त्याग के उसूलों की हार –  प्रेम बजाज

सब कुछ तो साफ था मेरे सामने। सारे रास्ते खुले थे फिर क्यों नहीं जिंदगी को अपना सका मैं?  क्यों मैं  पीछे मुड़कर नहीं देख पाया? क्या यह जिंदगी मेरी जरा सी भी नहीं है? अगर इसे मैंने खुद चुना है तो अब  क्यों मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ?  उसने तो कहा था मुझे … Read more

मेरे जीवनसाथी  – मीनाक्षी सिंह

जब मेरा विवाह हुआ तब मेरे पति दिल्ली की एक बड़ी कंपनी  में इंजीनियर थे ! बी .टेक  किये  हुए थे ! ये काफी  स्मार्ट  लगते थे अपनी कंपनी यूनिफोर्म में बहुत  ज़मते थे !  जब मेरी सरकारी नौकरी  लगी ! हमारे  आगे काफी बड़ी समस्या आ गयी बच्चों को कौन देखेगा ! क्योंकी मेरा … Read more

सत्य की खोज – भगवती सक्सेना गौड़

आज इशिता अपने पापा की लिखी पुस्तक के विमोचन समारोह में शानदार स्टेज पर खड़ी है। पुस्तक का नाम “सत्य की खोज” है। उसके पापा का नाम स्वर्गीय करण सिंह है। जीते जी उन्हें पता ही नही था, कि उनकी प्यारी बेटी, उनके लिखे शब्दो को एक पुस्तक की मंजिल तक पहुँचाएगी। “अब गणमान्य अतिथियों, … Read more

सिर्फ तुम और कुछ नहीं” –  रचना कंडवाल

ओहो! मेजर साहब हमारी और आपकी शादी को कितने साल हो गये हैं?? बताइए न?? ऐसा कहते हुए कल्पना  मुस्कुरा उठी। मेजर धीरेन्द्र प्रताप सिंह झुंझलाहट भरी नजरों से उसे देख कर अपना फोन अटेंड करने लगे। फोन बंद करते ही उसकी ओर मुखातिब हुए और डपटते हुए बोले। अभी इस कैलकुलेशन का वक्त नहीं … Read more

तर्पण – किरण केशरे

आज कंचन के ससुर जी का श्राद्ध था , पिछले साल बीमारी के चलते उनका देहांत हो गया था,नरेश की जिद थी , वृद्धाश्रम में जाकर वहाँ सबको भोजन कराया जाए  ! लेकिन घर पर तर्पण ,ब्राह्मण भोजन आदि के पक्ष में नही था ! लेकिन कंचन का मन नही मान रहा था ! वह … Read more

अपनी ही आत्मा की हत्या – रंजना बरियार

आँटी वो महिला कौन हैं, जो बिल्कुल श्वेत, काले बॉडर की सिल्क की साड़ी पहन कर उस किनारे बैठी हैं?” मैंने अजनबी सी महिला को देखकर अर्पिता की मम्मी से पूछा। आँटी ने कहा ” वही है मंजुआ…अर्पिता के बेटे की शादी में उसका होना तो ज़रूरी है क्योंकि अंकल जाते जाते अर्पिता को कह … Read more

अपराधी कौन ? – बेला पुनीवाला

 उर्वी की शादी अभी कुछ दिन पहले ही हुई थी, उर्वी के ससुराल में उसके सास-ससुर, उसका पति उमेश और उसका एक छोटा देवर सब साथ में रहते थे, उर्वी का  पति उमेश किसी कंपनी में मामूली सी नौकरी करता था, घर में कमाने वाला सिर्फ़ वह एक अकेला ही था, उमेश के पापा  टीचर … Read more

एक पिता के लिए माँ बनना आसान नहीं – संगीता अग्रवाल 

आज के तीन साल पहले मेरी पत्नी  शोभा की मृत्यु कैंसर से हो गई थी। अपने पीछे अपनी एकलौती बेटी मिनी को छोड़ गई थी जो सिर्फ 9 साल की थी । मेरी माँ थी तो उतना दिक्कत नहीं थी लेकिन इस साल माँ भी स्वर्ग सिधार गई।   मेरे लिए अब मिनी को संभालना बहुत … Read more

त्याग, तपस्या या समर्पण – बालेश्वर गुप्ता

  अरे नरेंद्र कहाँ चला गया, जल्द आ।     मैं कहीं नही गया बापू, मैं यहीं हूँ। जल्दी से केतली में गर्म चाय भर ले, देख ट्रेन आने वाली है, प्लेटफॉर्म पर पहुंच जा।आज तो नाम मात्र की बिक्री हुई है, कोशिश करना बेटा, सब चाय बिक जाये। ठीक है बापू। यह संवाद उस बाप बेटे का … Read more

अपनो से अपनी बात – उमा वर्मा 

 शारदा जी कई दिनो से बहुत बेचैन हैं ।किसी से कुछ कह ही नहीं पाती ।कोई समझेगा भी नहीं ।पति कुछ साल पहले गुजर गए थे ।दो बेटे हैं ।राजीव और रंजन ।पति के रहते ही दोनों की शिक्षा पूरी हो गई है अब दोनों की नौकरी भी लग गई थी ।बड़ा बेटा मुम्बई में … Read more

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