रिश्ता – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

डोर बेल सुनकर मैंने दरवाजा खोला, तो देखा कि सामने मेरा दोस्त अनुज खड़ा हुआ फोन पर किसी से बात कर रहा था, ओर हँसते हँसते ओके ओके, ठीक है, ठीक है,  बोल रहा था। उसका हँसना मुझे बड़ा अजीब लगा, क्योकि अक्सर गंभीर रहने वाला इंसान आज हँस रहा था।

फोन बंद होने पर मैंने पूछा, आज सूरज किधर से निकला है, बहुत हँस रहे हो ? क्या आज फिर किसी का समझौता करवाकर या घर बसा कर आ रहे हो?  समझौता तो करवाया है पर घर जोड़ने का नहीं बल्कि पहली बार घर तोड़ने का, बोलते हुए अनुज सोफे पर बैठ गया। मैंने आशा को आवाज लगाई और चाय बनाने के लिए बोला फिर पूछा कि ऐसा क्या काम करके आ रहे हो जो हँसी आ रही थीं? 

अनुज ने सारी कहानी सुनाई जो इस प्रकार है.. 

वो बोला , मेरे पड़ोसी का लड़का अनिल, आई टी इंजीनियर है और पूना मैं जोब करता हैं। सोशल मीडिया पर एक लड़की कविता से दोस्ती हो गई जो यही जयपुर मैं मालवीय नगर मैं रहती हैं। अनिल जब जयपुर आया तो कविता से मिला, जब तक छुट्टी थीं, रोज मिलते रहे।

दोस्ती प्यार मैं बदल गई और दोनो के घर वाले इस रिश्ते के लिये राज़ी हो गए। रिश्ता करने से पहले अनिल ने अपने परिवार के बारे मे सब बता दिया था कि मेरे घर में मेंरी बीमार मॉ, भाई भाभी ओर उनका बेटा रहते हैं, ओर सबसे मिलवा भी दिया था, ओर बताया कि बहन की शादी हो चुकी हैं। अच्छा सा महूर्त देखकर दोनो की सगाई कर दी और शादी कविता की फाइनल परिक्षा के बाद,  यानि लगभग 8 महीनों बाद। 

कविता बहुत ही महतकांशी औऱ सेल्फिश किस्म की लड़की थी। अनिल भी इम्प्रेस करने के लिए कोई न कोई गिफ्ट देता रहता था, कुछ दिन गिफ्ट नहीं भेजता, तो वो किसी न किसी बहाने से मांग लेती थी। गिफ्ट के अलावा शादी के बाद के प्लान भी बनाती और बताती थी, जैसे मुझे भाई भाभी ओर मॉ के साथ पुराने जमाने के मकान में नही रहना, मुझसे सासू मॉ की सेवा नही होगी, वहाँ एक ही लेटबाथ हैं, मुझे प्राइवेसी चाहिए, तुम अभी से अलग घर ले लो। तुम जब छुट्टी पर आओगे,

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तो मेरे मम्मी पापा के घर पर आकर रहना, वगैरह वगैरह। जैसे जैसे दिन बीतते गए, कविता की डिमांडस ओर उम्मीदें बढ़ती चली गई। अनिल काफी असहज महसूस करने लगा। एक दिन कविता ने फोन किया कि तुम मेरे जन्मदिन पर जयपुर आ जाना, अपने सभी दोस्तों से मिलवाना है। अनिल ने अपनी मजबूरी बताई ओर आने से इनकार कर दिया। कविता बार बार फोन पर ज़िद करने लगी कि तुम्हें आना ही पड़ेगा वरना मैं आत्महत्या कर लूँगी। ये सब सुनकर अनिल बहुत घबरा गया,

किसी को कुछ बता भी नही पा रहा था ओर तनाब में आ गया। अनिल को अब लगने लगा कि कविता के साथ रहना मुश्किल होगा, उसने कविता को फोन किया कि मैं तुमसे शादी नही कर सकता, ओर आज के बाद मुझे कॉल मत करना। अविता बोली, में पुलिस में रिपोर्ट कर दूँगी ओर आत्महत्या कर लूँगी। अनिल बहुत घबरा गया और फिर एक दिन अनिल का मुझे फोन आया, बहुत टेंशन में बात कर रहा था। उसने सब कुछ डिटेल में बताया और कहा कि आप वकील हो, सोशल वर्कर हो

, कॉउंसिल करते हो, कुछ करो, मैं इस लड़की से शादी नही करना चाहता, ओर घर पर किसी को मत बताना। मैंने कहा, घर वालों को बिना बताए तो कुछ नही होगा, तुम वीक एंड पर आजाओ, मिलकर सब सोल्व कर देंगे, ओर तबतक मैं किसी को कुछ नही बताऊगा। मेरे आश्वासन के बाद वो थोड़ा रिलेक्सड फील करने लगा। रात को फिर फोन करके बताया कि फ्राइडे शाम की फ्लाइट से आ रहा हैं। 

