पिया का घर – नीरजा कृष्णा

मयूरी आज सुबह से बेहद उदास थी।वो बस औंधी पड़ी पिछली बातें सोचे जा रही थी।

 उस छोटे से घर में या उस ढाई कमरे के घर में किसी से कोई बात छिप ही नहीं पाती थी। ममतामयी सास और स्नेही जेठानी रूपा उसकी उदासी महसूस करती ही थीं। उस दिन जब वह चाय पीने भी नहीं आई और पूछने पर सिरदर्द का बहाना करके पड़ी रही थी।

रूपा बहुत सोच में पड़ गई और मन ही मन उसकी बीमारी का विश्लेषण करने लगी। फिर अचानक बोली,

“अम्मा, हमलोग बहुत दिनों से कहीं बाहर घूमने नहीं गए हैं। इनकी छुट्टियां भी बाकी हैं। कुछ दिनों के लिए निकल जाते हैं।”

अम्मा बहुत खुश होकर बोलीं,”ये तो बहुत अच्छा रहेगा। तुमलोग वाकई कहीं नहीं निकले हो। घर गृहस्थी के जंजाल से फुर्सत मिले तब ना।”

उत्साहित होकर रूपा बोली,”अम्मा, आप और बाबूजी भी कभी कहीं नहीं निकलते। बनारस वाले मामाजी मामीजी कितना बुला रहे हैं। ज़रा बाबूजी भी तो ससुराल की मस्ती का मज़ा लें। इस बार  आपका भी बनारस का टिकट बनवा देते हैं।”

अम्मा तो निहाल हो गईं पर तुरंत ही सुस्त होकर मुॅंह लटका कर बैठ गईं। अपनी स्कीम में व्यवधान पड़ते देख कर वह चौंक कर पूछ बैठी,”क्या हुआ अम्मा? मुॅंह क्यों लटका लिया?”

वो अपनी ठुड्ढी पर हाथ टिका कर भोलेपन से बोलीं,”अरी, नई बहू रूपा को किसके भरोसे अकेली छोड़ दूॅं? दुनिया क्या कहेगी…वो अभी निरी बच्ची है। अभी उसे यहां का आगापीछा कुछ पता भी नहीं है।”

रूपा सिर पर हाथ मार कर बोलीं,”अम्मा भी न जाने किस दुनिया में रहती हैं… मयूरी छोटी नहीं है। उसे सब अक्ल है। कुछ दिनों के लिए अकेली भी छोड़िए, तभी तो सीखेगी।”

उसे याद आ रहा है…जब  सब लोग निकल रहे थे, मयूरी खूब खुशी से सबकी तैयारी करवा रही थी….तभी रूपा ने आकर चिकोटी काटी थी,” अब कुछ दिन घर की रानी बन कर रहना। खूब मस्ती करना पर हम लोगों को भी याद कर लेना, और देवर जी को ज्यादा सताना मत। बहुत भोलेभाले हैं।”

वो मंद मंद मुस्कुरा कर रह गई थी 

पर दो दिनों में ही रोमांस का भूत उतर गया था। जिस छोटे से घर में पति के साथ एकांत को तरस रही थी, अब वही एकांत काट खाने को दौड़ रहा था। नन्हे बिट्टू की शैतानियां याद आ रही थीं… जेठानी रूपा की चुलह मन को मथे  दे  रही थी। सूनी दीवारें और वो  छोटे सूने ढाई कमरे विशाल अजगर की भाॅंति मुॅंह फाड़े जैसे उसे निगलने को तैयार थे। वो घबडा़ कर फोन लगा बैठी और सिर्फ़ रोती रही। धीरे से रूपा ही बोली,”हम सब सुबह आ रहे हैं। बढ़िया नाश्ता तैयार रखना।”

 

नीरजा कृष्णा

पटना

 

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