वो मरकर भी आया – प्रीती सक्सेना

  करीब 38 साल पहले की बात है,,,, मेरे पिता,,, मुरैना जिले की तहसील जौरा में एसडीएम के पद पर तैनात थे,,, मेरी सगाई हो चुकी थी ,,,,, कुछ माह बाद शादी थी। सगाई और शादी के बीच सात माह का अन्तर था,,, इसलिए मैं फ्री थी उन दिनों।

       मेरी सबसे छोटी बहन,,, पांचवीं कक्षा की छात्रा थी,,, वहीं के स्कूल में पढ़ती थी,,, स्कूल का वार्षिकोत्सव होने वाला था ,, जोर शोर से तैयारियां चल रहीं थीं,,,, मैडम,,, पूछताछ कर रहीं थी,,, किसी की दीदी या भाभी को बढ़िया डांस आता है क्या????  मेरी छोटी बहन ने मेरे बारे में बताया,,, मैं स्कूल, कॉलेज में,, डांस ड्रामा में बहुत आगे रहा करती थी,,,, मैडम ने घर पर फोन करके,,, मुझे स्कूल बुलाया,,, और बच्चों को डांस सिखाने का आग्रह किया,,, मैं उन दिनों फुरसत थी,,, इसलिए रोज स्कूल जाती और डांस सिखाकर दो घंटे बाद ,,,, घर वापस आ जाती।

          धीरे धीरे,, वहां की टीचर्स से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई,,, एक टीचर थी राधा,,, मेरी ही उमर की,,, उससे कुछ ज्यादा,, ही, मेरी बनने लगी,,, बहुत साधारण रहती वो,, बहुत ख़ूबसूरत थी राधा,,,, चुपचाप सी,,, अपने में खोई सी,,,, ज्यादा समय साथ न रहने के कारण,,, मैं उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी।

         कुछ दिनो बाद,,, मैडम का फोन आया,,, बच्चों को लेकर ग्वालियर किला और चिड़ियाघर,, ले जा रहे हैं,,, आप भी चलिए,,,, मम्मी ने भी कहा,, छोटी बहन जा रही है,,, तुम भी चली  जाओ,,, तो हम निश्चिंत रहेंगे।

      मैं चली गईं,,,, ट्रेन में राधा मेरे पास ही बैठी थी,,, पैसेंजर ट्रेन थी,,, आराम से चली जा रही थी,,, उस दिन राधा के बारे में बहुत कुछ जाना मैने,,,, जो मैं उसी की तरफ़ से  बताऊंगी  मैं।

   मैं राधा,,, कॉलेज में पढ़ती थी,,, रास्ते में एक बहुत,, आकषर्क लड़का,,, मुझे दिखता,,,, और मेरे साथ साथ चलता,,,, मुझे घर तक पहुंचाता फिर चला जाता,,,, पता नहीं क्यों। मुझे उस पर गुस्सा भी नहीं आता,,, शायद उसे चाहने लगी थी मैं।


       एक दिन  उसे देखकर चौंक गई मैं,,, वो मेरे सामने पुलिस, की वर्दी में खड़ा था,,, इशारे से पूछ रहा था,,, कैसा लग रहा हूं मैं,,, मैं उसे देखकर सतरंगी सपने बुनने लगी,,,, काश ये मेरी जिंदगी में शामिल हो जाए।

    उसने अपने माता पिता से मेरे,, बारे में बात की और रिश्ता भेजने के लिए कहा,,,, उन्होंने साफ इंकार कर दिया,,, हैसियत का हवाला दिया,,, आर्थिक स्तर का अन्तर बताया,,, पर वो भी जिद्दी था,,, बोला,,, कोर्ट में शादी कर लूंगा,,, घर से अलग हो जाउंगा,,, पर शादी तो राधा से ही करूंगा।

            मन न होते हुए भी,,, उसके माता पिता ने आख़िर,, हमारी शादी करवा दी  , पर मुझे  उन्होंने ,,अपनाया नहीं,,, सास हमेशा जली कटी सुनाती रहती,,, ससुर नफरत भरी आंखों से देखते,,,,, मुझे हमेशा काम में लगा देखकर,,, पति ने सभी कामों के लिए काम वालियां ,, लगा दीं,,, अब तो घर में भूचाल आ गया,,, बहू क्या आराम करेगी,,, रईस बाप के घर से आई है क्या?????, इतना कोहराम मचाया,,, कि पति आपा खो बैठे,,, और गेंहू में डालने वाली जहरीली दवा खा ली,,,, बोले अब मैं ही मर जाऊंगा तो आप लोगों,, की परेशानी खतम,,,, मैं उनकी तरफ़ भागी,,, पर मुझे पकड़कर,,, कमरे में बंद कर दिया,,, मैं चिल्लाती रह गई,,,, जब तक उन्हें उठाकर गाड़ी में डाला,,, तब तक उनकी,, मौत हो चुकी थी।

        मुझे धक्के मारकर,, घर से निकाल दिया,,, पिता के घर आ गईं,,, स्कूल में नौकरी कर रही हूं।

 

      उसके बाद जो उसने बताया,,, उसे सुनकर,, मेरी हालत खराब हो गई थी,,, रोंगटे खड़े हो गए थे,,, उसके कहे अनुसार,,,, हर रात,, उसका पति उसके पास आता है,, पति की तरह प्रेम करता है,,, देह संबंध हैं उनके मध्य,,,, उसे इस बात की चिंता थी,,, कि कहीं उसे गर्भ न ठहर जाए,,,, मैं कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी,,,  उसे देखकर ऐसा भी नहीं लगा,,, कि वो पागल हो गई है या उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है,,,, अविश्वास की कोई भी वजह नहीं थी मेरे पास।

  वो आखिरी मुलाकात थी,, राधा और मेरी,,, उसके बाद हम कभी नहीं मिले ।

      आज भी सोचने पर मजबूर हो जाती हूं की,, क्या वो वाकई मरकर भी राधा के पास आता था????

प्रीती सक्सेना

इंदौर

 

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