आज मैं, अनिल ओर उसके भाई भाभी के साथ अनिल की ससुराल गया था और वहीँ से आ रहा हूँ। इस बार आशा ने पूछा, भईया, आप कॉउंसलिंग कैसे करते हो?  अनुज बोला, थोड़ी देर बातें करते है और उनकी मनोस्थिति समझकर वो पूछते है जो वो नही बताते या नहीं बताना चाहते। अनुज बोला, मैंने लड़की से अकेले बात करने की परमिशन मांगी और हम दोनों अकेले रूम में चले गए। मैंने आशा से पूछा, जब अनिल शादी नही करना चाहता, तो तुम शादी की जिद क्यो कर रहीं हो?

आत्महत्या की धमकी क्यों दे रही हो? आशा बोली, अनिल पढ़ा लिखा है, स्मार्ट हैं और अच्छा कमाता हैं, ओर क्या चाहिए? मैंने पूछा, वो कितना कमाता हैं? आशा बोली 90 000 रू मिलते हैं। मकान का भाड़ा, खाना पीना, घर आना जाना लगभग 60 000, बाकी 20 000 घर भेज देता हैं, ओर 10 हजार अपने बैंक में। मैं बोला, जो आई फोन, डायमंड रिंग, ओर बाकी गिफ्ट्स तुमको दी, उनका क्या? वो सब अपनी मॉ को न देकर तुम्हें देता रहा। अलग मकान, उसकी ई एम आई, ओर बाकी खर्च कहाँ से आएंगे?

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मॉ और परिवार को छोड़कर तुम्हारे पास आ जाये, ओर तुम आत्महत्या की धमकी दो? क्या ये सही हैं? अनिल मानसिक तनाव में है और कुछ भी कर सकता हैं, बाद में पछतावा हो, बेहतर है कि अनिल को भुलाकर जिंदगी में आगे बढ़ो।

फिर हम बाहर आये और आशा के माता पिता से बोला, आपकी बेटी, पढ़ी लिखी हैं, सुंदर हैं, उम्र भी कोई ज्यादा नहीं हुई कोई भी अच्छा लड़का मिल जायेगा। सोचो, अगर जबरदस्ती शादी कर देते हैं, ओर लड़का कुछ ऐसा वैसा कर लेता हैं तो आप पर क्या बीतेगी? ओर अगर आशा कुछ कर लेती हैं तो आप पर क्या बीतेगी? दोनो तरफ आपका की नुकसान हैं, आशा को समझाओ, अनिल को भूलकर आगे बढे। 

आशा के मॉ पिता जी बोले, रिस्तेदार क्या बोलेगे, बदनामी होगी, हम लोगों को क्या मुँह दिखायगे? मैं बोला ओर कविता अगर घर आकर बैठ गई तो लोग क्या कहेंगे? आप रिस्तेदारों को बोल दो की तुम सगाई तोड़ रहे हो क्योकि पता चला है कि लड़का शराब बहुत पीता है,

या किसी और से चक्कर है, वगैरह वगैरह। कोई लड़के वालों से पूछने नही जाएगा, ओर अनिल के घर वाले भी इस बारे मे किसी को कुछ नहीं बताएंगे, ये मेरा वादा है। आप लोग सोच समझ कर, कविता को समझाकर जो सही लगे, मुझे बता देना, क्योंकि ये 2 लोगो का नहीं बल्कि 2 परिवारों का सवाल है। रही बात सामान की, तो जैसा आप कहेंगे, हमें मंजूर हैं। मैं अपना फोन न कविता के पिताजी को दे कर सब के साथ वापस घर आ गया। अभी अभी जो फोन था वो कविता के पिताजी का था, कह रहे थे कि आपकी बातें हमें सही लगी और हम रिश्ता तोड़ रहे है।

कल शाम को अनिल के घर जाकर अंगूठी, कैश आदि सब वापस कर देगे ओर ये रिश्ता यही समाप्त कर देगें। 

रिश्ता करते समय लड़का, उसका घर परिवार सब देखा जाता है, मगर रिश्ता होने के बाद सिर्फ लड़के से मतलब रखकर बाकी परिवार वालो से लड़के को अलग करने की तैयारी शुरू हो जाती है। सुखी जीवन के लिये जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करे, उसे बदलने या कुछ थोपने से रिस्तो में कड़वाहट पैदा हो जाती हैं, जिसका परिणाम सभी को भुगतना पड़ता है।

एम पी सिंह

(Mohindra Singh )

स्वरचित, अप्रकाशित, मौलिक

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