चरित्र से समझौता – कमलेश राणा

निधि एक छोटे से कमरे में लेटी हुई है, दो दिन से कुछ खाया भी नहीं है,, शरीर में इतनी भी ताकत नहीं है कि बाहर जाकर कुछ ले आये और सच तो यह भी है कि गांठ में पैसे भी नहीं हैं,,

ऐसे में माँ, पापा, भाई, बहन सारा परिवार बहुत याद आ रहा है,, सब कुछ तो दिया था ईश्वर ने उसे,, किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी,,

जरा भी उदास दिखती तो छवि उसे तब तक गुदगुदी करती रहती जब तक वह खिलखिलाकर हँस नहीं देती,, माँ उसके पसंद के तरह तरह के व्यन्जन बनाती और बड़े आग्रह के साथ खिलाती,, उस समय उसे इसकी कदर नहीं थी पर आज जब कोई पूछने वाला नहीं है तो एक एक बात रह रह कर याद आ रही है,,

बचपन से ही बहुत खूबसूरत थी वो,, जो भी देखता यही कहता,, भगवान ने बड़ी फुर्सत में बनाया है तुम्हें,, जैसे जैसे बड़ी होती गई उसे इस बात का अहसास होने लगा कि उसकी नशीली चितवन किसी को भी मदहोश करने के लिए काफी है,,

चिकने गोरे गालों पर काला तिल तो जैसे उसे नजर से बचाने के लिए ईश्वर ने ही लगा कर भेजा था,, जब हँसती तो गालों के डिंपल देखकर तो न जाने कितने मनचलों की छाती पर साँप लोट जाते,,

काले घुँघराले बाल और मदमस्त चाल आमंत्रण देती प्रतीत होती,, उसपर मोहक मुस्कान तो बस पूछो ही मत,,

पर वो किसी को अपने पास भी नहीं फटकने देती,, बस दीवानों को तड़पाने में ही मज़ा आता उसे,,

कॉलेज में एक प्रोग्राम का संचालन करते हुए न्यूजपेपर में फोटो छपा उसका,, उसके कुछ दिन बाद ही चंडीगढ़ में ब्यूटी कांटेस्ट होने वाला था,, जब उसके ऑर्गनाइजर की नजर उस फोटो पर पड़ी तो उसने निधि से संपर्क किया,,

निधि के माता पिता को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं था पर वह इसमें हिस्सा लेना चाहती थी,, उसकी मर्जी के आगे उन्हें भी घुटने टेकने पड़े,,

प्रतियोगिता हुई और निधि को मिस चंडीगढ़ का खिताब मिल गया,, अब उसकी खुशी का पारावार नहीं था,, इस सफलता ने उसके सपनों को पंख लगा दिये और वह फ़िल्मों में हीरोइन बनने के ख्वाब देखने लगी,,



उसकी एक सहेली के दूर के रिश्ते की बहन टीवी सीरियल में छोटे मोटे रोल करती थी,, निधि ने उससे मिलने का निश्चय किया,, अपने रूप और यौवन पर उसे इतना ज्यादा विश्वास था कि कोई भी उसे रिजेक्ट कर ही नहीं सकता,, उसे तो देखते ही फिल्म प्रोड्यूसर तुरंत साइन कर लेगा,,

सबने बहुत समझाया यह मायानगरी है जितनी लुभावनी दिखती है उतनी है नहीं,, पर वह नहीं मानी और मुंबई पहुँच गईबड़ी बड़ी इमारतें,बड़ी बड़ी कारें, वेस्टर्न छोटे छोटे कपड़े पहने युवतियाँ उसे लुभा रही थी,,

दिशा का एड्रेस था ही उसके पास,, उसकी बहन के द्वारा पहले ही दिशा से बात हो गई थी उसकी,, वह तो सोचती थी, वह किसी आलीशान बंगले में रहती होगी पर जब वह ढूंढते हुए एक खोली के सामने पहुंची तो धक्का सा लगा, उसे,,

