स्नेह की डगर – नीरजा कृष्णा : Moral stories in hindi

आज  मनोहर बाबू  और उनकी पत्नी माधुरी बहुत खुश हैं …उनकी लाडली बिटिया मुस्कान नई जिंदगी की शुरुआत कर रही है….वो उन दोनों की अत्यधिक प्रिय गुड़िया ही तो है। वो है भी इतनी प्यारी व चुलबुली कि हर कोई उसे बहुत चाहता है…. अपने भाई और भाभी की दुलारी और मम्मी पापा के आँखों की पुतली मुस्कान अपने पिया का घर बसाने जा रही है।

विवाह की तैयारियां जोर शोर से चल रही थी….सब देख देख कर मनोहर बाबू  बहुत उदास होकर कुछ सोचने लगे। अचानक वहाँ पहुँची माधुरी पूछ बैठी, क्या बात है,आप इतने उदास क्यों हैं?देखिए, बिटिया को विदा तो करना ही पड़ता है, वो तो हमारी खुशकिस्मती है कि हमारी लाडो इतने खुशहाल और सुसंस्कृत परिवार की शोभा बन रही है।”

“कह तो तुम ठीक  रही हो पर अपने जिगर के टुकड़े को अपने से दूर करने पर दिल फटा जा रहा है। अपनी उछलकूद से घर को गुलजार किए रहती है, कभी हमारी अम्मा बन कर डाँटती है, कभी दोस्त बन कर  सलाह देती है ।”

वो दोनों इसी तरह भावनाओं के सागर में डुबकी लगा ही रहे थे कि वो चाय लेकर पहुँच गई,”लीजिए गर्मागर्म स्पेशल चाय…. भाभी ने खासतौर पर आपके लिए बनाई है।”


चाय देकर उनकी चिड़िया फुर्र हो गई….. आजकल ज़रा व्यस्तता है ना….चाय पीते पीते मनोहर जी अचानक बोलने लगे,”तुम्हें याद है माधुरी, जब वो छोटी सी तो थी जब हम लोग ‘विवाह’ फिल्म देखने गए थे ।”

“हाँ जी, कैसे भूल सकते हैं! नायिका का अपने चाचाजी को घर से निकलते समय दुशाला ओढ़ाना उसे कितना पसंद आया था और उसके बाद वो आपको दुशाला  देना कभी नही भूली! अगर कहीं जाना होता था तो सिरहाने रख कर जाना नही भूलती थी।”

दोनों आह भर कर आँसू पोंछने लगे थे …तभी धीरे से दरवाजा खोल कर उनकी बहू बेला अंदर आई….. दोनों चौंक कर उसे देखने लगे….।

“पापा!.आप इतना दुखी मत होइए! मुस्कान दीदी जा रही हैं पर आपकी ये दूसरी बेटी तो यहीं आपके पास रहेगी! अब आपको दुशाला मैं ओढा़ऊँगी! अब आप जब भी शोरूम जाने के लिए तैयार होंगे …तब …तब… आपकी ये बेटी दुशाला  लेकर मुस्तैद रहेगी।”

स्वरचित मौलिक

नीरजा कृष्णा

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