‘कोई भेद नहीं ‘ – विभा गुप्ता

छह महीने पहले जब रीमा के पति का इस कस्बे में तबादला हुआ था तब यहाँ सुविधाओं की कमी थी।साथ ही,एक समस्या यह भी थी कि यहाँ नीची जाति के लोग ज़्यादा थें।उसके ससुराल में जात-पात को बहुत महत्व दिया जाता था।उसकी सास तो छुआछूत को इतना मानती थी कि काम करने वाला या वाली को जाति पूछकर ही रखती थीं।इसलिए उसे भी इन बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता था।ऑफ़िस के स्टाफ़-चपरासी को घर के अंदर बुलाने से पहले पूरी छानबीन कर लेती थी।

     एक दिन उसके पाँच वर्षीय बेटे की तबीयत बहुत खराब हो गई।उल्टी-दस्त एक साथ होने लगे।उसके पति तो टूर पर गये हुये थें, किसी तरह से वह  बेटे को लेकर हाॅस्पीटल गई तो डाॅक्टर ने शहर के अस्पताल में ले जाने को कहा।वह परेशान हो गई क्योंकि शहर का उसे कोई आइडिया नहीं था।कस्बे में तो इंटरनेट भी सही से काम नहीं करता था,अब वो क्या करे ,किससे मदद माँगे।तभी उसके पति के ऑफ़िस का चपरासी देवा माँझी जो अपने बच्चे को दिखाने के लिये अस्पताल आया था, उसके पास आया और उससे परेशानी का कारण पूछा।पहले तो वह हिचकिचाई ,फिर उसे सारी बात बताकर रोने लगी।देवा ने उसे मुझे ढ़ाढस बँधाया और बोला कि आप बिलकुल भी चिंता नहीं कीजिए, मैं इस पूरे इलाके से वाकिफ़ हूँ।शहर के कई डाक्टर्स से भी मेरी पहचान है।




         देवा ने अपने बच्चे को पत्नी के हवाले किया और एंबुलेंस में रीमा और उसके बेटे को बिठाकर उसके साथ शहर के अस्पताल आ गया।वहाँ डाॅक्टर से उसी ने बात की और रीमा के बेटे को एडमिट कराया।बच्चे को सलाइन चढ़ाया गया,देवा रातभर वहीं बैठा रहा,उसके सिर और पैरों को सहलाता रहा।

        सुबह जब देवा रीमा के लिए चाय लेकर आया तो वह उससे हाथ जोड़कर माफ़ी माँगते हुए फूट-फूटकर रोने लगी। कुछ दिन पहले ही जब देवा उसके घर आया था तो नीची जाति का समझ कर उसे घर के भीतर आने नहीं दिया था और बिना पानी पिलाये ही उसे बाहर से ही लौटा दिया था,तब भी वह सब भूलकर उसकी परेशानी में उसके साथ खड़ा रहा।

        अपने व्यवहार के लिए रीमा बहुत शर्मिंदा थी।उसने देवा को धन्यवाद देते हुए अपने बर्ताव के लिए माफ़ी माँगी।उस दिन उसने जाना कि जात-पात ,छूत-अछूत का भेदभाव सिर्फ़ हमारे मन का भ्रम है।ईश्वर के बनाये सभी इंसान एक समान हैं।मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है जो देवा ने उसे सिखाया।उस घटना ने उसकी बरसों पुरानी जात-पात की बेड़ियों को तोड़ दिया था।

                                 विभा गुप्ता

                                  स्वरचित

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