“बहु या बेटी” – ऋतु अग्रवाल

  “अरे चलो भाई! जल्दी बहू को विदा कराओ। अगर देर हो गई तो जगह-जगह जाम मिलने लगेगा।” “हाँ बात तो सही है,” सतीश जी ने कहा और अपनी पत्नी समिधा जी से कहा कि समधन जी को विदाई के लिए बोलो। थोड़ी ही देर में विदाई शुरू हो गई।बहु अवधि सब के गले लग कर … Read more

आभासी सुंदरता – Dr. Parul Aggrwal

आज मैं आप सभी के साथ एक कहानी नहीं विचार साझा कर रही हूं। जो बताने जा रही हूं कहीं न कहीं उससे हम सभी ही रूबरू हुए होंगे आजकल का दौर टेक्नोलोजी का है, सोशल मीडिया से लेकर तरह- तरह के ऐप आज ही उपलब्ध हैं। कई ऐप की वजह से तो हमारी ज़िन्दगी … Read more

वह लड़की – निभा राजीव

राहुल उन लड़कों में से था, जिन्हें पढ़ाई से कोई मतलब नहीं होता। घर से कॉलेज से निकलना भी उनके लिए आवारागर्दी करने का एक माध्यम मात्र होता है ।               उस दिन भी वहअपना कॉलेज बंक कर दिन भर अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता रहा। जब धीरे-धीरे अंधेरा गहराने लगा तो फिर उन लोगों … Read more

जीवनसाथी – निभा राजीव

निशा जी के पति रजत जी को रिटायर हुए 5 वर्ष हो चुके थे। उनका इकलौता बेटा अमेरिका में कार्यरत था और परिवार के साथ वही बस चुका था। शुरु शुरु में वो हर दिन कॉल करता था, पर अब कभी कभार भूले भटके ही उनकी खबर ले लिया करता है। मन पर पत्थर रख … Read more

चाय की अंतिम प्याली ** – अनिता वर्मा

ऐसा नही है कि पहली बार पत्नी “स्वाति”के बिना  अकेले सो रहा था कई बार ऑफिस के काम से बाहर जाता था पर आज पहली बार ,अपने  शयनकक्ष  मे अकेले सो रहा था रात के 2 बज गए थे पर गौरव की आँखों मे नींद का पता ही नही था । सोचता रहा ना जाने … Read more

एक चम्मच मैगी: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

का होत है लल्ला? अरे अम्मा जो तुम मैदे के लच्छे बनावत रहीन फिर गर्म पानी में डबकाय कर सुखावत रहीन वही अब कंपनी वालन प्लास्टिक में डाल कर बेचत हैं। साथ में एक मसाला के पुड़िया भर कर बोलत हैं इ मैगी हउवे। अरी दादा इ तो बहुते बड़ा झोल है। ‌अम्मा अपने पोते … Read more

मेरी प्रेम कहानी – दुर्गा खीर 

मेरी प्रेम कहानी   ( भाग 1    ) 12वीं पास किया अच्छे खासे परसेंट भी बन गए थे। First   डिवीजन पास हो गई थी। फिर सोचा कंप्यूटर कोर्स कर लु हालांकि स्कूल में कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं था। एक अच्छी मेरी दोस्त थी जिसके साथ में हर बातें शेयर करती थी।एग्जाम के बाद … Read more

छुट्टियां – भगवती सक्सेना गौड़

अक्षरा मॉल में घूमकर विंडो शॉपिंग में मस्त थी, यूँ प्रतीत हो रहा था, आज तो ये विशाल मॉल ही घर ले जाएगी। असल मे मंटू के एग्जाम भी हो चुके थे, मायके जाने की तैयारी थी। उसने परिवार के हर सदस्य के लिए कुछ न कुछ खरीदा, फिर ध्यान आया, अरे मेरी प्यारी सी … Read more

मेरे हिस्से में मां आई…..निधि मितल

एक समय था जब हमारे घर में सात लोग थे मम्मी पापा और हम पांच भाई बहन, फिर पहले बिमारी से पापा चल बसे। और फिर एक एक करके बहनें भी ससुराल की हो गई। धीरे धीरे छोटा घर अपने आप ही बड़ा हो गया। तीन बहनों की शादी हो गई और फिर घर में … Read more

क्या खुश रहने के लिए शादी जरूरी है? – रंजीता अवस्थी

मेरी पढ़ाई लखनऊ में नवयुग डिग्री कॉलेज की है। जब हम पढ़ते थे तो वहां अधिकतर प्रोफेसर्स अविवाहित थे। उनको देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे उनसे खूब पढ़ाई करने की प्रेरणा मिलती थी। मैंने तो सोच भी लिया था कि खूब पढूंगी और अपनी मैडम जैसी ही प्रोफेसर बनूंगी। जिंदगी बढ़ती गई और … Read more

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