शिकायत – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “डॉक्टर ऋषिकेश” यह आप सरासर ग़लत कर रहें हैं, आप एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर एवम क्वालिफाईड “न्यूरो फिजिशियन” होकर भी इलाज के नाम पर अपने मरीजों में “अंधविश्वास” फैला रहें हैं। किसी को इलाज़ के नाम पर कहतें हैं कि इस रुद्राक्ष की माला का प्रतिदिन 108 बार जाप करे, किसी को “मिस्बाहा” या “तस्बीह” करने को कहतें हैं, तो किसी को “रोज़री” जपने को कह रहें हैं और वह भी दिन में तीन तीन बार..बताइये जरा किस “मेडिकल रेफरेंस” बुक से आपने यह पढ़ा है? “इंडियन मेडिकल एसोसिएशन” जबलपुर के अध्यक्ष डॉक्टर जतिन खन्ना ने बेहद ग़ुस्से से भरकर कहा।
डॉक्टर ऋषिकेश जबलपुर में एक नामी ‘न्यूरो फिजिशियन” थे, उनके इलाज की अनोखी तकनीकी के कारण ही डॉक्टर ऋषिकेश के पास मरीज़ों की लाइन लगी रहती थी। वह मरीजों को दवाओँ के साथ साथ उनके धर्म की मान्यताओं एवम पूजन विधियों का भी पालन करने पर जोर देतें थे, जिसके कारण किसी विरोधी डॉक्टर की “शिकायत” पर आज जबलपुर मेडिकल एसोसिएशन की यह मीटिंग चल रही थी।
डॉक्टर जतिन आप खुद भी एक नामी डॉक्टर हैं, इसलिए आप जानतें ही होंगें कि कोई भी डॉक्टर इलाज करते समय 50% रेफरेंस बुक के द्वारा अर्जित ज्ञान के प्रयोग के अलावा 50% अपने “अनुभव ” के आधार पर ही किसी मरीज का इलाज करता है। यदि मेरे द्वारा किसी मरीज को लिखे मेडिकल टेस्ट और प्रिस्क्रिप्शन में किसी मेडिसिन से आप लोगों को आपत्ति हो तो मैं उसके रिफरेंस दे सकता हूँ, लेकिन मेरे बाक़ी तरीके जैसे माला जपना आदि जिन्हें आप अंधविश्वास कह रहें हैं यह मेरे अनुभव के आधार पर दी जाने वाली सलाह है, जिसे कोई भी चैलेंज नहीं कर सकता कि मैं ग़लत हूँ, डॉक्टर ऋषिकेश ने दृढ़ता से कहा।
आप कहना क्या चाहते हैं, हम सब अनपढ़ हैं बेवकूफ़ हैं..कि आप जो कहें वह मान लेंगें.. ??दूसरे न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर गुप्ता ने गुस्से से भरकर डॉक्टर ऋषिकेश को कहा.. और पूरी मीटिंग का माहौल गर्म हो गया।

Ok let’s take a middle way to avoid any conflict (चलिए किसी विवाद में न पड़ते हुये हम बीच का रास्ता निकलतें हैं) सीनियर डॉक्टर मुखर्जी ने गहमागहमी का माहौल शांत करतें हुये कहा।

डॉक्टर ऋषिकेश-आपको Prove (साबित) करना पड़ेगा कि आप आपकी So called (तथाकथित) चिकित्सा पद्धति से मरीज को फायदा पहुंच रहा है, इसके लिए आपको हम एक ऐसे मरीज़ “जिसका इलाज डॉक्टर गुप्ता करने में असफल रहें हैं,” उसे आपको अपनी चिकित्सा पद्धति से इलाज करके इम्प्रूवमेंट साबित करना है।
कल ही डॉक्टर गुप्ता के बताये मरीज़ के हम सारे टेस्ट करके हम अपने रिकॉर्ड में रखेंगे, ठीक एक महीने बाद जब हमारी अगली मीटिंग होगी, जिसमे उस मरीज़ के उन्हीं मेडिकल टेस्ट का एनालिसिस करके हम ट्रेंड देखना चाहेंगें, यदि रिज़ल्ट सकारात्मक रहें तो आप अपनी पद्धति से इलाज जारी रख सकतें हैं, और यदि रिज़ल्ट नकारात्मक निकले तो आपको यह अंधविश्वास की पद्धति बन्द करना होगी अन्यथा हम आपकी प्रेक्टिस पर प्रतिबंध लगवाने का रिकमंडेशन कर सकतें हैं। डॉक्टर मुखर्जी ने अपनी सलाह देते हुए कहा।
