मुजरिम और सज़ा – डॉ कंचन शुक्ला Moral Stories in Hindi

” उसके आंसू उसके दिल के दर्द को बंया कर रहे थे राजीव , इसलिए मैंने उसे ज्यादा कुरेदना उचित नहीं समझा” मुक्ता ने अपने पति राजीव को गम्भीरता से जवाब दिया।

   ” मुक्ता तुम दिल की  अच्छी और मासूम हो सभी को अपने जैसा समझती हो यही वजह है तुम लोगों की बातों पर जल्दी ही विश्वास कर लेती हो जबकि आज कल का जमाना ऐसा नहीं है। तुम्हें पिछला केस याद है जब तुमने मोना नाम की लड़की पर विश्वास करके उसका केस लड़ा था। फिर क्या हुआ था तुम्हें ही भरी अदालत में शर्मिंदा होना पड़ा था उसी लड़की ने भरी अदालत में झूठ बोल कर  तुम्हें ही झूठा साबित कर दिया था।
उसने तुम पर कितना घिनौना इल्ज़ाम लगाया था तुम शायद भूल गईं पर मुझे सब याद है ” उसने जज साहब से कहा कि,तुमने उसे उन लड़कों के खिलाफ झूठ बोलने के लिए मजबूर किया था। जबकि तुम तो उस लड़की की मदद कर रही थी ,तुमने तो उससे यह भी कहा था , मैं तुम से अपनी फीस भी नहीं लूंगी ।
इसलिए मैं कह रहा हूं कि, पहले उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेना तब केस लड़ना” राजीव ने समझाते हुए कहा।

   ” मैं तुम्हारी बात समझ रहीं हूं पर इसका मतलब ये तो नहीं है मैं,उस एक झूठी लड़की के कारण  सब पर अविश्वास करूं?
उस झूठी लड़की मोना के साथ बलात्कार हुआ था पर वह पैसे की लालच में फंसकर झूठ बोल गई। उसकी झूठी गवाही के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई मैं केस भी हार गई, लेकिन मोना की गलती की सज़ा मैं निशा को नहीं दे सकती। निशा के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है उसके कालेज के आवारा लड़कों ने यह दुष्कर्म किया है। निशा उन दरिंदों को सज़ा दिलवाना चाहती है मैंने उससे ये बात कही थी तब उसने मुझसे कहा कि, मैं उससे स्टांप पेपर पर लिखवा लूं यदि वह अदालत में मुकर जाए तो मैं उस पर झूठी गवाही देने का केस कर सकतीं हूं।


इसीलिए मैंने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया  राजीव उसके चेहरे की बेबसी आंखों के आंसू स्वयं उसके दर्द को बंया कर रहे थे।
राजीव तुम्हें तो पता है , मेरी बहन के साथ क्या हुआ था।जब हमने उन अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज किया तो हमारा वकील बिक गया जिससे मेरी बहन को न्याय नहीं मिला और उसे भरी अदालत में कितना अपमानित होना पड़ा।उस अपमान को वह बर्दाश्त नहीं कर सकी  उसने आत्महत्या कर ली।तब मैंने उसकी मौत पर कसम खाई थी , मैं अब किसी भी मासूम लड़की को अदालत में शर्मिंदा नहीं होने दूंगी जिससे उसे आत्महत्या करनी पड़े। इसलिए मैंने वकालत की मैं वकालत की प्रैक्टिस पैसे के लिए नहीं करतीं बल्कि लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए करतीं हूं ये तुम जानते हो।


मैं जिस केस को अपने हाथों में लेती हूं उस केस को जीतना मेरा दृढ़ संकल्प बन जाता है इसका सबसे बड़ा कारण है मैं झूठे केस लेती ही नहीं,अपराधी मेरे नाम से कांपते हैं क्योंकि उन्हें यह पता होता है अगर मैं उनके खिलाफ लड़ रही हूं तो उन्हें सज़ा से कोई नहीं बचा सकता” मुक्ता ने गम्भीर लहज़े में जवाब दिया।

  ” मैं तुम्हारी भावनाओं को समझता हूं पर आजकल की लड़कियां पैसों के लिए लड़कों को झूठे केस में भी फंसा देती हैं मैं इसलिए कह रहा हूं पहले अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लो, किसी निर्दोष को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए”राजीव ने अपने मन की शंका जाहिर की,

   ” तुम्हारी बात बिल्कुल सही है इसलिए मैंने प्राइवेट जासूस रखा हुआ है जब मैं कोई केस लेती हूं तो पहले उसकी पूरी जांच-पड़ताल करवा लेती हूं तभी केस हाथ में लेती हूं। मोना के केस के अतिरिक्त मैं आज तक एक भी केस नहीं हारी नहीं हूं और आगे हारूगीं भी नहीं इसका मुझे पूरा विश्वास है क्योंकि भगवान भी सच का साथ देते हैं। राजीव तुम जानते हो मैं सिर्फ सताई हुई लड़कियों ,औरतों के ही केस नहीं लड़ती बल्कि उन आदमियों का केस भी अपने हाथ में लेती हूं जो औरतों और लड़कियों के द्वारा सताए जाते हैं।
मैं सच्चाई के लिए लड़ रहीं हूं इसलिए सच जहां है मैं वहां हूं मैंने आज तक कभी भी झूठा केस अपने हाथ में नहीं लिया है” मुक्ता ने आत्मविश्वास के साथ कहा।

   ” अच्छा जी मुझे तो यह पता ही नहीं था कि, हमारी मैडम जासूसी भी करवाती हैं मैं तो समझता था कि, तुम्हें कोई भी बेवकूफ बना सकता है यहां तो मैं ही बेवकूफ़ बन गया”, राजीव ने हंसते हुए कहा और मुक्ता को अपनी बाहों में खींच लिया।

  ” अरे•••• अरे••• पतिदेव जी मुझसे दूर ही रहिए वरना केस कर दूंगी”, मुक्ता ने गम्भीर मुद्रा में कहा मुक्ता का चेहरा देखकर राजीव के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई फिर दोनों खिलखिला कर हंस पड़े।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश
4/5/2024

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