइल फोन तो दूर की बात है लैंड लाइन भी किसी किसी के घर ही होता था….

ऐसे ही हमारी एक प्यारी सी “शन्नो बुआ”थी, जो बहुत प्यारी और थोड़ी दीन दुनिया की कम समझ रखने वाली थी 

छोटी सी उम्र में ही उनका विवाह पहाड़ों के पास बसे किसी दूर दराज के गांव में कर दिया था और बालिग होने के बाद गौना होना तय हुआ….कुछ सालों में ही बुआ का ऐसा रूप निकला की जो देखें देखता रह जाए ,कही कोई ऊंच नीच ना हो जाए तो बुआ के घरवालों ने उनके 18 वर्ष पूरे होते ही गौने की तारीख तय कर दी और तैयारियों में लग गए।

अब कॉलोनी की बेटी सब की बेटी के समान थी तो सब खूब उत्साह से सारे कामो को पूरा करने में लग गए, बुआ भी अपने दूल्हे राजा का बेसब्री से इंतजार करने लगी और आखिर वह दिन भी आ ही गया, बुआ दुल्हन जैसे श्रृंगार में चांद को भी मात दे रही थी की अचानक फुसफुसाहट होने लगी, सभी दबी जुबान में कुछ कह रहे थे , शन्नो बुआ को कुछ आशंका हुई तो उसने अपनी मां से पूछा की क्या हुआ?…

 इतना पूछते ही मां रोने लगी और बोली हाय मेरी बच्ची तेरा क्या होगा, तेरा तो भाग्य ही खोटा निकला…




  दरअसल बात ये हुई की बचपन में शादी होने के बाद शन्नो बुआ तो खूबसूरत और लंबी हो गई, वही दूल्हे राजा चेहरे से तो ठीक थे पर लंबाई में शन्नो बुआ से आधे ही रह गए और अब यही बात फुसफुसाहट का कारण बनी हुई थी…

  पर अब कर भी क्या सकते थे और इस तरह बुआ की विदाई हमारे छोटे से फूफाजी के साथ बड़े भारी मन से करनी पड़ी, बुआ का जी अपनी ससुराल में कम ही लगता था तो वो जब भी मन होता अपने पीहर चली आती, 

  एक बार पूरे दो महीने तक बुआ ने जाने का नाम ही नहीं लिया 

फूफाजी फोन भी करते तो कहती अभी और रहेगी, फिर आएगी… 

ऐसे ही एक दिन बुआ अपनी सहेलियों के साथ बाजार गई हुई थी, वापस आई तो देखा घर के बाहर भीड़ जमा है और सब उसे ही देखे जा रहे है, अंदर आई तो मां पिताजी सब रो रहे थे , बुआ को देख महिलाऐं उन्हे अंदर ले गई, एक साधारण सी साड़ी पहनाकर उन्हें श्रृंगार विहीन कर दिया गया,… 

अब बुआ का दिल घबराने लगा तो उसने पूछा आखिर हुआ क्या है?..

 पता चला कि अभी कुछ देर पहले फोन आया था की फूफा जी यानी शन्नो बुआ के पति को सांप ने डस लिया और उनकी मृत्यु हो गई है, साल भर पहले हुए गौने में ही बेटी विधवा हो जायेगी ऐसा सोचकर ही सबका कलेजा दुख से फटा जा रहा था…

 कुछ घंटों के सफर के बाद पांच गाड़ियों में सवार सभी जब शन्नो बुआ की ससुराल पहुंचे तो यू अचानक आया देख बुआ की ससुराल वाले अचंभित रह गए , शन्नो बुआ की मां, चाची, दादी सब छाती पीट पीट कर रोने लगी तो शन्नो बुआ की सास और अन्य महिलाओं ने पूछा आप लोग ऐसे अचानक से,  क्या हुआ है?…




जब उन्हें सारी बात बताई की फूफाजी की मौत की खबर आई है तो सभी हैरान रह गए और बोले ये खबर झूठी है और तभी फूफाजी विजयी मुस्कान लिए वहा आए और बोले “अप्रैल फूल बनाया, बड़ा मजा आया” और दांत फाड़कर हंसने लगे….

किसी को कुछ समझ नहीं आया की इस मजाक पर हंसे के रोए …

आज कहानी लिखते लिखते ये किस्सा याद आ गया तो आप सब के साथ सांझा कर लिया….और इस घटना के बाद शन्नो बुआ ने भी पीहर में आना कम कर दिया की कही उनकी अनुपस्थिति में फूफा जी फिर कोई नया गुल ना खिला दे….

स्वरचित, सच्ची कहानी

#जन्मोत्सव

पांचवी रचना

कविता भड़ाना

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