“Yes I accept your challenge”..(जी मुझे यह चुनौती स्वीकार है) डॉक्टर ऋषिकेश के ऐसा कहतें ही डॉक्टर गुप्ता मन ही मन अपने प्रतिद्वंद्वी डॉक्टर ऋषिकेश को अपने बिछाये जाल में फंसता देखकर बहुत खुश हो रहे थे। इसके साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की आज की मीटिंग अन्य एक दो विषयों पर चर्चा करके समाप्त हो जाती है।
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अगले दिन डॉक्टर गुप्ता 75 वर्षीय सेठ “दीनानाथ पांडे” का केस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी के माध्यम से डॉक्टर ऋषिकेश के पास भिजवा देतें हैं, उससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा अधिकृत दो डॉक्टरों की मौजूदगी में सेठ दीनानाथ पांडे का ब्लड एवम यूरिन का सेम्पल लेकर ब्लड शुगर, सोडियम पोटेशियम लेवल, यूरिया क्रिएटिनिन सहित आवश्यक टैस्ट करने को पैथोलॉजी में भेजकर दो दिन बाद उसके रिपोर्ट की एक कॉपी खुद के पास, दूसरी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पास एवम तीसरी कॉपी डॉक्टर ऋषिकेश के पास भेज देतें हैं।
सेठ दीनानाथ पांडे जबलपुर के प्रसिद्ध धनाढ्य परिवार से आते हैं, चाँदी का चम्मच लेकर पैदा हुये व्यक्तियों की यूँ भी शारीरिक गतिविधियां कम होती हैं, जिससे उनका वजन सामान्य व्यकियों की तुलना में अधिक हो जाता है उस पर उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह की बीमारी होने की वजह से प्रतिरोधक क्षमता दिन पर दिन कम होती जाती है। यही वजह थी कि पिछले पाँच वषों से “डायबिटिक न्यूरोपैथी ” का डॉक्टर गुप्ता के पास इलाज करवाने के बाद भी सेठ दीनानाथ की बीमारी बढ़ती जा रही थी और दवाओँ का असर कम होता जा रहा था। अब तो उन्हें सप्ताह में दो बार डायलिसिस भी करना पड़ रहा था। कुल मिलाकर डॉक्टर गुप्ता ने डॉक्टर ऋषिकेश को जानबूझकर एक ‘मल्टीपल ऑर्गन फ़ेलुवर” मरीज़ भेजा था जिसके किसी भी प्रकार के इलाज के बावजूद भी उसमे सुधार की कोई गुंजाइश नहीं थी।
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डॉक्टर ऋषिकेश ने सेठ दीनानाथ पांडे की सभी मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट्स और डॉक्टर गुप्ता के पुराने पर प्रिस्क्रिप्शन देखे, दवाये तो सभी सही चल रहीं थी, लेकिन फिर भी डायबिटीज, बढ़ा हुआ वजन और अधिक उम्र की वजह से सेठ दीनानाथ पांडे के तबियत में सुधार की गुंजाइश कम ही थी।

डॉक्टर ऋषिकेश ने सेठ दीनानाथ पांडे और उनके साथ आये उनके पुत्र कमल पांडे से कहा यह केस काफी कॉम्प्लिकेटेड है, मैं कुछ बेहतर दवाएं लिखकर दे रहा हूँ, लेकिन यह तभी असर करेंगी जब सेठ दीनानाथ पांडे जी रोज सुबह “स्वयं अपने हाँथों से 21 दुब तोड़कर रोज गणेश जी को अर्पित करेंगे”, एवम “108” बार
!!”ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्मः”!!
