राखी नहीं मिली  – गुरविंदर टूटेजा

 राखी के एक दिन पहले नीतू की रचना से बात हो रही थी तो…रचना  ने बोला दीदी राखी नहीं मिली और हँसतें हुये बोली राज बोल रहें थे कि कोरियर वालों की राखी तो समय से पहुँचनी चाहिए…!!

राज ने फोन ले लिया और बोला दीदी जीजाजी ने भेजी या वही तो नहीं पड़ी है…!!

  अरे नहीं राज मैंने तो बहुत दिन पहले ही भेज दी पता नहीं क्यूँ नहीं मिली…मैं रात को पता करके बताती  हूँ…!!!!

 नीतू बड़े गुस्से में थी रात को अमित के आते ही उसके पीछे पड़ गयी कि राज मेरा इकलौता भाई है उसकी कलाई त्यौहार के दिन खाली रहेगी..!!

  तुम परेशान ना हो मैं फोन नं. लाया हूँ कल मिल जायेगी पक्का वैसे भी कल राखी बाँधनें का मुहूर्त रात साढें आठ बजें का है…!!

  मैं कुछ नहीं जानती कल मिलनी चाहिए…!!!!



  सुबह भी नीतू का मुँह उतरा हुआ था…दोनों ननदें दो दिन पहले ही आ गयी थी तो उन्होनें कहा…क्या हो गया आज उदास दिख रही हो…नीतू ने पूरी बात बताई तो उन्होंने भी अमित से पूछा ….तो बोला वहाँ बात ही नहीं हो रही है कुछ पता ही नहीं चल रहा है कि कहाँ है…मैं भी कब से परेशान हो रहा हूँ…!!!!

  मम्मी और दोनों ने बोला…अमित ऐसे करों तुम दोनों चले जाओ चार घंटें का तो रास्ता है…नीतू को अच्छा लगेगा..!!!!

नहीं मम्मी आप सब जानतें हो ऐसे नीतू नहीं जायेगी…इतनें में नीतू भी आ गयी उसने भी मना कर दिया पर सबके बार-बार कहने पर उसने कहा कि वो अकेली जायेगी…अमित को भी तो राखी बाँधनी थी…उसे बुरा लग रहा था पर मन ही मन खुश भी थी कि अब राज को राखी बाँध सकेगी…!!!!

 उसने जल्दी से पैकिंग कर ली जाते समय मिठाई व राखी भी ले ली…!!!!

  मायके पहुँचकर दरवाजा खटकाया तो पापा ने दरवाजा खोला…वो उसे देखते ही खुशी से गले लग गये…इतने में मम्मी और रचना भी उसे देख बहुत खुश हुये…मम्मी बोली तेरी तो ननदें आयी हुई थी ना फिर तू कैसे आ गई…!!!!

 नीतू कुछ बोलती इससे पहले रचना ने बात काट दी आईयें दीदी आप बैठियें तो सही राज बाजार गयें हैं कुछ सामान लाना था…!!!!



 वो कहीं राखी तो नहीं ले आयेगा मैंने उसे बोला था मेरी नहीं मिली तो तू लाकर बाँध लेना…मैं फोन लगाकर

उसे मना कर देतीं हूँ…!!!!

 पापा ने कहा…तुम्हारी राखी तो कबसे मिल गयी…रचना तुम्हें पता तो है…!!!!

  वो धीरें से बोली…राज और मैं तो दीदी से मजाक कर कहें थे…आज राखी बाँधकर फोटो खींचकर आपको भेजने ही वाले थे…!!!!

  नीतू कुछ बोलती उसके पहले पापा गुस्से से बोलें…ये कैसा मजाक…??

 इतने में राज भी आ गया और आते ही नीतू के पैर छूकर बोला…माफ करना दीदी सही में मजाक ही किया था यहाँ तक तो हमनें सोचा ही नहीं था…रचना ने भी माफी माँगी…!!!!

  नीतू ने कहा कि तुम्हें पता हैं इसके कारण हम सबने अमित को कितनी बातें सुनाई… तभी तो मुझे यहाँ भेजने का फैसला किया….मुझे भी ऐसे आना अच्छा नहीं लग रहा था पर मेरे इकलौेते व लाडलें भाई की कलाई सूनी ना रहें इसलियें आयी…अब तुम्हारी सजा ये है कि मैं तुम्हें दोनो राखी बांधूंगी जो भेजी थी और अब लायी…फिर उसकी फोटो खींचकर तुम अमित को भेजोगें और उनसे भी माफी माँगोगें…!!!!



  राज बोला…जी दीदी आपकी सजा मंजूर है…चलियें अब मुहूर्त  हो रहा है आप राखी तो बाँधियें…इसी बहाने मुझे व रचना को दो राखी बाँधवानें का सौभाग्य मिलेगा…फिर नीतू ने खुशी-खुशी राखी बाँध दी पर मन में डर भी था कि अमित को जब पूरा किस्सा पता चलेगा तो क्या होगा..!!!!

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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