संघर्ष – अनामिका मिश्रा

शिवानी के पति की मृत्यु के बाद उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। उसके पति को कैंसर हो गया था और वह बच नहीं सका। 

इतनी कोशिशों के बावजूद आखिर उसकी मृत्यु हो ही गई। शिवानी  की एक बेटी और बेटा था । 

बेटा छोटा था, बेटी तान्या की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी। शिवानी टूट चुकी थी, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि, क्या करें। 

पर उस वक्त उसकी बेटी तान्या ने उसे संभाला, बोली, “मां मैं हूं ना, तुम उदास क्यों हो, परेशान क्यों हो, पापा ने मुझे इतना तो काबिल बना दिया है कि, मैं कुछ कर सकती हूं!” 

शिवानी ने कहा, 

“तू लड़की है ,तुझे दुनिया की कोई खबर नहीं है, अब तक तेरे पापा थे,और वो हमारी ताकत थे, तुझे उस समय सब कुछ आसान लग रहा था, पर तू नहीं जानती, दुनियादारी आसान नहीं, तू भोली भाली है!”

कहते हुए शिवानी की आंखों से आंसू गिर पड़े। तान्या की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी,अब वो आगे की तैयारी करने लगी। साथ में छोटे भाई को भी पढ़ा रही थी। इधर उधर ट्यूशन पढ़ाया करती थी। जॉब के लिए फॉर्म भर रही थी। 

शिवानी को लग रहा था कि तान्या के हाथ पीले कर दे और अपनी जिम्मेदारी पूरी करें। 

अपने भाई से बात कर बोली, उसके भाई ने कहीं पर बात चलाया। तान्या को इसकी कोई खबर नहीं थी। एक दिन तान्या आकर बोली, “मां ये देखो, मुझे सरकारी कार्यालय में नौकरी मिल गयी हैं, और वो भी इसी शहर में भगवान का लाख-लाख शुक्र है!”

 शिवानी के चेहरे पर ये सुनकर भी परेशानी थी । 

तो तान्या ने पूछा, “क्या हुआ माँ,तुम खुश नहीं हो!”



शिवानी ने कहा, “तेरे मामा लड़के वालों से बात कर चुके हैं, और वो लोग कल तुम्हें देखने आ रहे हैं, कल तू कहीं नहीं जाएगी!” तान्या ने कुछ नहीं कहा।

अगले दिन लड़के वाले जब देखने आए,तो ,तान्या ने कहा, “मैं शादी एक शर्त पर करूंगी कि, मैं जॉब नहीं छोडूंगी और मेरी तनख्वाह मेरी मां को मैं दूंगी, और भाई के पढ़ाई का खर्च मैं उठाऊंगी। 

लड़के वाले ये कहकर चले गए कि बाद में जवाब देंगे। 

इधर शिवानी तान्या को डांटने लगी, “ये क्या तान्या कितनी मुश्किल से ये लोग तैयार हुए थे…और ये क्या कह दिया तूने बात ही बिगाड़ दी ..सोच रही हूं कि,तेरी शादी कर जिम्मेदारी पूरी कर लूँ, कल को मुझे कुछ हो गया तो…..कहकर शिवानी रोने लगी!”

तान्या अपनी मां के आंसू पोंछ कर बोली, “मां मैं बेटी जरूर हूं,पर बोझ नहीं बनूंगी, कल पहला दिन है कार्यालय में ….

मैं अपने भाई को पहले पढ़ा तो लूं ,…उसे काबिल बना तो लूं ….ताकि पापा जहां भी हो,उनकी आत्मा को शांति मिले! “

अगले दिन वो ऑफिस जाने लगी, तब शिवानी राकेश की तस्वीर की ओर देख कर बोली, “आज आपकी बेटी ऑफिस जा रही है,उसका पहला दिन है उसे आशीर्वाद दीजिए,वो अपनी जिम्मेदारी संभाल ले, आपकी बेटी बड़ी हो गई है,और हमारा स्वाभिमान है!”

तान्या ऑफिस जाने लगी, तब तक लड़के वालों का फोन भी आ गया, लड़के की मां ने कहा, “हमारे बेटे को तान्या बहुत ही पसंद है, और हमें उसकी सारी शर्त मंजूर है, पर शादी के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है, तान्या जब शादी करना चाहेगी, तब ही हम करेंगे, मेरे बेटे ने कहा है वु इंतजार कर लेगा! “

ये सुनकर शिवानी की तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा!

उसे लगा जैसे कि,उसका पति राकेश उसे दूर से देखकर खड़ा मुस्कुरा रहा है। 

#बेटी हमारा स्वाभिमान

स्वरचित अनामिका मिश्रा 

झारखंड जमशेदपुर

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