नीम की छांव – वंदना चौहान

ट्रीन, ट्रीन , ओह!  डोर वेल , आई बाबा । गेट खुलते ही रमन का गले में बाहें डाल कर,” आई हैव अ सरप्राइज फॉर यू।”  क्या बात है ? पापा, पापा पहले हम सुनेंगे सरप्राइज।  दोनों बच्चे अपना-अपना गेम छोड़कर दौड़ते हुए गेट पर आ गए । हाँ,हाँ सब को एक साथ बताऊँगा, चलो … Read more

बदनाम मायका – अनुपमा

शशि और कांता की उम्र मैं ज्यादा फासला तो नही दिखता था , होगा यही कोई दस बारह साल का अंतर अंदाजन , स्वभाव मैं बिलकुल विपरीत थी दोनो ,कोई नही जानता था क्या रिश्ता था दोनो का पर जिसने भी उन्हे यहां देखा एक दूसरे के आसपास ही देखा । शांति से हर कोई … Read more

बेटियाँ तो अभिमन्यु पैदा होती हैं – नीरजा कृष्णा

गौरांग वर्क फ्रॉम होम कर रहा हैआजकल। विनीता बहुत कुशल गृहिणी है।वो शाम को चाय और पकोड़े बना कर ले आई..”अरे! आजकल तुम्हारी तबियत ठीक नही है, तुम इतना काम अकेले मत किया करो प्लीज़! मेरा ऑफ़िस का काम भी बस खत्म ही हो रहा था ! अच्छा खैर, बैठो ,चाय साथ में पीते हैं।” … Read more

भूकंप – भगवती सक्सेना गौड़

सब सहेलियां साथ ही स्कूल जाती थी, दो किलोमीटर की दूरी थी। गप शप, मस्ती करते हुए वो दूरी उन्हें पता ही नही चलती थी। राह के लोगो पर फब्तियां कसती आगे बढ़ती जाती थी। रोज एक रिकशे मे पतली सी महिला को सिर झुकाए जाते देखती थी, उसे देखते ही रोजी गुनगुनाने लगती, “न … Read more

चरणस्पर्श – दीप्ति सिंह (स्वरचित व मौलिक)

 “फेरों के बाद वर-वधू अब गौरी-शंकर का रूप में है वधू के माता-पिता दोनों के चरणों को जल से प्रक्षालन करके चरणस्पर्श करेगें ” पंडित जी बोले। ” पंडित जी !फिर तो मेरे माता-पिता को भी हम दोनों के चरणस्पर्श करने चाहिए उन्हें भी गौरी-शंकर का आशीर्वाद मिल जाएगा। ” आर्यन बोला “नही! यह रस्म … Read more

जीवनचक्र – डॉ. पारुल अग्रवाल

संदेश देने के लिए सोशल मीडिया पर छाए हुए थे। दूसरी तरफ दिनेश बैठा हुआ अपने पिछले दिनों को याद कर रहा था, जब उसकी मां बिस्तर पर थी और जीवन-मृत्यु के बीच जंग लड़ रही थी तो उसकी पत्नी और वो अपनी ही दुनिया में व्यस्त थे। वो किडनी के दर्द से तड़फती रहती … Read more

मायका टूरिस्ट  प्लेस  से  भी आगे – उमा वर्मा

मायका टूरिस्ट  प्लेस  से  भी आगे बहुत कुछ है ।यादों के खजाने में असीमित भंडार  भरे पड़े हैं ।किसे याद करें किसे छोड़ दे।नहीं छोड़ देने  जैसा कुछ भी नहीं है ।किसे मायका कहें? वह छःदशक पहले वाली? वह गांव देहात में खूब बडा सा हवेली नुमा  घर ।जहां पूरा कुनबा समाया रहता था ।दादा … Read more

ईश्वर का कैमरा – भगवती सक्सेना गौड़

बैंक मैनेजर रमेश अपनी कुर्सी पर बैठकर जल्दी जल्दी सारी ईमेल फाइल्स चेक कर रहे थे, तभी कोई बुजुर्ग दरवाजा खोलते हुए अचानक आफिस में घुसे। उन्होंने जोर से चपरासी राजू को इण्टरकॉम पर कहा, “कहाँ हो, ध्यान नही रखते हो, कैसे बिना बताए कोई आ जाता है।” दौड़ते हुए राजू ने आकर कहा, “सर्, … Read more

नोक झोंक – रीटा मक्कड़

“सुनो आज लगता है पुदीने की चटनी में तुम हरी मिर्ची डालना भूल गयी हो..” “क्या कह रहे हो कभी मिर्ची के बिना भी चटनी बनती है” “सच कह रहा हूँ खुद ही खा कर देख लो..आज तो दाल भी बीमारों जैसी लग रही है बिल्कुल फीकी सी..!!” “अब इस उम्र में कितनी मिर्ची खाओगे..रोज़ … Read more

मायका:बेटियों का आसरा – ऋतु अग्रवाल

अरुणिमा एक उच्च वर्गीय संपन्न परिवार की लड़की थी।ताऊ-चाचाओं का बहुत बड़ा संयुक्त परिवार, हाई क्लास बिजनेस और नौकर चाकरों का रेला तो परिवार में बहू बेटियों को ज्यादा काम करने की आदत नहीं थी। अरुणिमा देखने में औसत ही थी और पढ़ाई में भी औसत। पर परिवार वाले चाहते थे कि दामाद खूबसूरत होने … Read more

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