मोहब्बत का रंग – स्नेह ज्योति

राहुल तुम आ रहे हो या नहीं और कितना इंतज़ार करूँ ?? आ रहा हूँ बस थोड़ा ट्रैफ़िक की वजह से देरी हो गयी ।

राहुल जैसे ही पहुँचा टिया कहने लगी “हमें जल्दी शादी करनी पड़ेगी “

राहुल -लेकिन क्यों ??

एक साल हो गया है हमें एक दूसरे को जानते हुए और कितना समय ,मेरे घर वाले मेरी शादी कहीं ओर कर देंगे । इसलिए मैं तुम से कह रही हूँ कि हमें देर नहीं करनी चाहिए ।

राहुल – अभी तो मेरी नौकरी भी नही है …..

टिया -तुम्हें क्या ज़रूरत है नौकरी करने की , सारी उम्र बैठ के खाओ ,तो भी ख़त्म नहीं होगा ! इतना हैं तुम्हारे पास , फिर नौकरी करकें क्या कर लेना है ??

मैं नौकरी अपने लिए करना चाहता हूँ ना कि कुछ साबित करने के लिए।

टिया – ठीक है ,कर लेना पर अभी हमारा सोचो !

राहुल -ठीक है मैं सोच कर बताता हूँ …..

दोनो अपने – अपने घर चले गए ।

कई दिन बीत गए टिया का फ़ोन नही आया राहुल बहुत परेशान था ,क्योंकि वो फ़ोन भी नही उठा रही थी । थक हार के राहुल टिया के घर के पास पहुँच गया । काफ़ी देर हो गयी टिया नही दिखी । कई घंटे इंतज़ार करने के बाद टिया बाहर आयी ,उसे देख राहुल छिपता हुआ उसके पास पहुँचा ।

राहुल तुम यहाँ तुमने तो मुझे डरा ही दिया !

राहुल – तुम कैसी हो ? फ़ोन क्यों नहीं उठा रही थी ?

टिया -मेरा फ़ोन ख़राब हो गया है ।

राहुल – चलो हम चल कर शादी करते है !

टिया -अभी नहीं ……

लेकिन तुम्हीं तो ये चाहती थी , तो अब क्या हुआ??

टिया- अभी मुझे थोड़ा समय चाहिए ….

राहुल बड़े ग़ुस्से में मतलब कोई मज़ाक़ चल रहा है क्या?

कभी हाँ , कभी ना , ऐसा थोड़ी होता है

राहुल तुम अभी जाओं अगर किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी ।

ठीक है अभी मैं जाता हूँ ! पर फ़ोन पे बात करना ।

ठीक हैं मैं बात करती हूँ

थोड़े दिन बाद टिया के घर काफ़ी चहलक़दमी दिखी । सब बड़े खुश थे कि टिया के लिए इतना अच्छा रिश्ता आया हैं और वो शादी के लिए मान भी गई । ये सब देख टिया की दोस्त हैरान थी कि ये इतनी आसानी से मान कैसे गयी ??

सबके जाने के बाद रीमा ने टिया से पूछा -“ तुम तो राहुल से शादी करना चाहती हों तो ये सब क्या है “??

हाँ , “मैं राहुल से प्यार करती हूँ ,पर माँ -बाबा से भी बहुत प्यार करती हूँ ” ……कैसे मना करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा ।

शादी की तैयारियाँ बड़े ज़ोरों शोरों से चल रही थी । जैसे – जैसे शादी के दिन नज़दीक आए वो परेशान रहने लगी । ये सब देख एक दिन उसके पापा उसके पास आए और बोले तुम खुश हो ना टिया – मैं खुश हूँ पापा

मुझे तुम पर बहुत अभिमान है ,पर मैं डरता भी था कि अगर तुमने मेरी पसंद को स्वीकार नहीं किया तो ….. लेकिन तुमने मेरे मान तो टूटने नहीं दिया । तुम्हारा बहुत बड़ा एहसान है मुझ पर !

पापा ये मेरा फ़र्ज़ हैं कह वो सोने चली गयी ।

रात के बाद दिन निकला टिया का मन भी व्याकुल हुआ और पार्लर जाने के बहाने वो भाग के राहुल के पास गयी और शादी करने को कहा ।

राहुल – सोच लो अपनी बात से मुकरना मत

नही , मैं तैयार हूँ

अगले दिन दोनो तय किए गए समय पर कोर्ट में पहुँच गए ।उनके साथ गवाह के तौर पे दोस्त साथ थे । जैसे ही अंदर बुलाया गया सब अंदर गए और रजिस्ट्रार के सामने जब साइन करने को कहा तो टिया का हाथ पैन भी नहीं पकड़ पा रहा था ।

टिया साइन करो ! क्या सोच रही हों ?

मै ये शादी नही कर सकती ! मैं अपने घरवालों को नही छोड़ सकती ….

ये सुन ! राहुल का मुँह छोटा सा हो गया और वो चिल्ला के बोला – “मैं तुम्हारे लिए सब छोड़ सकता हूँ और तुम …..एक साइन नहीं कर सकती “।कभी तुम्हें ये चाहिए होता है कभी कुछ , “ सच बताओ क्यों नही करना चाहती शादी “

राहुल “मुझे माफ कर दो मैं अपने पापा का अभिमान हूँ ! अपने अरमानो के लिए वो मान नहीं तोड़ सकती “

राहुल प्यार पे हमारा हक़ है , पर मुझ पे मेरे माँ -बाप का हक़ हैं । मुझे पता हैं मैं हमारे साथ ठीक नहीं कर रही हूँ । मुझे माफ कर दो .. ..यें कह वो चली गई अपने आँसुओं को पोंछ ज़िंदगी के नए सफर पे निकल गई ।

#अभिमान

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

साप्ताहिक कहानी प्रतियोगिता

 #अभिमान

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