प्रण अपने अपने – प्रतिभा गुप्ता 

नायरा के विवाह के पांच वर्ष बाद छोटी बेटी मायरा के विवाह की बात उठी तो उसने पहले पढाई पूरी कर आत्मनिर्भर बनने की जिद ठान ली.

माता पिता को उसकी इस जिद को मानने के लिए मायरा ने किसी तरह राजी कर भी लिया.अब मायरा अपनी मंजिल को पाने के लिए पूरी तरह जुट गई. बी.एड. में प्रवेश लेने के साथ साथ ही उसने प्राइवेट स्कूल में पढाना भी शुरू कर दिया. उसने विभिन्न राज्यों के शिक्षक पात्रता परिक्षाओं में भी भाग लिया और उसे अपनी  मेहनत का फल मिला, उसका चयन द्वितीय ग्रेड अध्यापिका के लिए हो गया.

मायरा की इस उपलब्धि से सभी बहुत खुश हुए.घर में एक बार फिर मायरा के विवाह हेतु लड़का तलाश करने की बात उठी.  लेकिन अब मायरा ने यह कह कर सबको हैरान कर दिया कि मैं उस व्यक्ति को ही अपना जीवन साथी बनाऊगी, जो मेरे माता पिता से बिना कुछ लिए मुझसे विवाह हेतु तैयार हो.यह मैंने प्रण लिया है कि मेरा विवाह बिना दान दहेज के, बिना किसी आडम्बर के, बहुत सादगी से संपन्न हो.

इस प्रण की जानकारी होते ही माता पिता दीदी सब परेशान हो उठे.

माता पिता को तो लगा कि ऐसा आदर्श वाला इंसान तो आज के समय में कोई हो ही नहीं सकता है.  वो दोनों उसे समझा समझा कर हार जाते हैं लेकिन मायरा अपने प्रण पर अटल रहती है. तब उसकी दीदी उसे समझाने के लिए आती है.वह कहती है कि  तुम यह जिद क्यों कर रही हो, तुम्हें क्या परेशानी है? जब माता पिता को दहेज देने में आपत्ति नहीं है तो तुम क्यों परेशान हो?


परेशान मैं अभी नहीं दीदी, दहेज देकर विवाह करने के बाद होऊगी.आप खुद को देखिए, आपको इतना दहेज देकर विदा किया गया था और आज तक भी लगातार देने का सिलसिला जारी ही है, फिर भी आप ही बताइये कि आप उस घर में कितनी खुश हो? मैं सब जानती हूँ एक नौकर से ज्यादा नहीं समझता है आपको वहाँ कोई. अरे एक नौकर के तो नौकरी छोड़ कर चले जाने का डर भी रहता है तो इसलिए उससे फिर भी सोच समझकर काम लिया जाता है पर  दहेज लोभी लोग बहू तो बिना पैसे की गुलाम ही समझ लेते हैं . आप सच बताइये दीदी, क्या आप ऐसी जिंदगी से खुश हो, जहाँ जीजू और उनके पूरे परिवार को आपकी कुछ कद्र ही नहीं है.बस दूसरे लोगों के सामने दिखावा करते हैं. कहने को बहू, दिखाने को बहू और घर में फ्री की नौकर वाली जिंदगी.आप ही बताइये दीदी, इस विवाह से आपको क्या सुख मिला है?

दीदी की आंखों में मायरा के तर्क सुन आंसू आ गए. दीदी फिर भी बोली लेकिन विवाह के बिना तुम कब तक अकेले रह पाओगी. भाई की जब शादी हो जाएगी, बच्चे हो जाएगें, तब तुम इस घर में खुद को ही फालतू लगोगी.

बिना विवाह के, बिना बच्चों के अकेले किसके लिए जियोगी. मेरे पास कुछ और हो न हो मेरे बच्चे तो है, मै उनके लिए  ही जी कर खुश हूँ.

तो दीदी बच्चों की क्या बात? दुनिया में इतने अनाथ बच्चे हैं, मैं बच्चे गोद ले लूंगी, उनका भी जीवन संवर जाएगा.

अब दीदी के पास कहने को कुछ न बचा.वह खुद भी आत्मनिर्भर बनने का प्रण मन में लेने लगीं.

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