स्वाभिमान – रश्मि सिंह

प्रतियोगिता एवं समूह हेतु।

प्रीति शर्मा, मेरठ ज़िले में रहने वाली एक सीधी साधी लड़की। किसी से ऊँची आवाज़ में बात करना तो दूर उसे कभी किसी छोटों को भी डाँटते नहीं देखा। अपनी मम्मी की लाडो रानी। वैसे तो प्रीति ज़्यादा बक बक नहीं करती पर अपनी माँ के सामने हर तरह की बात। प्रीति फैशन टेक्सटाइल्स एण्ड कंपनी में आर्ट डिज़ाइनर के पद पर कार्यरत है। प्रीति के कार्यालय में आज अफ़रा-तफ़री मची हुई है। कल बहुत बड़े प्रोजेक्ट की प्रेजेंटेशन है।

प्रीति-कैलाश भैया एक कप कॉफ़ी ले आइए, सर में बहुत तेज दर्द हो रहा है।

कैलाश-जी मैडम। अभी लाया।

प्रीति को आज फिर इस प्रोजेक्ट की प्रेजेंटेशन का काम दे दिया गया है, और उसके साथ के सभी सहकर्मी मौसम का आनंद लेते हुए चाय पकौड़े खा रहे है।

सपना- प्रीति तुम डायरेक्टर को मना क्यों नहीं कर देती हो, हमेशा दूसरों का काम तुम्हें दे देते है। उस रोहित को देख कितने मज़े से हँस रहा है। कोई टेंशन ही नहीं है कल की मीटिंग की, क्योंकि उसकी प्रेजेंटेशन ऑफिस की मोस्ट इंपोरेटेंट बेवकूफ बना रही है।

प्रीति-यार सर बड़े है, कैसे उन्हें माना करूँ। मुझसे नहीं होगा।

सपना- तेरा भी कुछ स्वाभिमान है कि नहीं। कोई ये तो है नहीं कि तुझे रोहित से ज़्यादा पैसे मिलते है।

प्रीति- अच्छा बाबा अबकी बार पक्का मना कर दूँगी।

सपना-बस बस रहने दें। तुझसे कुछ ना हो पाएगा। तुझे समझाना मतलब “भैंस के आगे बीन बजाना” है।

प्रीति- अब तू मेरा मूड मत ख़राब कर। कल प्रेजेंटेशन है और बहुत काम पड़ा है।

सपना-टाइम देख, ऑफ होने वाला है। घर नहीं चलना है।

प्रीति-हाँ यार। अब बाक़ी का काम घर पर करूँगी, पर आज तो मम्मी पापा की एनिवर्सरी का सेलिब्रेशन है।




प्रीति घर पहुँचती है। घर में सब प्रीति का इंतज़ार कर रहे होते है।

प्रीति- मम्मी पापा जल्दी जल्दी केक काटो, मुझे ऑफिस का कुछ काम करना है।

शांति (प्रीति की माँ)-कब तुझे काम नहीं रहता है। ऐसा कर तू ऑफिस के पास ही कमरा लेकर रह।

प्रीति बिना कुछ कहे अपने कमरे में जाकर काम में लग जाती है, और उसे पता ही नहीं चलता, कब रात के 2 बज गए।

प्रीति फ्रिज से ख़ाना निकाल कर गरम करती है पर मम्मी के बिना ख़ाना अच्छा नहीं लगता है। किसी तरह ख़ाना खाकर प्रीति सोने चली जाती है।

अगले दिन प्रीति अपनी प्रेजेंटेशन अपने डायरेक्टर को दिखाने जाती है, और सोचती है आज तो सब इम्प्रेस हो जाएँगे और मेरा प्रमोशन पक्का। रोहित वहाँ पहले से उपस्थित था।

डायरेक्टर- रोहित प्रेजेंटेशन पर अपने हस्ताक्षर करो और प्रेजेंट करने के लिये तैयार रहो, और हाँ प्रीति को थैंक यू बोलो, बहुत अच्छी प्रेजेंटेशन बनायी है।

प्रीति डायरेक्टर की बात सुनकर बहुत दुःखी होती है मन मसोस कर रह जाती है और कुछ कह नहीं पाती है।

ये सारा दृश्य एक आदमी बाहर खड़ा देख रहा होता है।

मीटिंग में सब इकट्ठा होते है। प्रीति का मीटिंग में आने का बिल्कुल मन नहीं था, पर कार्यालय के नियमों का उल्लंघन भी नहीं कर सकती थी।

मीटिंग की शुरुआत होती है सारी कम्पनीज़ अपनी प्रेजेंटेशन देती है अब रोहित की बारी आती है।

वो शुरुआत करता है पर अच्छे से समझा नहीं पा रहा था क्योंकि




“जिसका काम उसी को साजे और करे तो ढफली बाजे”

अब बारी आती है कि प्रोजेक्ट किस कंपनी को दिया जाए।

मिस्टर शेखावत- ये प्रोजेक्ट फैशन टेक्सटाइल्स एण्ड कंपनी को दिया जाता है पर एक शर्त के साथ।

प्रीति, रोहित, सपना और डायरेक्टर सब असमंजस में पड़ जाते है की कौन सी शर्त होगी।

मिस्टर शेखावत-शर्त ये है की इस प्रोजेक्ट की हेड मिस प्रीति शर्मा होंगी, क्योंकि प्रेजेंटेशन भी तो उन्होंने ही बनायी है।

प्रीति ये सुनकर ख़ुशी के साथ हैरान हो जाती है कि ये सब उनको कैसे पता।

उधर डायरेक्टर और रोहित भी हक्के बक्के रह जाते है।

मीटिंग के समाप्त होने पर मिस्टर शेखावत प्रीति को बुलाते है और कहते है मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो। यही ना कि मुझे कैसे पता चला कि प्रेजेंटेशन तुमने बनायी है।

  आज सुबह जब तुम प्रेजेंटेशन दिखाने अपने डायरेक्टर के पास गई थी, तो मैं वही बाहर तुम्हारे डायरेक्टर का इंतज़ार कर रहा था। वहाँ हुई सारी बातें मैंने सुनी। आज एक बात तुम मेरी ध्यान से सुनो-

सीधा होना उस हद तक अच्छा है जब तक आपके स्वाभिमान को ठेस ना पहुँचे। अपने हक़ के लिए लड़ना तुम्हारा अधिकार है और किसी को भी उसका हनन करने मत दो।

प्रीति-आप बिल्कुल ठीक कह रहे है। अब आगे से मैं अपने स्वाभिमान के लिये डटकर खड़ी रहूँगी।

आदरणीय पाठकों, प्रीति की तरह कई ऐसे लोग है जिन्हें अपने सीधेपन और मासूमियत की वजह से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर आपके आस-पास कोई ऐसा है तो उसको ये चंद पंक्तियाँ ज़रूर सुनाए:-

बहुत अहम है आपका स्वाभिमान,

सदैव बनाए रखो इसकी शान।

परिश्रम, लगन और कर्म में रहो हमेशा रत,

पर बात हो अपने अधिकारों की तो, छोड़ो मत।

उम्मीद है कि आप लोगों को मेरी रचना पसंद आयी होगी। अगर आयी है तो कृपया मेरी रचना को अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से नवाज़े।

स्वरचित

रश्मि सिंह

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