रिश्तो की डोरी टूटे ना – पूजा शर्मा Moral Stories in Hindi

मम्मी , दादी आपको कितना डांटती हैं आप कुछ क्यों नहीं कहती जितना जो सुनता है उसे उतना ही दबाया जाता है, मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता इतना करते-करते भी आपको ही सुनाती हैं शुगर की वजह से आप उन्हें फीकी चाय देती हो फिर बच्चों की तरह मीठी चाय पीने को क्यों जिद करती हैं

और आपको उल्टा सीधा बोल देती हैं। मेरी दोस्त श्वेता की दादी को उसकी मम्मी जो देती है वही खा लेती है। उल्टा आंटी ही ना जाने क्या-क्या बेचारी दादी को कहती रहती हैं। 

 आपके जैसा मैंने कोई नहीं देखा पापा को भी उनकी कोई बात नहीं बताती हो। मैं कहे देती हूं उस घर में शादी ही नहीं करूंगी जहां पर सास होगी। ऊपर ताई

 जी के पास भी नहीं रहती। वह उल्टा जवाब दे देती है ना इसीलिए। श्री लगातार निहारिका को बोले जा रही थी। केतकी जी के दो बेटे हैं। उनकी शहर में जानी मानी कपड़े की दुकान है। दोनों भाइयों का एक ही बिजनेस है उनके पापा भी इसी दुकान पर बैठते थे, 1 साल पहले ही उनका निधन हो गया है। बड़े बेटे नितिन की लड़की की शादी हो चुकी है

और लड़का इंजीनियरिंग की पढ़ाई दिल्ली से कर रहा है छोटे बेटे मनोज के भी दो बच्चे हैं। उनकी बेटी, श्री भी जॉब करती है और फिलहाल उसका वर्क फ्रॉम होम चल रहा है और बेटा दिल्ली से ही नीट की कोचिंग ले रहा है। केतकी जी के दोनों बेटे उनसे बेहद प्यार करते हैं।

 नितिन की पत्नी को केतकी जी का रोकना टोकना बिल्कुल पसंद नहीं था इसीलिए मनोज की शादी के बाद से ही वो अलग रहने की जिद कर रही थी लेकिन नितिन अपनी मां के साथ भी रहना चाहता था इसीलिए खुद का अलग घर होते हुए भी वह इसी घर में ऊपर के हिस्से में अलग रहता था। नितिन की पत्नी को भी इससे कोई दिक्कत नहीं थी

क्योंकि उसे तो बस अपने हिसाब से रहना था, जिससे केतकी जी की कोई बात ना सुननी पड़े। केतकीजी अपने छोटे बेटे के साथ रहती हैं और निहारिका को अक्सर किसी न किसी बात पर कुछ कह ही देती है । वो अब बीमार रहने लगी हैं। उनकी बेटी श्री को दादी का बिना मतलब अपनी मां को डांटना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता इसीलिए वह गुस्से मे थी।

ऐसे रिश्तों का क्या फायदा जहां एक दूसरे की चिंता ही ना हो? चाहे वह हमारे कितने सगे भी क्यों ना हो?

  चुप हो जाओ श्री कितना बोलने लगी हो तुम, वह दादी है तुम्हारी ,तुम्हारे पैदा होने पर कितना खुश हुई थी ।कभी एक दिन को भी कहीं दूर इसीलिए नहीं गई कि तुम्हारा ध्यान रखने में मुझसे कोई लापरवाही ना हो मैं इतने अच्छे से आज सारे काम संभाल पाती हूं केवल उन्हीं की वजह से मेरी शादी को 25 बरस हो चुके हैं मुझे आज भी हर बात याद है मेरे पिता ने अपनी हैसियत के अनुसार मेरी शादी की थी ,

घर में किसी को भी मेरे घर से मिला दहेज पसंद नहीं आया था उस वक्त माँ ने यह कहकर रिश्तेदारों का मुंह बंद कर दिया था जिसने अपने कलेजे का टुकड़ा दे दिया उसने सब दे दिया मेरी शादी पढ़ाई करते-करते ही हो गई थी घर का कोई काम नहीं आता था मुझे लेकिन हर काम में उन्होंने मुझे आज निपुण बना दिया है

उन्हें जोर से बोलने की आदत पहले से ही है। तुम्हारे दादाजी उनके तेज स्वभाव के कारण ही उन्हें अक्सर हिटलर कहकर चिढ़ाते थे, तुम्हें याद है ना, और पता है शादी के पहले ही दिन तुम्हारे पापा ने मुझे केवल एक बात बोली थी , देखो निहारिका मेरी मां का स्वभाव थोड़ा सा तेज जरूर है लेकिन मन की बहुत साफ है वह सबसे बहुत प्यार करती हैं

तुम उनकी किसी बात का बुरा मत मानना। सास बहू के रिश्ते की डोर कभी टूटने मत देना।शुरू शुरू में तो मुझे भी बहुत रोना आता था लेकिन धीरे-धीरे उनके स्वभाव से मैं अच्छी तरह वाकिफ हो गई और उनका प्यार भी दिखने लगा। तुम्हारी तरह ही तुम्हारी ताईजी को भी उनकी रोका टोकी नहीं पसंद थी इसीलिए क्लेश से बचने के लिए तुम्हारे ताऊ जी अपनी मां के करीब रहने की वजह से ही ऊपर के हिस्से में रह रहे हैं।

