शिकायत दूर हो गई – सुभद्रा प्रसाद   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : पूनम लपक कर बस में चढ़ गई और कंडक्टर द्वारा बताई गई सीट पर बैठ गई | उसका दिल अभी भी जोर- जोर से धडक रहा था |अगर यह बस न पकडाती तो, वह क्या करती ? उसे शाम की घटना याद आने लगी |                                                   पूनम अपनी प्रतियोगिता परीक्षा  देकर बाहर निकली थी | भीड़ के किनारे खडी़ होकर अपने आटो वाले का इंतजार करने लगी | आटो वाला उसके शहर का ही था |वह इस शहर में आटो चलाता था |पापा ने उसे फोन कर दिया था |

वह सुबह उसे बसस्टैंड से परीक्षा केंद्र पहुंचा गया था | परीक्षा खत्म होने के बाद समय पर आकर उसे बस स्टैंड छोड़ देने को कह गया था | शाम पांच बजे तक परीक्षा था  | उसने पांच बजे ही आने को कहा था | इंतज़ार करते-करते साढ़े पांच बजे गये |उसने उसे दो-तीन बार फोन किया, पर लगा ही नहीं | अधिकतर प्रतिभागी भी अपने -अपने परिजन के साथ  जा चुके थे | अब उसका मन घबडाने लगा | वह बार- बार अपने आटो वाले को फोन लगाने लगी | एकबार फोन लगा तो आटो वाले अंकल ने बताया कि उनका आटो खराब हो गया है और वे बनवा रहे हैं |

वे उसे फोन करने ही वाले थे | अभी देर होगा |वह दूसरे आटो से आ जाये |यह सुनकर तो पूनम का सर चकरा गया |अधिकतर लोग जा चुके थे | जो दो – चार बचे थे,उन्होंने उसकी बातों पर कोई ध्यान न दिया  और चले गये | सवारी का कोई साधन न था | मेन रोड वहाँ से दो किलोमीटर दूर था | कोई रास्ता न देख वह पैदल चल पडी़ |

          थोड़ी दूर जाकर उसने समय देखा | छ बज गये थे |उसके  शहर जाने वाली अंतिम गाड़ी साढ़े छह बजे था | अगर गाड़ी छूट गई तो इस शहर में उसका कोई परिचित भी न था | रात में वह कहाँ ठहरेगी? यह प्रश्न उसे इतना परेशान करने लगा कि वह लगभग दौड़ने लगी |

           “क्या हुआ, कुछ परेशानी है? क्यों भाग रही हो? ” एक मोटरसाइकिल  सवार लडका उसके बगल में आकर पूछा |

          “तुम्हें क्या? ” पूनम उसे झिडकते हुए बोली |

          “देखिए, रास्ता सुनसान है |अंधेरा होने वाला है | कोई आप की सहायता करने आने वाला नहीं है |अगर कोई परेशानी है तो कहें, मैं आपकी मदद कर सकता हूँ |” उसने कहा|

          पूनम ने इधर-उधर देखा, उसकी बात ठीक थी | साथ ही उसे अपनी बस पकडने की चिंता भी थी |उसने उसे अपनी सारी  परेशानी बताकर झिझकते हुए कहा-” मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं? “

          “बैठिए, मैं पहुंचा देता हूँ |”उसनें उसे मोटरसाइकिल पर बैठने का इशारा किया | और कोई उपाय न देख वह सकुचाते हुए मोटरसाइकिल पर बैठ गई | मोटरसाइकिल वाले ने अपनी मोटरसाइकिल पीछे मोड कर बगल के पतले रास्ते पर उतार दिया और गति तेज कर दी |

         “रोकिए, रोकिए, नहीं तो मैं कूद जाऊंगी |” पूनम चिल्लाने लगी |

          “क्या हुआ? ” मोटरसाइकिल वाले ने घबराकर मोटरसाइकिल रोक दिया |

           “ये आप मुझे कहाँ ले जा रहे हैं? मेन रोड तो उधर है | मैं आप जैसे लडकों को खूब समझती हूँ |जहाँ कोई अकेली लडकी देखी नहीं, उसकी मजबूरी का फायदा उठाने लगे |मुझे नहीं जाना आपके साथ |मैं अकेली चली जाऊंगी |” पूनम मोटरसाइकिल से उतर कर गुस्से में बोलते हुए वापस जाने लगी |

         “रूको, रूको, मेरी बात सुनो | बस स्टैंड यहाँ से दूर है | मात्र बीस मिनट बचे है ं, तुम्हारी बस छूटने में |मेन रोड से हम बीस मिनट में वहाँ नहीं पहुंच सकते हैं |इसीलिए मैं इस शार्टकट रास्ते से तुम्हें ले जा रहा हूँ |”

थोड़ा सा रूक कर उसने फिर कहा-” मेरी भी एक छोटी बहन है, तुम्हारे जितनी ही बड़ी होगी | मैं तो उसी को याद कर तुम्हारी मदद कर रहा हूँ | किसी लडकी का भाई हर जगह उसके साथ नहीं हो सकता, पर वहाँ पर जो भी है, वो उसका भाई या पिता बनकर उसकी मदद कर दे, तो कोई भी लडकी असुरक्षित नहीं रहेगी |ऐसा मैं सोचता हूँ|” वह पूनम को समझाते हुए बोला |

      पूनम अपनी सोच पर लज्जित हो गई | कुछ कह न पाई |

        “अब चलें| अगर तुम्हारी बस छूट गई तो मैं तुम्हें अपने साथ भी नहीं ले जा पाऊंगा, क्योंकि मैं यहाँ अपने रूम पार्टनर के साथ रहता हूँ |” उसने हंसते हुए कहा |

         पूनम चुपचाप बैठ गई और सारे रास्ते भगवान् को याद करती चुपचाप बैठी रहीं |

जैसे ही बसस्टैंड पहुंची, बस स्टैंड से निकलकर आगे बढ़ चुकी थी |उसने झट से मोटरसाइकिल आगे बढाकर बस को रोका |पूनम झट से उतर कर लपकती हुई बस में चढ़ गई |कंडक्टर ने उसे सीट बताया और वह उसपर बैठ गई |  उसका दिल तेजी से धडक रहा था |                                       थोड़ी देर में पूनम शांत हुई और तब उसे याद आया कि उसने अपने मददगार का न तो नाम पूछा, न परिचय और नहीं उसे धन्यवाद कह पाई | उसे बहुत अफसोस हुआ,परन्तु एक बात अच्छा हुआ कि उसके मन में लडकों के लिए जो शिकायतें थी, वे सब दूर हो गई | वह लडकों को आवारा,उदंड, गैरजिम्मेदार, लडकियों की मजबूरी का फायदा उठाने वाला ही समझती थी, क्योंकि उसने अपने आसपास ऐसे ही लडकों को ज्यादा देखा था | उसके कोई भाई नहीं था| वह सिर्फ दो बहनें ही थी |वह ग्रेजुएशन करके प्रतियोगिता परीक्षा दे रही थी और छोटी बहन अभी ग्रेजुएशन कर रही थी |पिता प्राइवेट नौकरी करते थे और उन्हें छुट्टी बहुत कम मिलती थी | उसे लडकों से ढेर सारी शिकायतें थी | आज इस अजनबी की वजह से सारी शिकायत दूर हो गई  |उसे अहसास हो गया कि सभी लडके बुरे नहीं होते  | लडका हो या लडकी उनका अच्छा या बुरा होना उनके संस्कार पर निर्भर करता है | उसने मन ही मन उस अजनबी को अनेक धन्यवाद दिया |

   

 # शिकायत

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

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