मेरी सुलू – अनुपमा 

सुलु जरा इधर सुन तो , भाभी की आवाज सुन कर सुलू ने भी आवाज से प्रति उत्तर दिया आई ई ई ई भाभी और फौरन ही भाभी के सामने जा कर खड़ी हो गई ।

सुलु हमेशा से ऐसे ही है दस साल की उम्र से वो भाभी के पास ही रह रही है , जब से महामारी ने उसकी मां को उससे छीन लिया था । जाने क्या देखती है सूलू भाभी मैं जो उनके चेहरा देख कर सूलु की आंखों मै चमकीली सी खुशी आ जाती है , भाभी के आगे पीछे घूमते रहना और भाभी के सारे काम करना यही सुलु की दिनचर्या है । भाभी को जब सुलु सजते देखती तो वो फटी फटी आंखों से भाभी को निहारती रहती , सुलु के लिए भाभी किसी परी से कम नहीं थी ।

भाभी भी सुलु को अपने पुराने कपड़े ,और सजने संवरने का सामान देती रहती थी ,भाभी चाहती थी सुलु पढ़े भी पर जाने क्यों सुलु का मन पढ़ने मैं बिल्कुल भी नही था , हां कागज पेंसिल उसके हाथ मैं हो तो अक्षरों की बजाय सुलु पूरे कागज पर कुछ न कुछ रेखाएं जरूर उकेरती रहती थी , भगवान ने खास तोहफा दिया था सुलु को , बिना सीखे ही हुबहू चित्र बना देती थी सुलु किसी का भी ,उसकी पूरी किताब भाभी की तरह तरह के चित्रों से भरी पढ़ी थी ।



सुलु भाभी के छोटे मोटे काम करने से लेकर कभी जरूरत पढ़ने पर अन्य कामों मैं भी मदद कर दिया करती थी । उसका मुख्य काम बस भाभी का ध्यान रखना ही था , तीन गर्भपात होने की वजह से बहुत कमजोर हो गई थी भाभी और अंदर से बहुत टूट सी गई थी ,कई साल हो गए थे भाभी को ये सब झेलते हुए , अब एक साल से वो आईवीएफ भी करवाने की कोशिश कर रही थी ,पर सफलता नहीं मिल पा रही थी इतनी कोशिशों के बाद भी , भाभी के शरीर से ज्यादा मन कमजोर हो चुका था हर वक्त वो एक अलग से ही दर्द मैं रहती , आंखों की नमी कभी कम ही नही होती उनकी ।

भाभी ने रोज की तरह ही सुलु को आवाज दी पर कोई उत्तर नही मिला तो वो खुद ही उसके कमरे तक आ गई , देखा सुलु अभी तक सोई हुई थी , जगाने के लिए जैसे ही सुलु को छुआ तो देखा तेज बुखार है सुलु को , और सुलु के बगल मैं ही किताब रखी है  । भाभी को लगा सुलु तो पढ़ती नही है फिर ये किताब यहां , सुलु को दवाई देकर और कुछ खाने को देकर वो सुलु की किताब लेकर अपने कमरे मैं आ जाती है । 

सुलू की किताब मैं भाभी अपने अलग अलग रूप मैं सुंदर चित्र देख कर अचंभित हो जाती है । सुलू ने हर उस क्षण को उस किताब मैं उकेरा था जो उसने भाभी के साथ बिताया था कैसे भाभी ने उसको अपनाया , खयाल रखा बिलकुल एक मां की तरह ।

मन ही मन मैं भाभी कुछ फैसला करती है और अगले दिन ही सुलु को एक बहुत अच्छे ड्राइंग स्कूल मैं भरती करवा देती है और सुलु को गोद लेने की प्रक्रिया के कागज तैयार करवाने को भैया से कह देती है ।

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!