मन्त्र का जाप करें तथा यह भस्म का सेवन करें तो मात्र 30 दिन में ही इनमे बहुत ज्यादा सुधार हो जायेगा।
क्या कहा?21 दुब तोड़ना और 108 बार माला जपना? पापा तो व्हील चेयर से भी नीचे नहीं उतरते, यह सब क्या करेंगें? सेठ दीनानाथ पांडे के साथ आये उनके पुत्र कमल पांडे ने हैरानी जताते हुए कहा।

नहीं मैं यह सब करूँगा, मुझे अभी नहीं मरना हैं, मैं गुड़िया की शादी करके ही जाऊँगा. पाँच वर्षों बाद तो किसी ने मुझे ठीक होने के लिए उम्मीद की किरण दिखाई है, मैं वह सबकुछ करूँगा जो डॉक्टर साहब कह रहे हैं,.सेठ दीनानाथ पांडे ने दृढ़ता से कहा।
देखिए दीनानाथ जी आपकी तबीयत बहुत क्रिटिकल जरूर है, लेकिन यदि आप मुझे सहयोग करेंगे तो आप जल्द ही ठीक हो जाएंगे, 50 प्रतिशत इलाज मेरी दवाई करेंगी और बाकी का 50 प्रतिशत आपको यह भगवान की माला जपने एवम पूजन करने की पद्धति से आराम लगेगा। आपको एक बार मे 21 दुब न तोड़ते बनें तो 3-7 या 11 तोड़कर अगली बार बढ़ा सकतें हैं। माला का जाप 3 बार न सही दिन एक बार तो जरूर करें, और हाँ कोशिश करें कि जाप करतें समय पद्मासन की मुद्रा में ही जाप करें। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सोमवार को उपवास करें जिसमे सिर्फ़ फल ही खा सकतें हैं आप। डॉक्टर ऋषिकेश ने सेठ दिनानाथ जी को सारी दवाइयों एवं पूजन/जाप की विधि विस्तृत रूप से समझाते हुये, उनका इलाज प्रारंभ कर दिया।
★★★★
सेठ दिनानाथ जी ने पहले सप्ताह लगभग 1-2 दूब एवम 1 बार ही 108 बार माला का जाप जैसे तैसे किया होगा, लेकिन अगले सप्ताह चमत्कारिक रूप से वह दिन में 3 बार माला फेरने एवम पूरे 21 दूब स्वयं तोड़कर गणेश जी को अर्पित करने लगे। पहले तो वह सोमवार पूरा संयम नहीं रख सकें लेकिन अगला सोमवार उन्होंने सिर्फ फलाहार करके बिताया।
एक महीने के उपरांत उनके तबियत में इतना सुधार आ चुका था कि डायलिसिस जी सप्ताह में दो बार करना पड़ रहा था, अब उसकी जरूरत सप्ताह में एक बार ही रह गई थी। सेठ दीनानाथ स्वयं ही इस इलाज़ पद्धति से बहुत खुश थे।
डॉक्टर ऋषिकेश का इलाज होते हुए लगभग एक माह बीत चुका था, आखिरकार वह दिन भी आ ही गया जब उनको इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जबलपुर की मीटिंग में अपने इलाज पद्धति को बेहतर साबित करना था, अन्यथा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उनकी प्रेक्टिस पर प्रतिबंध का अनुमोदन करके कोर्ट जा सकती थी।
उस मीटिंग के दो दिन पूर्व ही, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा अधिकृत उन्हीं दोनों डॉक्टर के सामने जो कि पिछली बार भी उपस्थित थे, सेठ दीनानाथ पांडे के रक्त का नमूना लेकर पैथोलॉजी में जाँच के लिये भेज देतें हैं। उन दोनों डॉक्टर्स ने सेठ दिनानाथ जी की मेडिकल कंडीशन, इलाज पद्धति की जानकारी एवम प्रिस्क्रिप्शन की कॉपी को इकट्ठा करके दो दिन बाद होने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जबलपुर की मीटिंग में सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया।
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की मीटिंग शुरू होते ही डॉक्टर ऋषिकेश के लिखे प्रिस्क्रिप्शन एवम चिकित्सा पद्धति की डिटेल्स जिसमें माला जपना, सोमवार उपवास करना एवम 21 दूब तोड़ने की जानकारी लिखी थी, की एक एक कॉपी सभी डॉक्टर्स को दी गई, इसके साथ ही डॉक्टर गुप्ता द्वारा चल रहे पुराने प्रिस्क्रिप्शन की भी कॉपी संलग्न थी।
डॉक्टर गुप्ता तो डॉक्टर ऋषिकेश द्वारा लिखे प्रिस्क्रिप्शन को देखकर भड़क गये.. गुस्से से भरकर बोले..What the bullshit going on?(यह क्या मूर्खता चल रही है?) You just changed the brand name medicines, compositions are the same..(आपने मेरी लिखी दवाओँ का सिर्फ ब्रॉन्ड-नेम बदला है, मूल औषधि तो वही की वही है) और ये क्या मज़ाक है रुद्राक्ष की माला का जाप करो, दूब चढाओ, सोमवार उपवास रखो? डॉक्टर ऋषिकेश आप प्रिस्क्रिप्शन लिखतें हैं या प्रवचन देंतें हैं?
