सम्मान की सूखी रोटी – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

सरिता और मानसी पक्की सहेली थी बचपन से ही दोनों साथ में रहती हर काम एक साथ करती दोनों ने बी ए की परीक्षा साथ में उत्तीर्ण की।

 और दोनों की शादी अलग-अलग शहर में हो गई गर्मियों की छुट्टी में कभी कभार दोनों की मुलाकात हो जाती थी।

सरिता और मानसी दोनों फोन पर बातें करती रहती है कुछ सालों में दोनों के बच्चे बड़े हो गए ।

और फोन पर बात करना बंद हो गया अचानक दोनों की मुलाकात एक रेस्टोरेंट में हुई।

 तब सरिता ने कहा मानसी अरे तुम इस शहर में आ गई तब मानसी ने कहा मेरे पति का तबादला इसी शहर में हो गया।

 तब सरिता ने कहा कि आओ घर में बैठकर दोनों मिलकर बातें करेंगे।

 मानसी ने कहा देखो मुझे अभी तो टाइम नहीं रहता है ।

जब टाइम रहेगा तो मैं तुमसे मिलने आउंगी मानसी एक बुटीक चलाने लगी थी।

फिर मिलेंगे ! – अनिल कान्त 

 अच्छा खासा बुटीक चल रहा था उसे समय बहुत कम मिलता था ।

सरिता अपनी गृहस्थी अच्छे से संभाल रही थी ।

एक दिन मानसी ने अचानक फोन किया कि सरिता मैं तुम्हारे घर आने वाली हूं।

 सरिता ने उसके लिए बहुत अच्छा खाना बनाया सरिता ने पहले ही कह दिया था कि मानसी तुम हमारे साथ डिनर करोगी।

 मानसी तैयार भी हो गई और अपने पति को लेकर सरिता के घर पहुंच गई।

 जब मानसी सरिता के घर पहुंची तब मानसी ने देखा कि सरिता का छोटा सा घर था।

 उसे बड़ा अजीब सा लगा तब मानसी ने धीरे से सरिता से कहा कि तुमने इतने सालों में मुझे नहीं बताया कि तुम्हारी ऐसी हालत हो गई है ।

सरिता ने मानसी से कहा कि अपन डिनर ले लेते हैं फिर उसके बाद अच्छे से बातें करेंगे ।

कुछ देर बाद आकर सभी लोग फिर से सोफे में बैठे हैं तब मानसी ने फिर से यह प्रश्न किया कि सरिता तुम्हारी यह हालत हो गई ।

तुम्हें बताना था मैं तुम्हारी बहुत हेल्प करती सरिता ने कहा कि क्या हेल्प कर सकती थी ।

सरिता ने कहा कि मैं मेरे पति और मेरे बच्चे रहते हैं कुछ दिन पहले ही मैं अपनी सास से अलग हुई हूं ।

तब मानसी ने कहा कि क्या हो गया था सरिता ने बताया कि मैं और मेरी सास की ज्यादा नहीं बनती थी ।

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और मेरे पति भी अच्छा नहीं कमा पाते थे मैंने भी बहुत कोशिश की कि मैं कुछ काम करूं।

 लेकिन मेरे पास पैसा ही नहीं था मैं क्या करती सास और नंद काफी तेज थी।

 मैं दिन भर काम में लगी रहती थी और मेरे बच्चे अच्छे से पढ़ नहीं पाते थे।

 मेरी बेटी की दसवीं की परीक्षा और उसमें भी उसने बहुत कम अंक लेकर आई ।

तब हम लोगों ने डिसाइड किया कि हम सम्मान की सूखी रोटी खा लेंगे।

 लेकिन अब यहां नहीं रहेंगे बच्चे भी बहुत परेशान होने लगे थे। मम्मी हमेशा देवरानी का पक्ष लेती थी क्योंकि वह बहुत अच्छा कमा कर आती थी।

 काम बिल्कुल भी नहीं करती थी लेकिन वह पैसा लाकर सास के हाथों में रख देती थी।

 सास उससे बहुत खुश थी मेरे ऊपर हमेशा तने कश्ती रहती थी।

 इस कारण से मेरी तबीयत बहुत खराब रहने लगी मुझे बीपी शुगर और कई सारी बीमारियां हो गई ।

एक दिन तो हद पार हो गए सास ने मेरे मायके वालों को भी खरा खोटा सुनाया और यह सब मैं सहन नहीं कर पाई ।

तब मेरे पति ने डिसीजन लिया कि हम छोटे से घर में रह जाएंगे लेकिन अब यहां नहीं रुकेंगे।

 तब मानसी ने कहा कि यह तो जिंदगी में सब कुछ चलता रहता है ।

तुम मेरे साथ बिजनेस करोगी तब सरिता ने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है।

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 तो मानसी ने कहा कि तुम मेरी मदद बस कर देना तब सरिता तैयार हो गई ।

और उसने अपनी बुटीक में सरिता को साथ ले लिया दोनों ने मिलकर बुटीक को अच्छा चलाना शुरु कर दिया।

 मानसी ने जितनी कमाई होती थी उसमें से आधा सरिता को दे देती थी।

 इस तरह से सरिता भी अच्छा पैसा कमाने लगी और एक दिन मानसी ने कहा कि तुम अब अलग से भी बुटीक खोल सकती हो।

 सरिता ने मानसी को गले लगा कर कहा कि आज तुमने मेरी इतनी मदद की है ।

और बुटीक का उद्घाटन तुम्हारे हाथों से होगा और एक बड़ा सा बुटीक सरिता ने खोल लिया ।

इस तरह से मानसी और सरिता दोनों पक्की सहेली आज भी बनकर रह गई।

 उद्घाटन में सरिता ने अपनी सास ननंद और ससुर सभी को इनवाइट किया ।

सरिता की सास की आंखें फटी की फटी रह गई की सरिता इतनी ऊंचाइयों पर पहुंच सकती है।

और उन्होंने सरिता से माफी भी मांगी कि मैं तुम्हारे साथ जो गलत किया था उसके लिए मैं क्षमा चाहती हूं।

 तब सरिता ने कहा कि मां जी आप बड़ी होकर मेरे से माफी मत मांगे।

 कुछ गलतियां हो सकता मेरे से भी हो गई हो लेकिन आज आपने मुझे अलग नहीं किया होता ।

तो मैं इतनी ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच पाती और सरिता ने कहा कि अब मां जी आप हमारे साथ आकर रह सकती हैं।

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 मेरी छोटी सी कुटिया में मैं अब अपने आत्मविश्वास और विश्वास से सम्मान की रोटी खा सकती हूं।

 दोस्तों मैं यही कहना चाहूंगी कि अगर हम किसी की मदद कर सकते हैं तो जीवन में हमें मदद करने के लिए कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।

विधि जैन

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