पसंद नापसंद की – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

रीना ओ रीना बड़ी अच्छी खुशबू आ रही हैं तेरे घर से ,कयाआज फिर तू मठरियां बनाने बैठ गई,येआबाज रीना की सहेली रेखा की थी।कया करू रेखा आज आफिस जाते समय इनकी फरमाइश थी कि जब शाम को घर लौटूं तो चाय के साथ गरमागरम मठरिया बना घर रखना।बस भाईसाहब ने कहा और तू जुट गई उनका फरमान पूरा करने में।

मैं पूछती हूं कि तेरा अपना भी कोई मन है कि नही। कभी बच्चों की फरमाइश पूरी करने में जुटी है तो कभी पतिदेव की। रसोई में हर दम कुछ न कुछ बनाते रहने से तेरामन नहीं घुटता। दुनिया तो चांद तक पहुंच गई और तू है कि बस मठरियां बनाने में लगी रहती है।

हर समय बस चकरघिन्नी की तरह घर के कामों में ही लगी रहती है। अच्छा ये बता यह सब करके तुझे कोई तमगा तो मिलने बाला नही है।तेरी शादी को भी पूरे पच्चीस साल हो चुके है,और हां उम्र भी तो बढ़ रही है तेरी। क्या तू टीवी नही देखती,रोज तो बताते हैं कि बढ़ती उम्र में मसल्स कमजोर हो जाती हैं, अतः हड्डी टूट ने का अंदेशा हो जाता है।अपने लिए भी तो कभी कुछसोच

हां कह तो तू ठीक ही रही है,तू बता मै क्या करूं अपनी सेहत दुरुस्त रखने के लिए। सबसे पहले तो तू मॉर्निंग वॉक पर जाना शुरू करदे या फिर कोई योगा क्लास ज्वाइन करले।इससे तेरी बॉडी फ्लैक्सी विल हो जायगी

अच्छा आज ही इनसे बात करती हूं,आजतक मैने तो इनसे बिना पूछे कोई काम किया नही है।इनका गुस्सा तो तुम जानती ही हो।इनके ये बात नागबार गुजरेगी,मैं जानती हूं,जब तव कहते ही रहते हैं कि तुम सारा दिन करती ही क्या हो।?।

अच्छा ये बता तेरा मन नहीं होता घर से बाहर निकल कर अपनी सहेलियों के साथ गप्पें लगाने का। तुझे मालूम कि नही आजकल लेडीज अपने मन की करने के लिए एक मी टाइम निश्चित करती हैं इस समय को ये लोग सिर्फ अपने मन से समय बिताने में लगाती है।फिर चाहे पिक्चर देखने जाना हो फ्रेंड के साथ या पार्लर जाना हो या अपनी पसंद का कोई काम करना हो।अपने मन का करके कितनी खुशी मिलती है।मै तो कहती हूं तू भी अपना मीटाइम निश्चित करले और घर में सबको बतादे कि जैसे इतबार को मैं देर से सोकर उठूंगी और उस दिन घर का कोई काम नहीं करूंगी।एक दिन की छुट्टी मुझे भी चाहिए।शुरू शुरू में परिवार के लोगों को कुछ आश्चर्य जरूर होगा फिर सबको आदत हो जायगी। क्योंकि हर परिवर्तन से कुछ एतराज होना लाजमी है,फिर धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर आही जाती है।

अच्छा बता इस साल जव न्यू ईयर पार्टी हुई थी,तो उसमे कपल गेम रखा गया था,जिसमें पतियों को अपनी पत्नी के पसंदीदा रंग व डिश या पसंदीदाघूमने की जगह या मनपसंद मूबी का नाम लिखने को कहा गया था।इस गेम में सबसे कम पॉइंट देते पति के ही आये थे।यानी उनको तेरी पसंद ना पसंद से कोई लेना देना ही नही है।इतने दिन साथ रहने के बाद भी यदि उनको हमारी पसंद मालूम ही नही है,तो फिर तो यही हुआ न कि हमारी कोई अहमियत ही नही है उनके दिल में। सारी जिंदगी हम ही तो उनके मन की करते रहते हैं

यदि सामने बाले को हमारी अहमियत का एहसास न हो तो जरूरी है अपनी अहमियत का एहसास कराना चाहिए।

यदि हक न मिले तो छीनकरलेना चाहिए।अभी भी देर नहीं हुई है,ये हर दिन मठरिया तलने छोड़ कोई लेडीज क्लब या किटी जॉइन करले फिर देख तुझ भी लगेगा कि तू कुछ तो अपने मन का कर रही है।इस खुशी का अनुभव अलग ही होता है। पिछले सप्ताह जव हम लोग कहीं से लौट रहे थें तो गोलगप्पे की दुकानदेखकर तूने कहा था कि जरा गाड़ी रोकिए मुझे गोलगप्पे खाने का मन है तो कैसे चटाक से उन्होंने अपना फैसला सुना दिया था कि भले घर की लेडीज सड़क पर खड़े होकर गोलगप्पे नही खाती।तेरा चेहरा कितना उतर गया था।मै तो तेरी सहेली हूं इसलिए तुझे समझा रही हूं जरा घरसे बाहर निकल कर देख।घर अपनी जगह है ओर हमारी अहमियत भीतो जरूरी है यदि सामने बाले को समझ न आए तो उनको एहसास दिलाना बहुत जरूरी है बरना उम्र पड़ने पर सिबाय पछतावे के कुछ नही रह जायगा।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

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