उसके शहर में थोड़े पैसे आते ही लोग बढ़िया सा मकान खरीद लेते हैं,, खैर दिशा से मिलकर तसल्ली हुई उसे,, अगले दिन वह उसे अपने साथ शूटिंग पर ले गई,, एक ही शॉट को बार बार रीटेक करना बड़ा बोरिंग लग रहा था देखने में,,

दिशा ने उसे अपने एक दो फ्रेंड्स से मिलवाया,, उनका खुला व्यवहार अजीब लग रहा था उसे,, एक फ्रेंड उसे फोटोशूट के लिए ले गया,, जहाँ तहां टच करना जैसे नॉर्मल था उनके लिए,, पर कुछ कह भी नहीं पा रही थी,,

एक दो छोटे मोटे रोल मिल गये दो चार मिनट के,, पर उसे तो हीरोइन बनना था अतः वह अपनी फोटो फाइल लेकर स्टूडियो के चक्कर काटने लगी,, एक प्रोड्युसर ने उसे अपने केबिन में बुलाया और अपने सामने फोटोशूट कराने के लिए कहा,,

वो शूट बहुत कम कपड़ों में होना था,,वह असहज़ महसूस कर रही थी,,दिल तैयार नहीं हो रहा था पर दिमाग रंगीन सपने देख रहा था,, प्रोड्यूसर की कामुक नजरें सारे समय उसके बदन पर ही चिपकी रहीं,, बड़ा ही घिनौना अहसास था वो,,



सेक्रेटरी ने उसे दो दिन बाद आने के लिए कहा,, ये दो दिन बड़ी बेकरारी में गुजरे उसके,, तीसरे दिन जब वह पहुंची तो उसने कहा सर ने आपको रात को रॉयल इन होटल में बुलाया है,, अगर तुम उनको खुश कर दोगी तो समझो इंडस्ट्री में तुम्हारा ही राज्य होगा,,

यह क्या कह रहे हो तुम,, फिल्म तो टैलेंट के आधार पर ही मिलेगी न,,

अरे मैडम,, इस नगरी में बस एक ही टैलेंट है,, समझौता,, आप उन्हें खुश कर दो वो आपको खुश कर देंगे,,

तो अपने साहब से कह देना,, मेरा इंतज़ार न करें,, और वह घर आकर फफक पड़ी,,

दिशा को सारी बात बताई तो उसने भी यही कहा,, निधि, बिना समझौता किये कोई काम नहीं देता यहाँ,, अब मेरे पास भी पैसों की तंगी है,, तुम कोई और ठिकाना ढूंढ़ लो,,

निधि के पास अब कोई ठिकाना नहीं था,, पर उम्मीद अभी भी कायम थी,, वह रोज नये नये स्टूडियो के चक्कर लगाती पर हर बार बात एक ही बात पर आकर खत्म हो जाती,, चरित्र से समझौता,,

कहीं कहीं कोई दया करके एक्स्ट्रा का काम दे देता तो पेट भर खा लेती और अपने जैसी ही एक और दुखियारी के साथ एक छोटी सी कोठरी में गुजर करती,, धीरे धीरे मन के साथ तन भी कमजोर होने लगा,, घरवालों से शर्म के मारे कुछ कह नहीं पा रही थी,, वो जब भी पूछते तो यही कह देती बहुत अच्छा काम चल रहा है उसका,,

तब उसके साथ वाली लड़की ने एक दिन मोबाइल से उसके घर सूचित किया तो माता पिता दौड़े दौड़े चले आये,, उसकी हालत देखकर सन्न रह गये और उसे सीने से लगा कर बिलख पड़े,, इतने कष्ट क्यों उठाये तुमने,, घर क्यों नहीं आ गईं,,

क्या मुँह दिखाती आपको,, कितने विश्वास के साथ आई थी यहाँ,,

पर एक बात का सुकून है मुझे कि मैंने अपने चरित्र का सौदा नहीं किया माँ,,

बेटी तुमने हमारे संस्कारों की लाज रख ली, अब अपने घर चलो,, अपने घर में ही स्वर्ग है,,

#समझौता

कमलेश राणा

ग्वालियर

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