Just wait Doctor Gupta.. (थोड़ी प्रतीक्षा करें डॉक्टर गुप्ता) हम सेठ दिनानाथ की मेडिकल कंडीशन और रिपोर्ट्स के एनालिसिस करके अभी सारे फैक्टस आप सबके सामने रख रहें हैं..जबलपुर के मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर जतिन खन्ना ने कहा।
थोड़ी देर बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा अधिकृत दोनों डॉक्टर्स ने सेठ दीनानाथ के ब्लड एवम यूरिन की अभी की रिपोर्ट एवम एक माह पहले की रिपोर्ट्स की कॉपी वहाँ उपस्थित सभी डाक्टर्स को दी, साथ ही मेडिकल कंडीशन के बारें में विस्तृत जानकारी दी।
सेठ दिनानाथ के यूरिन सेम्पल से पता चल रहा है कि यूरिया क्रिएटिनिन लेवल अब सामान्य से थोड़ा ही अधिक है, ब्लड एवम यूरिन में शुगर की मात्रा थोड़ा अधिक है परंतु पहले की तुलना में अच्छी रेंज में है। हाथों और पैरो के नर्व्स में भी Sensation (संवेदना) आ रही है। सोडियम और पोटैशियम लेवल भी बेलेंस है, डायलिसिस भी twice a week (सप्ताह में दो बार) की जगह Once a week (सप्ताह में एक बार) हो गया है। कुल मिलाकर मरीज़ को पहले की तुलना में काफ़ी बेहतर आराम मिल रहा है।
Congratulations!! Doctor Rishikesh, You can continue you paractice as per your method..(बहुत बहुत शुभकामनाएं डॉक्टर ऋषिकेश, आप अब अपने तरीके से मरीजों का इलाज कर सकतें हैं) and Doctor Gupta, instead of learning form your colleague, you are just complaining ? (और डॉक्टर गुप्ता, आप अपने साथी डॉक्टर से सीखने की बजाय उसकी “शिकायत” करतें फिर रहें हैं) सीनियर डॉक्टर मुखर्जी ने डॉक्टर गुप्ता को लताड़ते हुए कहा।
But doctor अंधविश्वास फैलाना तो गलत बात है न?, डॉक्टर गुप्ता ने आख़िरी कोशिश करते हुऐ कहा..
इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अध्यक्ष डॉक्टर जतिन खन्ना ने कहा। Doctor Gupta-result speaks louder than words,(डॉक्टर गुप्ता परिणाम की आवाज़ शब्दों से बड़ी होती है) When we do prescribe “Morohine” as medicine, (जब हम अफ़ीम मॉर्फिन को दवा की तरह उपयोग कर सकतें हैं तो इन पुरातन उपायों का प्रयोग करनें में क्या समस्या है) what the hell of following the old remedies just like acupressure,..your so calld Andh-Wishvas..(जैसे रुद्राक्ष भी एक्यूप्रेशर का काम करते हैं आपके तथाकथित अंधविश्वास में निहित विधियां)
Ok.. Ok.. I am sorry Doctor Rishikesh, I am taking back my complaint, (ठीक है ठीक है मैं डॉक्टर ऋषिकेश से माफ़ी मांगते हुये अपनी “शिकायत” वापस लेता हूँ) but can anybody explain me what exactly happened here.? (परन्तु क्या कोई मुझे समझायेगा, इस केस में वास्तव में ऐसा क्या हुआ था).डॉक्टर गुप्ता ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सामने डॉक्टर ऋषिकेश से माफी मांगते हुये कहा..
