प्रमिला एक मध्यम वर्ग परिवार की साधारण लड़की थी, वह बहुत सुंदर थी, उसने अंग्रेजी विषय से ग्रेजुएशन किया था, घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण प्रमिला साइकिल से बच्चों के घर जाकर के ट्यूशन पढ़ाया करती ।
एक दिन प्रमिला ट्यूशन पढाने गई थी, वहां पर एक लड़का आया था ,जिसका नाम मुकेश था। मुकेश बहुत पैसे वाला था ,वो भी उसी कमरे के सोफे पर बैठा हुआ था जहां पर प्रमिला ट्यूशन पढ़ा रही थी ।मुकेश को प्रमिला बहुत अच्छी लगी तो वह बात करने के बहाने खोजने लगा ,उसने कहा कि मैं बहुत दिनों से ट्यूशन ढूंढ रहा था मेरी भाभी के दो बच्चे हैं उनके लिए ,क्या आप उन्हें ट्यूशन पढ़ा देंगी?
प्रमिला ने आओ देखा ना ताव हां बोल दिया, क्योंकि उसे पैसों की बहुत जरुरत थी। ट्यूशन खत्म होने के बाद प्रमिला जाने के लिए खडी हुई तो “मुकेश ने कहा”, अगर आप बुरा ना माने तो आप मेरी बाइक से चलकर मेरा घर देख सकती हैं ।प्रमिला मुकेश के साथ जाने के लिए तैयार हो गई, मुकेश बाइक पर बैठा करके प्रमिला को अपने घर ले गया,
अपने दोनों भतीजों से मिलाया, अपने घर वालों से मिलाया, सबसे मिलाने के बाद मुकेश ने प्रमिला को वहीं ट्यूशन की जगह पर ला करके छोड़ दिया, वहां से प्रमिला साईकिल से अपने घर चली गई।
दो दिन के बाद प्रमिला ने मुकेश को फोन किया, कि आपके भतीजों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए कब आना है, तो मुकेश ने बोला कि मेरी भाभी ने ट्यूशन पढ़ाने के लिए मना कर दिया है, क्योंकि ट्यूशन की बात तो मुकेश ने प्रमिला से बात करने के लिए की थी। उसने अपने भाभी से बिना पूछे ट्यूशन की बात कर ली थी।
उस दिन के बाद से मुकेश प्रमिला के आने जाने वाले रास्ते पर खड़ा रहता था, उसको निहारता रहता था ,तीन से चार दिन के बाद मुकेश प्रमिला को रोक करके उससे बोला कि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं, मैं आपसे शादी करना चाहता हूं ।प्रमिला के भी घर में पैसों की बहुत तंगी थी, मुकेश प्रमिला को देखने में अच्छा लड़का लगा इसीलिए प्रमिला ने मुकेश के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
प्रमिला और मुकेश ने घर वालों से बात की, तो घर वालों ने भी यह कहते हुए की “मिंया बीबी राजी तो क्या करेगा काजी” हां बोल दीया, प्रमिला और मुकेश की शादी हो गई। प्रमिला अपने मन में खुशियों के सपने संजोए अपने ससुराल आ गई ,शादी को एक हफ्ते बीतते ही नजारा कुछ और ही था । मुकेश जो देखने में बहुत ही अच्छा और सीधा-साधा लड़का प्रमिला को लगा था ,
वह उसका बिल्कुल उल्टा था। मुकेश के अंदर हर बुरी आदत थी वह शराब पीता जूंआ खेलता ,यह सब देखते ही प्रमिला के होश उड़ गए, जब प्रमिला मुकेश को यह सब करने से रोकती तो वह उसे मारता भी ,धीरे-धीरे समय बीतता गया और मुकेश की मनमानी बढ़ती चली गई। वह प्रमिला को छोटी-छोटी बातों पर भी गाली दे दिया करता था ,और मार दिया करता था ,घर में प्रमिला से बहुत काम कराता ।
