चरणस्पर्श – दीप्ति सिंह (स्वरचित व मौलिक)

 “फेरों के बाद वर-वधू अब गौरी-शंकर का रूप में है वधू के माता-पिता दोनों के चरणों को जल से प्रक्षालन करके चरणस्पर्श करेगें ” पंडित जी बोले। ” पंडित जी !फिर तो मेरे माता-पिता को भी हम दोनों के चरणस्पर्श करने चाहिए उन्हें भी गौरी-शंकर का आशीर्वाद मिल जाएगा। ” आर्यन बोला “नही! यह रस्म … Read more

जीवनचक्र – डॉ. पारुल अग्रवाल

संदेश देने के लिए सोशल मीडिया पर छाए हुए थे। दूसरी तरफ दिनेश बैठा हुआ अपने पिछले दिनों को याद कर रहा था, जब उसकी मां बिस्तर पर थी और जीवन-मृत्यु के बीच जंग लड़ रही थी तो उसकी पत्नी और वो अपनी ही दुनिया में व्यस्त थे। वो किडनी के दर्द से तड़फती रहती … Read more

मायका टूरिस्ट  प्लेस  से  भी आगे – उमा वर्मा

मायका टूरिस्ट  प्लेस  से  भी आगे बहुत कुछ है ।यादों के खजाने में असीमित भंडार  भरे पड़े हैं ।किसे याद करें किसे छोड़ दे।नहीं छोड़ देने  जैसा कुछ भी नहीं है ।किसे मायका कहें? वह छःदशक पहले वाली? वह गांव देहात में खूब बडा सा हवेली नुमा  घर ।जहां पूरा कुनबा समाया रहता था ।दादा … Read more

ईश्वर का कैमरा – भगवती सक्सेना गौड़

बैंक मैनेजर रमेश अपनी कुर्सी पर बैठकर जल्दी जल्दी सारी ईमेल फाइल्स चेक कर रहे थे, तभी कोई बुजुर्ग दरवाजा खोलते हुए अचानक आफिस में घुसे। उन्होंने जोर से चपरासी राजू को इण्टरकॉम पर कहा, “कहाँ हो, ध्यान नही रखते हो, कैसे बिना बताए कोई आ जाता है।” दौड़ते हुए राजू ने आकर कहा, “सर्, … Read more

नोक झोंक – रीटा मक्कड़

“सुनो आज लगता है पुदीने की चटनी में तुम हरी मिर्ची डालना भूल गयी हो..” “क्या कह रहे हो कभी मिर्ची के बिना भी चटनी बनती है” “सच कह रहा हूँ खुद ही खा कर देख लो..आज तो दाल भी बीमारों जैसी लग रही है बिल्कुल फीकी सी..!!” “अब इस उम्र में कितनी मिर्ची खाओगे..रोज़ … Read more

मायका:बेटियों का आसरा – ऋतु अग्रवाल

अरुणिमा एक उच्च वर्गीय संपन्न परिवार की लड़की थी।ताऊ-चाचाओं का बहुत बड़ा संयुक्त परिवार, हाई क्लास बिजनेस और नौकर चाकरों का रेला तो परिवार में बहू बेटियों को ज्यादा काम करने की आदत नहीं थी। अरुणिमा देखने में औसत ही थी और पढ़ाई में भी औसत। पर परिवार वाले चाहते थे कि दामाद खूबसूरत होने … Read more

मायका : बेटियों का टूरिस्ट प्लेस   अरुण कुमार अविनाश

नैना देवी बहुत बीमार थी।    डॉक्टर ने अत्यधिक देखभाल की ज़रूरत बतायी थी। इलाज लंबा चलने वाला था – जिसमें उचित दवाइयों के साथ-साथ समुचित परहेज़ भी तजवीज़ की गई थी। स्थिति ये थी कि या तो महीनों अस्पताल में भर्ती रहतीं या घर में अस्पताल जैसा माहौल बना दिया जाता।   आर्थिक स्थिति … Read more

स्वर से स्वर मिले – सरला मेहता

” अरे, ये कौन है ? ये तो स्वरा लग रही है। सफेद साड़ी व लम्बी दो चोटियों में कॉलेज आती थी। यथा नाम तथा मधुर आवाज़। सबने उसका नाम लता ही रख दिया था। और आज ये लकदक बनारसी साड़ी व गहनों में पूरी सेठानी लग रही है। ” कोई पहचान वाला देखता तो … Read more

खोया पीहर लौट आया – रीता मिश्रा तिवारी

******************** टूल पर रखी चाय  ठंडी हो गई और मान्या वालकोनी में चुपचाप उदास बैठी थी। सामने ही रास्ते के उस पार के एक घर के आंगन में आम से लदा पेड़ था। पेड़ के नीचे चार पांच बच्चे धमा चौकड़ी मचा रहे थे। कोई उचक कर तो कोई गुलेल से कोई डंडा मारकर आम … Read more

मायका – साधना भटनागर

‘ मायका ‘शब्द सुनते ही मन बाग-बाग होने लगता है।’मायका’ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही लड़कियों में कोई न कोई भाव अवश्य ही आता है।किसी का मीठा ,किसी का खट्टा,किसी का कड़वा।यादों से भरपूर होता है ‘मायका’।जहाँ हमने आयु के हर बसन्त  देखे होते हैं।सब लड़कियों ने परिस्तिथियों के अनुसार जीवन बिताया होता … Read more

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