तेरा मेरा साथ रहे – अनुपमा

पुनीत के ऐसे व्यवहार से बेला चकित थी, आखिर ऐसा क्या हो गया है लगता है कुछ परेशान है जब से घर से होकर आए है ना ठीक से बात कर रहे है ना ही किसी भी बात का सीधा जवाब दे रहे है , पहले तो कभी ऐसे नही करते थे जरूर कोई बात होगी ।

इसी सोच मैं बेला ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया और पुनीत के सामने कुछ बिल रख दिए जैसे बिजली का बिल और गैस का बिल और बैंक का काम भी था कुछ , पुनीत सब देखकर झुंझला गया , कहने लगा की तुम भी तो पढ़ी लिखी हो कुछ काम खुद भी किया करो हर काम के लिए मुझ पर निर्भर रहती हो अरे आजकल सब कितने एक्टिव है और तुम हो की बस घर मैं पड़े रहना है , कितनी बार कहां है की स्कूटी सीख लो और छोटे छोटे काम खुद कर लिया करो पर नही यहां तो सब्जी भी मैं ही लाकर दू इन्हे ।

बेला से कभी पुनीत ऐसे बात नही करता ,बेला बस उसे देखती रह गई और पुनीत गुस्से मैं बाहर चला गया । बेला सोचने लगी की शायद ऑफिस मैं ज्यादा तनाव है पुनीत को ,और वैसे भी वो सही तो कह रहा था , अपने शहर मैं भी तो जाती थी वो सबकुछ करने अकेले ,पर मुंबई इतना बड़ा शहर है उसे समझ नही आता था यहां कुछ और अभी तीन महीने ही हुए थे उन दोनो को यहां आए ।

बेला ने पोर्च मैं खड़ी स्कूटी निकाली और रोज अभ्यास करने लगी उसे चलाने का धीरे धीरे बेला थोड़ा थोड़ा बाहर जाने लगी , फल सब्जी और छोटे छोटे काम स्वत: ही निपटाने लगी , पर पुनीत का तनाव अभी भी खत्म नहीं हुआ था वो अभी भी वैसे ही झुंझलाता था , एक दिन बेला ने पुनीत को साथ मैं डॉक्टर के यहां जाने को बोला तो पुनीत ने उससे कह दिया की वो खुद चली जाए उसके पास समय नहीं है और ये भी नही पूछा की क्यों जाना है डॉक्टर के यहां ।

पुनीत बेला से बहुत प्यार करता है पर इधर कुछ दिनों से उसका व्यवहार बदल गया है बेला समझ नही पा रही है आखिर ऐसा क्या बदल गया है उन दोनो के बीच जो पुनीत इतना खिंचा हुआ सा रहता है उससे ।



शाम को जब पुनीत घर आया तो उसने बेला को बताया की उसे दो साल के लिए अमेरिका जाना है और परसों उसकी फ्लाइट है , वो चाहे तो यहां रह सकती है नही तो अपने घर भी जा सकती है , पर वो उसे अपने साथ नही ले जा पाएगा ।

बेला को उसने सभी कुछ समझा दिया , सारे पेपर्स , बैंक के काम और कार्ड्स उसे बता दिए , वैसे भी इतने दिन मैं बेला इन सब चीजों से अच्छे से वाकिफ हो चुकी थी ।

आज पुनीत को जाना था , बेला ने सभी कुछ उसकी पसंद का बनाया था , बेला आज उससे पूछना चाहती थी की वो उससे क्यों नाराज है ? पर पुनीत ने उसे मौका नहीं दिया , खाना खा कर वो सोने चला गया और सुबह सुबह चार बजे ही वो एयरपोर्ट के लिए निकल गया ।

बेला रोना तो नही चाहती थी पर इस तरह पुनीत के जाने से वो बहुत उदास हो गई थी और वो खुद को रोक नहीं पायी और फूट फूट के रोने लगी ।

बेला सारे दिन घर मैं अकेले बोर हो जाती थी , पुनीत भी हफ्ते मैं एक या दो बार ही उसे फोन करता था , इस बार जब पुनीत का फोन आया तो उसने पुनीत से जॉब करने के बारे मैं पूछा तो पुनीत ने उसे हां कर दिया , बेला बड़ी खुश हो गई , बेला ने नर्सिंग का कोर्स किया हुआ था ,वह अपने लिए नौकरी ढूंढने लगी ।

जल्दी ही उसे सिटी अस्पताल मैं नौकरी मिल गई , अब बेला का मन भी लग जाता था और दिन भर वो इतना थक जाती की उसे कुछ और सोचने का वक्त भी नही मिलता था ।



एक दिन बेला की सीनियर डॉक्टर उसे अपने साथ चलने को कहा वो किसी काम से टाटा मेमोरियल अस्पताल जा रही थी उन्हे कुछ और भी काम थे तो वो हेल्प के लिए बेला को भी साथ ले गई ।

बेला को मीटिंग रूम के बाहर बैठे बैठे तीन घंटे हो गए थे , वो बहुत उकता गई तो मैडम को मैसेज करके की अस्पताल मैं ही चक्कर लगाने जा रही है आप जब भी फ्री हो जाए तो बुला ले ,ये भेज कर अस्पताल मैं घूमने निकल गई ।

वहां बहुत सारे लोग थे जो कैंसर से लड़ रहे थे और उनके साथ उनके परिवार वाले भी वही बसे से हुए थे ,ये सब देख कर उसका मन द्रवित हो गया ।अचानक उसे एक बेड पर कोई भी नही दिखा सिर्फ मरीज ही लेता था उसके आसपास कोई नही था , बेला को बहुत सहानभूति हुई उससे तो वो उसके पास चली आई ,बेला ने जैसे ही पुनीत को वहां देखा तो उसके मुंह से चीख निकल गई ,बेला बदहवास सी उससे पूछे जा रही थी की ये सब क्या है पुनीत तुमने मुझसे क्यों छुपाया ये सब , तुम तो अमेरिका मैं थे न फिर यहां कैसे , क्या हुआ है तुमको , तुमने ऐसा क्यों किया पुनीत मेरे साथ ?

पुनीत ने उसे गले लगा लिया और बोला मैं नही चाहता था बेला की तुम मुझे ऐसे देखो ,मेरे साथ साथ तुम भी इसे झेलो, मैं तुम्हे हमेशा खुश रखना चाहता था और जब मुझे पता चला की मुझे कैंसर जैसी तुम्हे यूं असहाय नही देख सकता था ,इसलिए तुमसे कहा की तुम खुद काम करना सीखो ।

पुनीत तुमने बस इतना ही समझा था मुझे , विश्वास नही था मुझपार तुम्हे , क्यों सिर्फ सुख का साथी बनाया , दुख अकेले ही झेलने के लिए मुझे छोड़ कर आ गए ।

डॉक्टर मैडम भी वहां तबतक आ चुकी थी और सारा माजरा समझ चुकी थी , उन्होंने बेला को वही रुकने को बोला और स्पेशल परमिशन लेकर बेला को वही शिफ्ट करवा दिया । अब बेला पुनीत का पूरी तरह से खयाल रख सकती थी और उसके पास भी रह सकती थी ।

 

 

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