Its ok Doctor Gupta.. Now I am explaing how अंधविश्वास works here… (कोई बात नहीं डॉक्टर गुप्ता, मैं आपको विस्तार से समझता हूँ, कि यहाँ अंधविश्वास ने कैसे काम किया) सेठ दीनानाथ जैसे धनी आदमी जिसके झुकने से पहले ही चार लोग उसे पकड़ने आ जातें है..उसको यदि आप इलाज़ के नाम पर एक्यूप्रेशर तकनीक का प्रयोग करने बोलते तो वह कितने दिन करते, आप उनकी शुगर कम करने के लिये मॉर्निंग वॉक के लिये जानें को कहते भी तो वह कितना चलते, एक तो भारी शरीर, ऊपर से बुढापा,कितना चल लेते वह?
आप उनको भूखा रहने को कहते भी तो कितनी देर कहतें? मेरे द्वारा दी गई माला जिसे जपने के लिये कहता हूँ, एक विशेष प्रकार से बनी माला हैं जो एक्यूप्रेशर की तरह उंगलियों की तंत्रिकाओं को सक्रिय करने में मदद करतीं हैं, दूब तोड़ने की इक्छा शक्ति के कारण सेठ दीनानाथ जमीन पर पैदल चलकर अपनी उंगलियों को जोर देने का प्रयास किया होगा, जो सिर्फ अंधविश्वास के कारण ही संभव था, सोमवार का उपवास रखवाकर मैंने उसे सिर्फ़ फल खाने को कहा, इस प्रकार उससे डाइट कंट्रोल करवा भी ली और उसे पता भी न चला, डॉक्टर गुप्ता भक्ति में ही शक्ति होती हैं।
मैंने इस अंधविश्वास का प्रयोग उन मरीज़ों विश्वास जगाने के लिये किया जो सामान्य तरीके से न शारीरिक गतिविधियां करते और न कोई डाइट प्लान फॉलो करते , मेरा विश्वास है कि किसी के अंधविश्वास को उसका विश्वास बना दोगे तो वह उसके लिए दवाओं से भी बेहतर कारगर होता है।
Ultimately We are Madical Practitioner, not medical profesor to follow 100℅ taxt book knowledge..(आखिरकार हम मेडिकल प्रैक्टिस करतें है, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर नहीं जो हमें शतप्रतिशत किताबी ज्ञान का प्रयोग करना जरूरी होता होगा) हमें मरीज का सिर्फ़ इलाज़ ही नहीं करना होता है, उसकी कॉउंसलिंग करके उसे इलाज के लिये शत प्रतिशत तैयार भी करना होता है। आप मुझसे बेहतर मेडिकल प्रोफेसर हो सकतें हैं, मग़र एक अच्छा डॉक्टर बनने के लिये अभी आपको मरीजों के मनोविज्ञान को भी पढ़ने की जरूरत है।
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नोट-इस कहानी का उद्देश्य अंधविश्वास फैलाना नहीं, बल्कि प्रत्येक धर्म की पुरानी परम्पराओं का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करके एक विश्वास के साथ अनुकरण करना मात्र है।
✍️अविनाश स आठल्ये
स्वलिखित, सर्वाधिकार सुरक्षित

1 thought on “शिकायत – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi”

  1. Bilkul sahi shiksha aur seekh di aapne sir iss story ke zariye…. Mai bhi NEET ke liye taiyaari kr rhi hu…. But I also believe ki agr 50% dawaiya kaam krti h to 50% kaam ishwar ki kripa se bhi hota h ☺…. Ye kisi trh ka andhvishwas nhi bs ek dhrind vishwas h 😌…. Apne bhagwaan pr….

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