ओढ़नी  – कमलेश राणा

 

बहुत कम उम्र में ही माँ का साया उसके सर से उठ गया था ,,तब वह 8 वीं में पढ़ती थी,,दादी बुजुर्ग थीं तो उन्होंने उसे चाचा के पास रहने भेज दिया और इसी के साथ उसकी शिक्षा पर भी विराम लग गया,,

17 साल की होते-होते उसकी शादी बाड़मेर के एक छोटे से गांव में हो गई,,वहां 10 किलोमीटर दूर से बैलगाड़ी से पानी लाती,,जिन्दगी एक ही ढर्रे पर चल पड़ी,,

जिस दिन उसे पता चला कि उसकी कोख में नया जीवन सांसें ले रहा है,,खुशी से झूम उठी वो,,बस इन्तज़ार था उसको गोदी में ले कर,,उस पर ममता लुटाने का ,,वह दिन भी आ गया,,खुशी की सीमा नहीं थी,,बेटा हुआ था उसे,,

डेढ़ साल कैसे निकल गया,पता ही नहीं चला,,अचानक एक दिन बच्चे की तबीयत खराब हो गई,,शहर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे,,जब तक व्यवस्था हुई तब तक बहुत देर हो चुकी थी,,उसकी गोद सूनी हो गई थी,,

इस घटना से उसके जीवन ने नया मोड़ लिया,,उसने खुद ऐसा कुछ करने की ठानी जिससे वो दो पैसे कमा सके,,पर अब सवाल यह था कि करे तो क्या करे,,इतना पढ़ी लिखी नहीं थी कि कोई नौकरी कर पाती,,जिस पर छोटा सा गांव,,

एक दिन इसी उधेड़ बुन में बैठी थी कि उसे अपनी दादी की याद आयी,,उसकी दादी बहुत अच्छी कढ़ाई करती थीं और साथ में उसे भी लगाये रहतीं थीं,,उसकी आँखों में चमक आ गई और उसने अपने इसी हुनर  को रोजगार बनाने का फैसला लिया,,

सबसे पहले उसने कुछ ओढ़नी पर कढ़ाई की और महिलाओं को दिखाया,,गज़ब की सफाई थी उसके हाथ में,,वो ओढ़नी तुरंत बिक गई,,अब नई राह मिल गई उसे,,घर का काम निपटा कर वह कढ़ाई करती,,

उसने ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बाड़मेर से जुड़ने का निर्णय लिया,,,अब ज्यादा ऑर्डर मिलने लगे तो उसने अपने साथ गांव की दस महिलाओं को शामिल किया और एक सिलाई मशीन के साथ दीप देवल महिला स्वयं सहायता समूह की स्थापना की,,

धीरे-धीरे लोग जुड़ते गये और कारवां बनता गया,,अब वह घर-घर महिलाओं को कच्चा माल उपलब्ध कराने लगीं और तैयार माल मँगवाने लगीं,,

आज उनके प्रोडक्ट्स न केवल देश में बल्कि विदेशों में खासी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं,,

बाड़मेर की झुग्गी झोंपड़ी से शुरुआत कर के आज उन्होंने वो मुकाम हासिल किया है कि राजस्थानी कला और संस्कृति की ब्राण्ड एम्बेसेडर बन कर वो देश विदेश में इसके रंगों को बिखेर रहीं हैं,,

अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं,,आज उनके साथ 22 हजार महिलाएं काम कर रही हैं,,इस उपलब्धि के लिए 2018 में उन्हें नारी शक्ति अवार्ड भी मिल चुका है,,

जी हाँ,,अब  तक तो आप समझ ही गये होंगे,,हम बात कर रहे हैं रूमा देवी की,,जो आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है,,कौन बनेगा करोड़पति और इंडियन आइडियल जैसे प्रोग्रामों में भी भाग ले चुकी हैं,,

अभी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें स्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया ,,उनके द्वारा बनाए गए कुर्ते,साड़ियां,बेडशीट दुनियां में धूम मचा रही है,,उन्हें डॉक्टर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है और अब वह डॉ रूमा देवी हैं,,

इसके अलावा वह समाज़ सेवा के कार्य भी कर रही हैं,,जीते जी लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं वो,,

सच कहा है प्रतिभा को छिपा कर नहीं रखा जा सकता,,बस जरूरत है स्वआंकलन करने की,,जो लोग शिक्षित न होने के कारण खुद को कमतर आंकते हैं,,उनके लिए रूमा देवी बहुत बड़ा उदाहरण हैं,,

कमलेश राणा 

ग्वालियर

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