अपना आकाश – अनुज सारस्वत

************ “बाईक क्यों रोक दी ? तू हमेशा आफिस से लौटते वक्त इसी जगह क्यों रोकता है ?आज तू बता कर ही रहेगाआखिर हुआ क्या है तुझे?” गुड़गांव से दिल्ली जाते वक्त फ्लाईओवर पर इंदिरागांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट जहाँ से रनवे साफ दिखता है, प्रफुल्ल ने बाईक रोकी थी तब पीछे  बैठे अंकित … Read more

रेशमा – पूनम रावल

उस लड़की में ऐसा खास कुछ नहीं था जिस पर कहानी लिखी जा सके । मगर कुछ तो था कि मैं अपने आप को उसके बारे में लिखने से रोक नहीं पाई । सुबह सुबह पार्क के बेंच पर मैं उदास बैठी थी । घर और बच्चो की परेशानियों से मन उदास था । तभी … Read more

चरित्रहीन – पूनम रावल 

र्पाक मे सैर करते हुए मैंने देखा एक नौजवान लड़का एक अधेड़ उम्र की औरत को सहारा दे कर बैंच पर बैठा रहा था।मैंने सोचा शायद माँ और बेटा होंगे।उन्हें देखकर कुछ महिलाएं खुसर पुसर करने लगी ।मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि वे माँ बेटा नहीं हैं लेकिन एक ही घर मे एक साथ … Read more

थैंक्स – कंचन श्रीवास्तव

बहुत जोर की भूख लगी थी,भूख से रिया का हाल बेहाल हो रहा ,पर ससुराल में पहला दिन उसे चुप रहने के लिए मजबूर कर रहा इतने में रवि का प्रवेश कमरे में हुआ। उसे देख को थोड़ी असहज हुई,होना लाजिमी है जिस शख्स से कभी मुलाकात नहीं हुई सिर्फ बात ही बात हुई है।आज … Read more

साथ निभाना साथिया – प्रीती सक्सेना

आज विषय आधारित कहानी लिखने बैठी हूं तो 37 साल 6 महीने का साथ आंखो के सामने घूम रहा है, अच्छा विषय दिया है, इसी बहाने इतना लंबा समय जो हमने साथ गुजारा है , सब दोबारा याद आ जाएगा, जिनकी स्मृतियां धूमिल हो चुकीं थीं। 19 नवंबर 1984 को हम एक दूसरे की जिंदगी … Read more

पति के दिल की रानी हूं मैं ….कृति मेहरोत्रा 

अरे तुम तो बहुत जल्दी वापस आ ग‌ईं ” पतिदेव ने हंसते हुए ताना मारा “  ” तो क्या नहीं आना चाहिए था “?  ” नहीं मेरे कहने का मतलब था कि थोड़े दिन और रूक जाती , तुम्हें हमेशा शिकायत रहती है कि मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं देता हूं कहीं रुकने नहीं देता … Read more

प्यार का दर्द है, मीठा मीठा  प्यारा प्यारा – सुधा जैन

वसुंधरा अपनी उम्र के उत्तरार्ध को पार कर रही है ।वसुंधरा बहुत ही संवेदनशील, भावनाओं से भरी कोमल नारी है। उसके जीवन के पूर्वार्द्ध को देखें तो उसके अनुभव अच्छे नहीं हैं ।जब वे छोटी थी तब अपने ही किसी रिश्तेदार के दुष्कर्म का शिकार होते होते बची, और उन हाथों की चुभन वह अभी … Read more

बैरी पिया? – गरिमा जैन

पति :क्या डार्लिंग फिर से मूंग की दाल की खिचड़ी बना ली। तुम्हारे हाथों में तो जादू है, कुछ और भी बना लिया करो। अरे यह पैकेट में तुमने क्या छुपा के रखा है सोफे पर ।जरूर खाने का सामान पैक करा कर लाई हो। पत्नी : हां लाई तो हूं ,खोलकर देखना चाहोगे? पति … Read more

“ख़्वाबों की फ़सल” – ज्योति मिश्रा

“ओहो ! यार तुम समझती क्यूं नहीं । पिछले पांच सालों से देख रहा हूं मैं तुम्हें। तुम्हारा पड़ोसी हूं मैं । तुम्हारी खिड़की मेरी खिड़की के सामने ही खुलती है। मैंने देखा है बेचैनी से तुम्हें रात_रात भर टहलते हुए ।  लाख छुपाओ तुम मैं जानता हूं, रोहित तुम्हारा पति अपनी उस नेहा के … Read more

सबक – अनुपमा

तनु जल्दी जल्दी कॉलेज जाने को तैयार हुई और घर से बाहर निकल गई ,मां पीछे से आवाज ही देती रह गई नाश्ता तो कर लो ,कुछ खा कर जाया करो घर से , पर तनु के तो कानों को जैसे कुछ सुनाई ही नही दिया , सारे दिन फोन पर टिंग टिंग करते रहना … Read more

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