कर्ज़ – गरिमा जैन

रात में जंगल में हल्की सी हलचल थी।। वहाँ से जाते हुए एक राहगीर ने कुछ लोगों को देखा तो वह रुक  गया ।। उसे किसी अनहोनी की आशंका हुई ।। वहां तीन  कम उम्र के लड़के थे और एक अधेड़ उम्र का आदमी ।। वह चारों किसी गहन बात पर चर्चा कर रहे थे पर उनमे कोई लड़ाई झगड़ा नहीं हो रहा था।।  राहगीर ने बड़े ध्यान से उन्हें देखा ।।  मोबाइल की रोशनी में उनके चेहरे  साफ दिख रहे थे ।। अधेड़ उम्र का आदमी उन्हें कुछ पैसे दे रहा था ।।  राहगीर  कुछ देर वहां रुक फिर अपनी राह पकड़ आगे चला गया ।।

                    अगले दिन सुबह जब वह  फिर से काम पर जा रहा था तो जंगल में उसी जगह बहुत भीड़ इकट्ठा थी ।। वहां पुलिस थी और भी गांव के कई लोग थे ।। वह पेड़ पर से कुछ नीचे उतार रहे थे।।  राहगीर रुक के देखने लगा कि आखिर यहां ऐसा क्या हुआ है तो उसने देखा कि पेड़ पर रस्सी से एक आदमी की लाश टंगी  है जिसे सारे मिलकर नीचे उतार रहे हैं ।। यह  देखकर उसके होश उड़ गए ।यह वही अधेड़ उम्र का आदमी था जिसे उसने पिछली रात लड़कों के साथ देखा था।। वह आगे बढ़ा और ध्यान से सब कुछ देखने लगा ।।

       पुलिस बात कर रही थी कि इसे गला घोंटकर मार दिया गया है ।। उस इंसान की जेब से उसका पर्स भी निकला जिसमें शायद उसका आधार कार्ड या फिर और दस्तावेज थे।। वह राहगीर खड़ा होकर सब कुछ देखता रहा पर वह कुछ बोला नहीं ।। उसे लगा कि उसे तो काम पर जाना है पुलिस कचहरी कोर्ट के चक्कर में पड़ेगा तो उसके घर का खर्च कैसे चलेगा । वह चुपचाप यह  सब देखता है और चला जाता है ।।


      अगले दिन अखबार में यह खबर सुर्खियां बटोर रही थी।। वह आदमी शहर का जाना माना व्यापारी था ।। उसका छोटा सा एक परिवार भी था जिसमें उसकी पत्नी अनीता और बेटा विपिन था ।। व्यापारी का नाम अमित था ।। पुलिस पता नहीं लगा पा रही थी कि आखिर उसकी हत्या क्यों की गई।। बात रंजिश की लगती थी ,शायद उसकी व्यापार में किसी से रंजिश रही हो ।।

अमित आखिर जंगल में उनके साथ क्यों गया ?

उसके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे?

ना ही उसकी गाड़ी वहां मिली ?

पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसके साथ हुआ क्या था ?

इंतजार था तो अब मोबाइल के कॉल रिकॉर्ड का ।। कॉल रिकॉर्ड एक आदमी की डायरी जैसी होती है जो उसके छुपाए कई राज खोल देती है ।। जब अमित के बैंक स्टेटमेंट खंगाले गए तो उसके बैंक में पैसे ना के बराबर थे।। वह  एक संपन्न व्यापारी था पर पता करने पर मालूम पड़ा कि वह गले तक कर्ज में डूबा था ।। कर्जदार आए दिन उसकी पत्नी और उसके बेटे को प्रताड़ित करने लगे ।।

        व्यापारी की पत्नी आए दिन इंश्योरेंस कंपनी के चक्कर काटती हैं ।।अगर इंश्योरेंस के पैसे उसे मिल जाए तो उनकी आधी  मुश्किल हल हो जाएगी ।।अमित लगभग 50 लाख का कर्ज छोड़कर इस दुनिया से चला गया था।। उसकी दुकान भी बंद पड़ी थी ।।मेन मार्केट में उसे कपड़े का एक बड़ा सा शोरूम था ।। अमित की पत्नी तो हमेशा यही समझती रही थी उसका व्यापार बहुत बढ़िया चल रहा है क्योंकि लोकडौन में भी अमित ने कभी भी खर्चे में कोई कमी नहीं छोड़ी थी ।।उनकी जरूरत से ज्यादा ही खर्च व उन पर किया करता था ।। यह जान कर अनिता चौक गई थी कि अमित ने पचास लाख का कर्ज़ ले रखा था।।

       उधर पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग रहा था।

अमित के मोबाइल में ऐसे कई नंबर थे जिनसे वह लगभग रोज ही बात करता था ।। हर नंबर की तहकीकात हो रही थी फिर पुलिस को एक नंबर मिलता है जिस पर उस रोज बार-बार बात की  गई थी जिस रोज अमित का कत्ल हुआ था।। उन्हें यह नंबर संदिग्ध लगता है ।। नंबर किसी बंटी नाम के आदमी का था ।।अमित की पत्नी से पूछता से मालूम पड़ता है कि वह ऐसे किसी बंटी के बारे में कुछ नहीं जानती।।


             पुलिस बंटी की जांच-पड़ताल शुरू कर देती है बंटी अट्ठारह उन्नीस साल का लड़का था जो पास की दुकान में पंचर बनाने का काम करता था ।। वह पुलिस को बताता है कि अमित की कार उस रोज पंचर हो गई थी इसलिए वह कार उसी की दुकान पर छोड़ गए थे ।।इसी कारण व अमित से बार बार फोन पर बात कर रहा था ।। शाम के लगभग 6:00 बजे अमित उसकी दुकान से कार लेकर चला गया था।। इसके अलावा वह अमित से कभी एक दो बार और बात कर चुका था जब भी उसे कार का पंचर या कोई ऐसी मरम्मत का काम कराना होता तब बंटी को फोन किया करता था।।

         पुलिस यहां भी खाली हाथ वापस आ जाती है।। इस हादसे को लगभग एक महीना भी चुका था लेकिन इंश्योरेंस कंपनी से अभी भी पैसा अमित की पत्नी को नहीं मिला था।। इंश्योरेंस कंपनी जब तक यह  पक्का नहीं कर लेती कि वह एक हत्या थी तब तक पैसे नहीं दे रही थी ।। इधर पुलिस के एक  खबरी को यह बात मालूम पड़ती है कि वहीं पास में एक गांव में किसी आदमी ने रात में जंगल में अमित को तीन लड़कों के साथ देखा था ।। वह खबरी पुलिस को बताता है कि जब वह ढाबे पर बैठा चाय पी रहा था तब एक आदमी वहां कह रहा था कि जो आदमी उस रात जंगल में मारा गया था उसने उसे कत्ल की रात देखा था ।। वह उन लड़कों को कुछ पैसे दे रहा था।। यह  सुनते ही पुलिस का माथा ठनक जाता  है वह तुरंत उस आदमी को पुलिस स्टेशन बुलाती हैं ।।यह वही राहगीर था जिसने अमित को उन तीन लड़कों के साथ देखा था।।

   अब वह  पुलिस को बताता है कि वह आदमी जो लंबा सा अधेड़ उम्र का लग रहा था, उन तीनों लड़कों से बहुत अच्छे से बात कर रहा था और फिर उसने कुछ पैसे उसमें से एक लड़के के हाथ में दिए , बस राहगीर ने इतना ही देखा था।। पुलिस पूछती है कि अगर उन लड़कों की तस्वीरों उसे दिखाई जाए तो क्या वह पहचान लेगा तो वह कहता है कि हां व कोशिश जरूर करेगा ।। तब उसे बंटी की तस्वीर दिखाई जाती है वह  बहुत देर तक  तस्वीर देखता रहता है फिर वह कहता है कि  पक्के  तौर पर नहीं लेकिन हां वह लड़का उन तीनों में से एक हो सकता है ।। वहां बहुत अंधेरा था और मोबाइल की रोशनी में से सिर्फ चेहरा ही दिख रहा था ।।

तब राहगीर ने उस अधेड़ उम्र के आदमी यानी अमित को ही ढंग से देखा था ।।

     अब पुलिस  उन लड़कों की तलाश कर रही थी जो शायद बंटी के साथ उस रात अमित को जंगल में लेकर गए थे।। बंटी को फिर से हिरासत में लिया जाता है और अब पुलिस उसकी अच्छे से खातिरदारी भी करती है, तो बंटी रो रो के सब कुछ बता देता है ।। वह कहता है इसमें उसके दो साथ और थे लेकिन इसमें बंटी की कोई गलती नहीं उसने तो अमित की मदद ही की थी ।। मदद ,पुलिस बन्टी की और पिटाई करती है ।।

    बंटी बताता है कि एक महीने पहले अमित उससे पंक्चर ठीक कराने आया था, वह बहुत परेशान लग रहा था।। उसने बंटी से कहा कि क्या वह किसी ऐसे आदमी को जानता है तो पैसे लेकर किसी का कत्ल कर सकता हो  ! तब बंटी इस बात को सुनकर चौक गया । वह  सीधा साधा लड़का था जो चुपचाप मरम्मत का काम करता था ।। अगले दिन अमित उसके पास आया और कहने लगा कि बन्टी उसकी मदद कर सकता है।। उसने  बंटी से कहा कि अगर वह उसको मरवा देगा तो वह  उसे एक लाख रुपया देगा।। बंटी पैसे की लालच में आ गया पर वह जानता नहीं था कि आखिर एक आदमी खुद  को मरवाने की सुपारी क्यों दे रहा था ।।

     इस वक्त अमित  बताता है कि इंश्योरेंस कंपनी में उसका एक करोड़ का इंश्योरेंस है लेकिन अगर वह आत्महत्या कर लेगा उसे एक रुपया  भी नहीं मिलेगा ।। लॉकडाउन के चलते उसका व्यापार बिल्कुल ठप हो चुका है और उसे अपना घर चलाने के लिए और नौकरों को पैसा देने के लिए काफी कर्ज़  ले लिया है।।एक  साल में उस पर लगभग 30-40 लाख का कर्जा हो गया था तब उसने दस लाख रुपया बाजार  से  कर्ज उठाया पर वह भी चोरी हो गया ।। वह बहुत परेशान है ,वह समझ नहीं पा रहा कि  क्या करें? पहले तो बंटी उसकी मदद करने से इंकार कर देता  है पर अमित के बार-बार इसरार करने पर वह तैयार  होता है।। इसमें बंटी को कुछ भी नहीं करना था ।।वह दो लड़कों को जानता था जो अमित का कत्ल करने वाले थे।।

       पहले अमित उनसे कहता है कि वह एक देशी कट्टा खरीद ले  और उसी से उसे मार डाले पर बंटी और उसके दोस्तों को कहीं से भी देसी कट्टा नहीं मिलता,तो अमित खुद ही रस्सी खरीद कर लाता है और खुद उनकी गाड़ी से  जंगल में जाता है ।।जंगल में जाकर वह उन्हें नब्बे हज़ार रुपया  देता है दस हज़ार  वह पहले ही दे चुका था और उनसे कहता है कि उसका गला घोट कर उसको पेड़ पर लटका  दिया जाए, जिससे यह एक कत्ल  लगे।। तभी उसकी पत्नी को इन्शुरन्स के पैसे  मिल जाएंगे जिससे वह कर्ज़ उतारकर  बाकी के पैसों  से आराम से जी लेगी।।


इस बात का खुलासा होते ही केस   एक नया मोड़  ले  लेता है ।। इंश्योरेंस कंपनी अपनी तरफ से एक केस कर देती है कि ऐसी हालत में इंश्योरेंस का ₹1 भी नहीं देगी यह एक छलावा है ।। इंश्योरेंस कंपनी के साथ छल किया गया था ।। अनीता और उसका बेटा कई दिनों तक कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते हैं ।। पर न उन्हें पैसा ही मिलता है ना व कर्जा उतार पाते है पर अनीता अमित की तरह कमजोर नहीं थी ।।वह

जिंदगी  की कमान संभाल लेती है  और अमित के कपड़ा शोरूम फिर से खुलवाती  है ।।अपने गहने बेचकर ,थोड़े बहुत कर्जे को उतारती है साथ ही अपना घर गिरवी रखकर धीरे-धीरे कर्जा उतारती रहती है ।। शायद अमित ने  हिम्मत दिखाई होती तो वह भी जिंदगी की जंग जीत सकता था ।।इस तरह से बेमानी करके उसे कुछ भी हासिल नहीं हुआ, उसने अपना अमूल्य जीवन तो को ही दिया साथ ही बीच भंवर में अपने पत्नी और अपने बेटे को भी छोड़ गया ।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!