वो कौन था प्रीति?? – गरिमा जैन 

यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है

अंकुर बेटा मैं तेरे लिए एक से एक लड़कियों की तस्वीरें लेकर आई हूं । यह देख यह  मालती है ।इसकी आंखें कितनी सुंदर है और यह या चंदा है इसके बाल कितने लंबे और सुनहरे हैं ।

“मां मैं तुमसे कितनी बार कह चुका हूं मैं जिंदगी में समझौता करने के लिए तैयार नहीं हूं । इनमें से कोई भी लड़की प्रीति की पैर की धूल भी नहीं है।”

” बेटा तू समझता क्यों नहीं ?प्रीति तुझ से अब बहुत आगे निकल चुकी है ।उसे खुली हवा में उड़ने दे। उसे पंछी बनकर नई ऊंचाइयां छूने दे ।माना तुम दोनों एक ही स्कूल में पढ़े हो एक ही मोहल्ले में बढ़े हुए हो पर अब प्रीति पढ़ाई-लिखाई करके मुंबई जा रही है ,वहां नौकरी करेगी, तू अपने शहर में खुश रह ,खूब तरक्की कर, फिर एक अच्छी सी लड़की देख कर शादी कर ले और अपना परिवार बना ।”

“नहीं मां नहीं मैं समझाता नहीं करूंगा  ।क्या हुआ जो अगर मैं पढ़ लिख नहीं पाया !!मैं किसी से कम नहीं हूं । तुम्हें याद है ना प्रीति मुझसे कितनी मदद लेती थी !!वह कह नहीं पाई लेकिन वह मुझसे प्रेम करती थी ।”

“नहीं अंकुर बेटा वह प्रेम नहीं था । वह सिर्फ एक दोस्त के तहत तुझसे बात करती थी और याद है ना जब तूने उसे शादी के लिए कहा था तब उसका जवाब  नहीं सुना था !!”

“अरे मां वह अपने परिवार के दबाव में है । देखना जब मैं मुंबई में उससे मिलूंगा ना, तो वह कैसे मेरी बाहों में बिखर जाएगी। तुम्हें पता है ना मैं ट्रेन से उसके साथ साथ मुंबई जाऊंगा ।जब वह मुझे देखेगी तो उसका चेहरा गुलाब सा खिल उठेगा ।”

“अंकुर बेटा मत कर यह सब ।तू किस राह पर चलना चाहता है। अगर उसने तुझे मना कर दिया तो तू क्या करेगा ??”



“मां तू हमेशा बुरी बात ही क्यों बोलती है  ।कभी शुभ शुभ भी बोल लिया कर और यह जो लड़कियों की तस्वीर लेकर घूम रही है इनमें से कोई भी प्रीति की पैरों की धूल तक नहीं है। मैं अगले हफ्ते ही मुंबई जा रहा हूं ।प्रीति और उसके पिता भी साथ होंगे। मैं किसी को बताऊंगा नहीं छुप कर जाऊंगा।उसे सरप्राइज दूंगा।”

10 दिन बीत जाते हैं ।मोहल्ले में कोहराम मच जाता है जब मालूम पड़ता है कि प्रीति ने मुंबई के एक अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया ।मुंबई रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही किसी लड़के ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था। प्रीति के मां-बाप उस से लगातार पूछते हैं “वह कौन था प्रीति ?””वह कौन था जिसने तेरे चेहरे पर तेजाब फेंका “लेकिन इतनी भीड़ में प्रीति उसका चेहरा देख ही नहीं पाई थी । शायद उसने अपने चेहरे पर एक रुमाल बांध रखा था ।

वह कौन था उसकी शिनाख्त अभी तक नहीं हो पाई थी लेकिन प्रीति इतनी बुरी तरह उस एसिड अटैक से घायल हो चुकी थी कि बड़े से बड़ा डॉक्टर भी उसे बचा नहीं पाया। 4 दिन तड़पने के बाद उसने दम तोड़ दिया ।जब अंकुर की मां यह खबर सुनती है तो उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगती है। जल्दी-जल्दी वह अपने घर के दरवाजे बंद करने लगती है उसे ऐसा लगता है खिड़कियां दरवाजे बंद करने से यह खबरें उसके घर तक नहीं आ पाएंगी और उसे पूरा यकीन है कि वह लड़का कोई और नहीं उसका लाडला बेटा अंकुर ही था!! जो प्रीति के प्यार में बल्कि कह सकते हैं एक तरफा प्यार में दीवानों की हद तक पागल हो चुका था!!

पुलिस अंकुर की तस्वीर कुछ ही दिनों में सीसीटीवी कैमरे से प्राप्त कर लेती है। प्रीति की एक सहेली बयान देती है कि प्रीति ने उसे बताया था कि अंकुर उस पर शादी करने का दबाव बना रहा था और उसने शादी करने से मना करने पर  उसे धमकी दे रहा था।अंकुर की मां अपने बेटे को नहीं बचा पाती ।वो उसे इतना  समझाती है लेकिन उसका बेटा किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं था ।

अंकुर आज जेल में है और अपने जीवन के हसीन तरीन लम्हे जिन्हें वह बहुत खुशगवार बना सकता था वह जेल की काली कोठरी में यातनाएं सहते बिता रहा है। क्या जीवन में कभी कभी समझौता कर लेना अच्छा नहीं होता ?और समझौता क्या है ?परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढाल लेना । हमें मनुष्य जीवन किस लिए मिला है कि हम अपने बल और विवेक से अपना जीवन अपने दम पर जी सके। समझौता करना कोई बुरी बात नहीं लेकिन हां समझौता करते समय हमें अपने आत्मसम्मान का भी ध्यान रखना चाहिए ।अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए ।अगर समझौता विवेक को ध्यान में रखकर किया जाए और अपनी गरिमा बनाए रखी जाए तो वह हमें जीवन में नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

#समझौता

स्वरचित

गरिमा जैन 

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