कविता सुबह से ही जोर जोर से बर्तनों की आवाज कर रही थी..यह रोज का था …छोटी देवरानी निक्की घर का कोई काम नहीं कराती थी …उसके ब्याह को अभी 8 माह ही हुए थे ….बेचारी कविता सोचती ये महारानी उठती हैँ…कुल्ला ,ब्रश करती हैँ …नहाती हैँ…नाश्ता किया …खाना लगाया…माँ जी के पैर भी नहीं छूती ,,सीधा बाय करके अपनी स्कूटी उठाके चली जाती हैं …शाम को आती हैं …माँ जी ,पापा जी को खुश करने के लिये खाने के लिये कुछ ना कुछ ले आती हैं …फिर आराम किया..कोफी पीकर फ़ोन लेकर आराम करती ….जब खाने की तैयारी हो जाती रात में तो बस पूछती दीदी कुछ काम करवाऊँ ??
कविता मुंह बनाती हुई कहती – अब तो सब हो गया …रोटी रह गयी हैँ…थोड़ी बहुत रोटी बनाती फिर किसी का फ़ोन आ ज़ाता तो चली जाती …सास भी कुछ ना कहती …कविता इन सब बातों से मन ही मन कुढ़ती…
तभी बर्तनों की आवाज आना बंद हो गयी …किसी के गिरने की आवाज आयी …निक्की दौड़ती हुई आयी…चिल्लायी…मम्मी पापा जी दीदी बेहोश हो गयी हैँ….निक्की ने जेठानी कविता को गाड़ी निकाल तुरंत लिटाया ..घर के दोनों लड़के बाहर नौकरी करते .थे …तुरंत अस्पताल पहुँचाया….डॉक्टर ने कहा – बधाई हो…ये गर्भवती हैँ….कमजोरी हैँ इन्हे ..इनका ख्याल रखिये….
सबकी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा …आठ साल से ईलाज कराने के बाद भी उसकी गोद हरी नहीं हो पायी थी …पर आज अचानक से यह बात सुन सबके चेहरे खिल उठे….देवरानी निक्की ने कविता के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा – सोरी दीदी,,,आप बहुत काम करते हो ..इसलिये कमजोरी आ गयी हैँ आपको ..उसने तुरंत अपने ऑफिस में फ़ोन लगाया – सर ,,मेरी दीदी की तबियत ठीक नहीं हैँ …मुझे पांच दिन की छुट्टी दे दिजिये…उधर से स्विकृति मिलते ही निक्की कविता को घर ले आयी ..पांच दिन कविता को किसी काम को हाथ नहीं लगाने दिया…खाना भी उसे बेड पर ही देकर आती …अब ऑफिस जाने लगी तो शाम को फल ,जूस ,कविता की पसंद की सब चीजें,दवाई लाती ,,कभी पैसे भी नहीं लेती…….सीधा हाथ मुंह धो किचेन में लग जाती ….उसके चेहरे पर कभी भी कविता की तरह काम करने का गुस्सा नजर ना आता …कविता मन ही मन बहन रूपी देवरानी मिलने का ईश्वर का शुक्रिया अदा करती ….
कविता ने नौ माह बाद एक प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया हैँ…निक्की की तो जान हैँ वो ….
ईश्वर सभी जेठानी ,देवरानी का प्यार कविता निक्की की तरह बनाये रखें …..
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा