स्वाभिमानी – बरखा दुबे शुक्ला 

“मम्मी आपका लाड़ला बेटा शादी के लिए माना कि नही ,मेरी जेठानी को क्या जवाब दूँ , वो उसके लिए अपनी भतीजी के लिए बोल रही है ।”लीना ने पूछा ।

“बेटा मैं तो समझा – समझा कर हार गई ,पर उसे तो बस सीमा से ही शादी करनी है ।”लीना की मम्मी बोली ।

“मम्मी माना लड़की खूबसूरत है , लेकिन हमारे मुक़ाबले वो लोग कुछ नही , शायद बारात का स्वागत भी न कर पाए ।”लीना बोली ।

यहाँ बात हो रही है अजय कीं । जो एक बड़े बिज़नेसमैन का बेटा है , और उसे प्यार हो गया है ,मध्यमवर्गीय परिवार की सीमा से । सीमा के पिता नही है । अजय की बहन लीना ,उसके मम्मी पापा कोई भी इस रिश्ते के लिए तैयार नही है ।पापा अपने किसी रईस मित्र की बेटी से उसकी शादी करवाना चाहते है ।

सीमा कई बार समझा चुकी है अजय को ,कि तुम्हारा और मेरा कोई मेल नही ,पर अजय नही मानता ।

आख़िर अजय की ज़िद के आगे झुक कर सब शादी के लिए मान जाते है । बारात में कम लोग ले जाकर सीमा को विदा करवा लाते है ।

शादी के बाद भव्य रिसेप्शन का आयोजन किया जाता है ,जिसमें शहर के सारे अमीर लोग बुलाए गए थे । अजय ने बड़े मान से अपनी सास साले व सलहज को भी बुलाया था ।

सीमा व अजय तो स्टेज पर बैठे थे , उसकी सास व ननद ने सीमा के मायके वालों पर बिलकुल ध्यान न दिया व ससुर ने तो बात तक नही की , वो अपमान का घूँट पी घर लौट गए ।

शादी के बाद अब सीमा का कठिनाई का दौर शुरू हुआ ,अजय की मम्मी उसके सामने सीमा के साथ ठीक व्यवहार करती  ,पर उसकी अनुपस्थिति में उसे जली कटी सुनाती । बाक़ी कसर लोकल में विवाहित ननद पूरी कर जाती ।

अजय तो मम्मी पापा ने उसकी मनपसंद शादी करवा दी थी इसलिए ख़ुश था । सीमा भी ये सोच चुप थी कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा ।

वैसे भी अजय उसे बहुत प्यार व परवाह करता ।



अब सीमा एक बच्ची की माँ भी बन गई थी । अब नियति देखिए ऐक्सिडेंट में अजय की जान चली गई ।सीमा पर तो जैसे दुःख का पहाड़ टूट पड़ा । पर सास ससुर सबने उसे अपने बेटे की मौत का ज़िम्मेदार मान घर से निकाल  दिया ।

मायके में माँ वैसे भी भाई पर आश्रित थी । कुछ समय तो सीमा समझ ही नही पाई उसके साथ हुआ क्या  है ।

फिर एक दिन भाभी उसे सुनाती हुई बोली ,”अब कब तक हम तुम्हारा बोझ उठायगे ,हमारे भी बच्चे है ,तुम्हारे भैया की छोटी सी नौकरी में क्या क्या करे ।तुम्हारे ससुराल  वाले तो मुँह बंद कर के बैठ गए है ,और तुम्हें इतना घमंड है ,कि तुम उनसे कुछ मदद न लोगी ।”

सीमा जैसे सोते से जागी “ये क्या करने जा रही है वो ,बेटी से पिता का साया तो छिन गया है ,और वो बेटी की तरफ़ से कैसे ग़ैरज़िम्मेदार हो सकती है ।”

खुद को संयत  करने में दो चार दिन लगे । फिर एक दिन दोपहर में माँ को बता बेटी को साथ ले अपनी पुरानी सहेली से मिलने गई । उसने व उस की सहेली ने शौक़िया सिलाई सीखी थी ,सहेली ने एक पहचान वाली की बुटीक में उसे काम दिलवा दिया । वो बेटी को माँ के पास छोड़ वहाँ जाने लगी ।

अनुभव न होने से थोड़ा समय लगा ,लेकिन बुटीक वाल भाभी जी ने उसकी बहुत सहायता की ।

अब इधर भाभी को बच्ची का घर में रहना खटकने लगा । जब तक बच्ची स्कूल जाने लयक हो गई थी । बुटीक वाली  भाभी जी ने सीमा की परेशानी देख कहा “सीमा तुम स्कूल के बाद बेटी को यही रख लिया करो ,मुझे कोई दिक़्क़त नही ।भाभी जी की बेटी उसे होमवर्क भी करवा देती ।

इधर घर में भाभी का रुख़ देख सीमा ने छोटा सा घर भी किराए से ले लिया ।

बुटीक वाली भाभी जी की बेटी की शादी हो गई । उनके पति भी रिटायर्ड हो गए ।बेटा अमेरिका में था और उन्हें भी वही बुला रहा था ।

भाभी जी सब बेच कर वही जाना चाह रही थी ।उन्होंने सीमा से पूछा ।सीमा झिझकते हुए बोली “ मेरे पास इतने पैसे नही है ।

“देखो सीमा तुम मेहनती हो , मेरे पति तुमको लोन दिलवाने में मदद कर देगें ।हमें पैसे कोई जल्दी नही है ,तुम धीरे धीरे कर सब चुका देना ।”

उन लोगों की सहायता से सीमा का खुद का बुटीक हो गया ।

भाभी जी व उनके पति सीमा को सेटल कर के ही अमेरिका गए । बुटीक तो पहले से ही अच्छा चलता था ,सीमा की मेहनत  व भगवान के आशीर्वाद से और भी अच्छा चलने लगा ।कुछ सालों में उसने बैंक का क़र्ज़ व भाभी जी के पैसे भी लौटा दिए । बेटी पढ़ लिख कर बुटीक में हाथ बटाने लगी । फिर सीमा ने अच्छा घर परिवार देख उसकी शादी कर दी ।बेटी अपने घर में सुखी है । भाभी जी से वो आज भी संपर्क में है ,जिन्होंने कुछ रिश्ता न होते हुए भी बहुत कुछ निभा दिया ।

बरखा दुबे शुक्ला 

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