धीरे-धीरे प्रमिला की शादी को तीन साल हो गए, मुकेश के बर्ताव में कोई सुधार नहीं आया, दिन प्रतिदिन उसके अत्याचार बढ़ते ही जा रहे थे ,प्रमिला बहुत ही परेशान हो चुकी थी । एक दिन उसकी सहेली प्रिया का फोन आया ,वह अपनी सहेली प्रिया से सारी बात किया करती थी, उसने कहा कि प्रिया ये आदमी मुझे बहुत मारता है ,गाली देता है मैं बहुत परेशान हो चुकी हूं ,।
मैं तो”सम्मान की रोटी ” खाने को तरह गई हूं ,कभी-कभी तो मन होता है कि मैं कहीं भाग जाऊं। तो प्रिया ने प्रमिला से कहा देखो मैं मानती हूं कि मुकेश तुम्हारा पति है ,लेकिन किसी भी औरत को एक हद तक ही सहना चाहिए, तुम क्यों नहीं छोड़ देती इस आदमी को, तुम तो पहले भी ट्यूशन पढ़ा चुकी हो, तुम चाहो तो ट्यूशन से ही कितने पैसे कमा करके अपना गुजारा कर सकती हो।
वह तुम्हारे साथ जानवरों के जैसा बर्ताव करता है ,तुम कैसे ये सब कुछ सहन करती हो ,तुम्हें किसी भी सहायता की जरुरत हो तो मुझसे बोलना , अच्छा अब मैं फोन रखती हूं ,ये कहकर प्रिया ने फोन रख दिया । प्रिया के ऐसे शब्दों को सुनकर के प्रमिला के मन में थोड़ी हिम्मत आई।
प्रिया के फोन रखने के बाद प्रमिला बहुत सोच में पड़ गई ,पूरी रात सोई नहीं ,दूसरे दिन सुबह ही वह अपना सारा सामान पैक करके मुकेश का घर छोड़कर अपने मायके चली गई ।
मायके में जाकर के उसने अपनी मां को सारी बातें बताई तो उसकी मां ने बोला कि हमारे पास तो पहले से पैसे की बहुत तंगी है, हम क्या तुम्हारी सहायता कर सकते हैं ,बेटी ससुराल में ही तुम्हारा घर है, तुम वहीं पर रह करके अपना गुजारा कर लो।प्रमिला ने कहा मां तुम चिंता मत करो मैं कुछ दिन में अपना ठिकाना खोज लूंगी । उसी दिन से प्रमिला ने ट्यूशन खोजना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे करके एक महीने बीत गए ।
एक महीने बाद प्रमिला को तीन-चार ट्यूशन मिले, वह ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दी। ट्यूशन के पैसे से ही उसने एक कमरा किराए पर लिया और वह अपने मां के घर को छोड़कर के वहीं जाकर के रहने लगी और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी ।ट्यूशन से उसे अच्छा खासा पैसा मिल जाया करता ,उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगा, वह अब खुश रहने लगी ,प्रिया उससे अक्सर मिलने आया करती थी।
एक दिन प्रिया प्रमिला से मिलने आई, बहुत देर तक बैठ करके दोनों ने बातें की, प्रमिला ने कहा एक-एक रोटी का निवाला मेरे गले के अंदर नहीं जाता था, इतनी बेज्जती मैंने कभी जीवन में नहीं बर्दाश की ।शादी से पहले मुझे लगता था कि पैसा हो तो इंसान जीवन की हर कमी पूरी कर सकता है और खुश रह सकता है ।लेकिन मैं गलत थी, शादी के पहले पैसे भले ही कम थे मेरे पास,
लेकिन मैंने इज्जत बहुत कमाई थी।मुकेश ने तो मेरे सारे इज्जत की धज्जियां उड़ा दी थी ,हर बात पर गाली देता था मारता था, मैंने क्या-क्या सपने देखे थे ,खैर छोड़ो उस बात को …..अब तो मैंने अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर ली है, अब मुझे वापस मुड़ कर नहीं देखना है ।
प्रमिला ने प्रिया से कहा कि “सम्मान की सूखी रोटी” भी आत्मसंतोष दिलाती है ।इसलिए कभी किसी को अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं करना चाहिए।
प्रीति श्रीवास्तवा