बदलाव  – आरती झा”आद्या”

  एक आम सी गृहिणी है सुचित्रा। सबके काम पर निकलने के बाद सुबह के काम निपटाने के क्रम में बिछावन ठीक करती हुई, उसी बिछावन पर निढ़ाल सी बैठ जाती है।  क्या हो गया उसे.. एक जगह मन ठहरता ही नहीं है.. हमेशा अतीत में भटकने की आदत सी हो गई है मुझे…सुचित्रा सोचती … Read more

चरित्र से समझौता – कमलेश राणा

निधि एक छोटे से कमरे में लेटी हुई है, दो दिन से कुछ खाया भी नहीं है,, शरीर में इतनी भी ताकत नहीं है कि बाहर जाकर कुछ ले आये और सच तो यह भी है कि गांठ में पैसे भी नहीं हैं,, ऐसे में माँ, पापा, भाई, बहन सारा परिवार बहुत याद आ रहा … Read more

वो कौन था प्रीति?? – गरिमा जैन 

यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है अंकुर बेटा मैं तेरे लिए एक से एक लड़कियों की तस्वीरें लेकर आई हूं । यह देख यह  मालती है ।इसकी आंखें कितनी सुंदर है और यह या चंदा है इसके बाल कितने लंबे और सुनहरे हैं । “मां मैं तुमसे कितनी बार कह चुका हूं मैं … Read more

चाहत आँखों की – विजया डालमिया

…..”अर्थ ,मैंने कितनी बार कहा तुमसे, मेरा पीछा मत करो। मैं तुमसे प्यार नहीं करती”। जैसे ही आलिया ने यह बात कही अनु नींद से जाग गई। उसने देखा आलिया नींद में बार-बार यही बात कह रही थी ।अनु ने जैसे ही उसके सर पर हाथ रखा वह चौंक कर जाग उठी। पसीने से तरबतर … Read more

सांझ की बेला पंछी अकेला – सुषमा यादव

,, एक मूलमंत्र मैंने पा लिया है, नज़रिया बदलो तो नज़ारे बदल जायेंगे, चारों तरफ़ खुशनुमा माहौल नजर आयेंगे,, जहां हमारे भीतर कहीं खो जाने का डर है, वहां हम अपने साहस और उम्मीद को बनाये रखेंगे,,, बड़ी बेटी रीना जब छः साल की थी,तब से उसके पापा राम उसे बोर्डिंग स्कूल में डालने की … Read more

किस्मत का अनोखा खेल – डॉ. पारुल अग्रवाल

नन्ही सी फ्रॉक पहनकर घूमने वाली कृति,आज दुल्हन के लिबास में सजी धजी ऐसे लग रही थी कि जैसे कोई अप्सरा उतर आई हो। संध्या की तो जैसे जान बसती थी उसमें, विदाई के समय मां-बेटी का एक दूसरे से अलग होते हुए बुरा हाल था। पर कहते हैं ना कि ये विदाई ऐसी विदाई … Read more

मेरा नाम ही मेरी पहचान है – संगीता अग्रवाल

सुरीली हां यही नाम था उसका बिल्कुल उसके नाम के अनुरूप कितनी सुरीली आवाज थी उसकी जो कानों में रस घोलती थी। गांव में भले रहती थी सुरीली पर दसवीं जमात पढ़ी थी तो समझदार भी थी। “मेरी सुरीली अगर किसी मुर्दे के कान में भी बोल दे तो उसमे भी जान आ जाए!”बाबा अक्सर … Read more

आत्मसम्मान से समझौता नहीं करूंगी” – प्रियंका मुदगिल

पता नहीं, यह सपना था या कोई भ्रम….. अभी थोड़ी देर पहले ही रुचि की आंख लगी थी।उसे महसूस हुआ कि जैसे खिड़की से कोई झांक रहा है। वह हड़बड़ा कर उठ  खड़ी हुई और दरवाजा खोलकर बाहर देखने लगी। लेकिन उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया। तभी उसके पति विवेक की आंख खुली। विवेक … Read more

शक्ति स्वरुपा देवी – पुष्पा जोशी

केशव एक धनाढ्य, संयुक्त परिवार का सबसे छोटा बेटा है। जिसकी शादी अभी तीन महीने पहले हुई है,पत्नी पढ़ी लिखी संस्कारी लड़की है। मोहिनी को बड़ों का सम्मान करना, रिश्तों को मान देना,काम जिम्मेदारी से करना,सभी से प्रेम करना आता है।सही ग़लत का अर्थ समझती है,गलत बात उसके बर्दाश्त के बाहर है, वह प्रगतिशील विचारों … Read more

शादी में आत्मसम्मान से समझौता कभी नहीं– राशि रस्तोगी 

“बहू, ये मेरा पर्स ले लो.. तुम्हारे बैगनी रंग की ड्रेस से मैच हो रहा है”शादी के बाद रिसेप्शन के लिये जाती हूँ पूजा को उसकी सासू माँ मुक्ता जी ने कहा| पूजा बड़ी ख़ुश हुई कि,” वो कितनी खुशनसीब है जोकि इतना ध्यान रखने वाली सासू माँ मिली है”| आइये पढ़ते है पूजा की … Read more

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