बाबूजी वक्त के साथ बदल गए थे माँ को भी वे अपना मिजाज थोड़ा नरम रखने को कहते थे लेकिन वह खुद को कभी बदल नहीं पाई । अपने दोनों बच्चों को वो अब तक छोटे बच्चों की तरह ही डांट देती हैं। बाबूजी की मौत के बाद वह बिल्कुल टूट गई थी बड़ी मुश्किल से संभाला था हम सब ने मिलकर उन्हें तुम्हारे तो सामने की बात है ना बेटा। वे अगर थोड़ा सा हमसे ऊंची आवाज में बात करती हैं तो इसमें क्या बुराई है

वह हम सबसे बड़ी है कहीं ना कहीं वह हम पर अपना अधिकार समझती हैं इसी वजह से हमसे इस तरह बोल लेती है। जब हमारे घर में बुजुर्ग नहीं रहते तब हमें उनके अहमियत का पता चलता है कि उनके बिना हम कितने अधूरे हैं । और क्या कह रही थी तुम ! ससुराल में सास नहीं चाहिए। बिना सास के ससुराल ससुराल नहीं होती बेटा, मां हमें दुनिया में लाती है और सास दुनियादारी सिखाती है ।

हमेशा ध्यान रखना बेटा बुजुर्गों की छत्रछाया के बिना घर,-घर नहीं होता। उन्हें हमसे केवल थोड़ा सा प्यार और विश्वास चाहिए। और हमें बदले में मिलता है ढेर सारा प्यार। जिसके भरोसे हम जिंदगी की बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ सकते हैं। मां बाप् की दुआओं में भगवान के आशीर्वाद से भी बड़ी शक्ति है। सही कह रही है तुम्हारी मां पीछे से मनोज कमरे में आकर बोला,

हमारे घर में सुख शांति है हम दोनों भाई मिलकर रहते हैं और हमारे घर में जो भी बरकत है वह सब हमारे मां-बाप का ही आशीर्वाद है। एक उम्र के बाद घर के बुजुर्ग भी बच्चों की तरह जिद करने लगते हैं उनका बच्चों जैसा ही स्वभाव हो जाता है। और आजकल का माहौल देखते हुए तो हमारे बड़े बुजुर्गों में असुरक्षा की भावना भी आ गई है।

क्योंकि उनके खुद के बच्चे ही उन्हें वृद्धआश्रम में छोड़कर आ रहे हैं । वो खुद भूल जाते हैं कि यह उम्र उन पर भी तो आनी है? जो अपने मां-बाप का दिल दुखाते हैं भगवान उन्हें जरूर सजा देते हैं। तभी बाहर से दादी की आवाज आ जाती है पड़ोस वाली सरला आंटी से कह रही थी। जो अक्सर हमारे घर आती रहती हैं। बस सरला, अब भगवान से दोनों हाथ जोड़कर यही इच्छा है

कि मैं अपने चलते हाथ पैर ही इस दुनिया से विदा हो जाऊँ, भगवान मेरे परिवार को सारी बरकत और सारी खुशियां दे मेरे जैसे बेटा और बहू हर किसी को मिले। जिस दिन से निहारिका हमारे घर में आई है हमारे घर में खुशियों की बरसात होने लगी है कितनी सेवा करती है वह मेरी ,मैं कुछ भी कह लूं पलट कर दो शब्द नहीं कहती अगर वह इस घर में ना हो तो मेरा तो कतई गुजर ना है रे

नहीं तो आजकल के बच्चे कहां अपने मां-बाप की सुनते हैं? भगवान उसे भी उसी के जैसी बहू दे जो उसकी बहुत सेवा करें। यही आशीर्वाद निकलता है मेरी आत्मा से उसके लिए। निहारिका की आंखों में आंसू ही आ जाते हैं अपनी सास की बात सुनकर। तभी श्री बोल उठाती है और दादी मुझे तो आपके जैसी सास चाहिए। अरे ना लाड़ो मेरे जैसी सास तो बस तेरी मां ही झेल सकती है और कोई नहीं।

तू तो मेरे जैसी सास को बाहर का रास्ता दिखा देगी। जानती हूं मैं आजकल के बच्चों को जरा सी सहनशक्ति नहीं है किसी में। श्री अपनी दादी की गोद में अपना सर रख देती है। तभी दादी जोर से बोलकर कहती है जल्दी से जा रसोई में मेरे लिए थोड़ा सा मीठा डालकर चाय बना ले ,जल्दी जा तेरी मां तो देगी ना, वो तो चाहे बुढ़िया 100 साल तक बैठी रहे यही। मुझे तुम्हारे दादाजी को भी तो देखना है

उन्हें क्या अकेला छोड़ दूंगी वहां? कहकर जोर-जोर से हंसने लगती है।उनके बेटा और बहू भी हंसने लगते हैं। मनोज अपनी मां से कहता है मां फालतू की बातें मत किया करो भगवान तुम्हारी उम्र बहुत लंबी करें हमें तुम्हारे साथ की बहुत जरूरत है अभी। वे अपने दोनों हाथ अपने बच्चों के सर पर रख देती हैं।

सच बात तो है जिस घर में बुजुर्ग हंसते मुस्कुराते हुए रहते हैं। उसे घर में भगवान का वास होता है। बड़ों की छत्रछाया हमें बड़ी से बड़ी मुसीबत से निकाल सकती है। जिसका एहसास हमें समय-समय पर होता ही रहता है।

 अभी जिंदा है मेरी मां मुझे कुछ नहीं होगा 

मैं घर से जब-जब निकलता हूं

 दुआएं उसकी ढाल बनकर साथ चलती है।

 पूजा शर्मा स्वरचित।

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