नासूर – डा. मधु आंधीवाल

प्रखर एक अच्छे घर का इकलौता  लड़का था । अभी तो बचपन से निकल कर किशोरावस्था में कदम रखे थे । मोहल्ले का माहौल सही नहीं था । मां पापा भी उसे हमेशा समझाते कि बेटा दोस्ती अच्छी होनी चाहिए । मोहल्ले के इन बिगड़ैल बच्चों से थोड़ी दूरी बना कर रखा करो । घर में एक नौकर  रामू पूरे दिन रहता था जो प्रखर से उम्र में कुछ बड़ा था । वह सबके सामने बहुत अधिक सीधा और आज्ञाकारी कारी बनता परन्तु बहुत शातिर दिमाग था । प्रखर के मम्मी पापा  उसे भी बच्चे की तरह देखते थे क्योंकि रामू के पिताजी भी प्रखर के पापा की फैक्ट्री में काम करते थे ।

रामू के साथ शाम को पार्क में प्रखर खेलने जाता था । वहाँ और भी बड़े लड़के खेलने आते थे । रामू ने प्रखर की दोस्ती उन लड़को से करा दी । वह लड़के ड्रग्स आदि लेते थे । उन्होंने प्रखर को डरा धमका कर घर से पैसे लाने को कहा । प्रखर पहले तो मना करता रहा क्योंकि वह अपने पापा से बहुत डरता था पर उन लड़कों ने उसे बहुत दबाव में ले लिया कि तेरी शिकायत तेरे घर करेगे कि तू सिगरेट पीता है। रामू भी उन्हीं लड़को का संग देता ।


पहले तो वह पापा की अलमारी में से रू निकाल कर उन लड़को को देता रहा पर एक दिन उसके पापा को कुछ शक हो गया कि शायद उसके कुछ रु कम हो जाते हैं पर उनका ध्यान प्रखर पर नहीं गया । अब प्रखर की हिम्मत बढ़ गयी । रामू ने उसका साथ दिया और रामू और प्रखर ने मिल कर प्रखर की मम्मी की अलमारी में से 10 के नये 1000 नोट निकाल लिये । जब उसकी मम्मी को पता चला तब उसने प्रखर की पिटाई की तब प्रखर ने रो रो कर रामू के बारे में बताया । प्रखर के पापा ने रामू के पिताजी को बुलवाया । रामू के पिताजी ने कहा साहब आप जो उचित समझो वह करो क्योंकि अगर इस समय मैने इसको ढील दी तो ये मेरे लिये नासूर बन जायेगा । प्रखर के पापा ने पुलिस से कह कर रामू को बाल सुधार गृह और सजा के तहत प्रखर को हॉस्टल में भेज दिया । हॉस्टल वार्डन से प्रखर के लिये सख्त रहने की हिदायत दे दी । पुलिस ने और लड़कों को पकड़ लिया और जेल भेज दिया । प्रखर के पापा रामू के पापा से कहा अब नासूर नहीं बनेगा ।

स्वरचित

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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