Moral Stories in Hindi : कनक ने अपनी 6 माह की बेटी मिट्ठू को नहला कर दूध पिला कर तैयार कर दिया है,आज अहोई माता के व्रत का दिन है।उसकी दोनों जेठानियां पारुल और पायल अहोई माता का व्रत रखती आई है, क्योंकि उन दोनों के पास ही दो – दो बेटे है।
कनक भी अहोई माता का व्रत अपनी प्यारी सी बेटी मिठ्ठू के लिए रखना चाहती है, पर मन में संकोच है कि कहीं सासू मां मना ना कर दे, यह कहकर कि यह व्रत सिर्फ बेटों के लिए होता है।
लेकिन कनक बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं मानती, उसकी नजर में दोनों ही समान है ,आखिर संतान तो संतान ही होती है, चाहे बेटा हो या बेटी, और जब ईश्वर ने दोनों में फर्क नहीं करा तो हम कौन होते हैं फर्क करने वाले, और एक माँ तो हमेशा ही अपने सभी बच्चों की सलामती चाहती है, बगैर यह सोचे कि वह लड़का है या लड़की। यह सोचकर वह अपने पति सोम से कहती है कि उसे भी अहोई अष्टमी का व्रत रखना है, अपनी प्यारी मिठ्ठू के लिए ।उसका पति सोम भी कहता है, मुझे तो इसमें कोई हर्ज नजर नहीं आता,लेकिन फिर भी तुम एक बार माँ से भी पूछ लेना।
पर कनक को अपनी सासू मां से पूछने पर मन ही मन में संकोच होता है कि ना जाने वो अपने दिल में क्या सोचेंगी… उधर कनक और सोम की बात उसकी सासू मां मधु जी सुन लेती है , वो कनक के पास आकर उसके सिर पर हाथ रखकर कहती है… मैं सुबह से ही देख रही हूं कि तू बहुत उदास है, और कुछ कहना चाहती है, पर कह नहीं पा रही…. क्या मैं तेरी मां नहीं हूं … और रही बात माता अहोई के व्रत अनुष्ठान की तो हर मां को हक है कि वह अपनी हर संतान की सलामती की दुआ करे। मां की ममता तो सभी बच्चों के लिए बराबर होती है।
जा तू भी जल्दी से तैयार हो जा, तेरी भाभियां भी अहोई माता की पूजा के लिए तेरी राह देख रही होंगी,और देख कभी भी मत भूलना कि संतान तो सिर्फ संतान होती है चाहे बेटा हो या बेटी। दोनो ही अहोई माता का वरदान है।
यह सुनकर कनक खुश हो जाती है,और जल्दी जल्दी तैयार होकर अपनी भाभियों के साथ अहोई अष्टमी की पूजा बड़े मन और श्रद्धा भाव से करती है।
मौलिक व स्वरचित
ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश
Nice story