मेरी भोली भाली बेटी – सुषमा यादव

एक दिन मैं अपनी दोनों बेटियों के साथ ग्रुप वीडियो कालिंग कर रही थी,, बातों, बातों में दोनों कहने लगी कि,याद है , मम्मी ने बचपन में हमें कितना मारा था,, कभी, हाथों से, तो कभी चिमटे से,, और हां बेलन से भी,, रोटी बनाते, बनाते,, मैं हंसने लगी,अरे,,पढ़ाई के लिए ही तो मारा था,,अगर इतनी कड़ाई ना करती तो यहां तक कैसे पहुंचती,,इतने में बड़ी बेटी बोली और वो जो पापा ने किया,,,, वो घटना याद करके हम सब बहुत, हंसे,,बस हंसते ही रहे,,,,

और फिर उस मजेदार घटना के अतीत में हम ख़ो से गये,,

बेटी पहुंच गई थी बारहवीं कक्षा में,, परीक्षा देकर घर आई,,

हमने एक दिन कहा कि चलो भाई,रसोई में चलो,, हमने अब तक कुछ नहीं कहा,,अब कुछ बनाना सीखो,, बड़ी हो गई हो,,

बेटी जी बोली,,आपकी रसोई अच्छी नहीं है, छोटी भी है,, बड़ी रसोई हो, आधुनिक मार्डन , चमचमाती हो तभी हम अंदर आयेंगे,, हम गुस्सा कर बोले,, तुम कहीं की महारानी हो, राजकुमारी हो,, हमने चमचमाती बड़ी रसोई, बड़ा घर रखा होता तो तुम दोनों,आज नैनीताल के बोर्डिंग स्कूल में ना पढ़ती,,सात साल की थी दोनों तब से , आर्थिक परेशानियां झेलते हुए इतने मंहगे स्कूल में भेजे हैं,, क्यों कि पापा का बार बार ट्रान्सफर होता था, और हम उनके पीछे पीछे अपना भी ट्रान्सफर करके भागते थे,,

हाय,राम ये दिन देखने के लिए,,

ये सब सुनने के लिए,,


बेटी , वहीं से चिल्लाई,, पापा , देखिए,ना, मम्मी,हमसे खाना बनवा रहीं हैं,,, पापा जी ,झपट कर आए,, हमने तो जैसे बड़ा गुनाह कर दिया था,, क्या हुआ, क्यों उसे कुछ कह रही हो,,

हमने भी ताव देकर कहा,, खाना बनाए, कुछ सीखे, हमें भी थोड़ा आराम मिले,, ये सुनते ही पापा जी बिखर गए,,उनकी राजदुलारी,

जान से प्यारी बेटी जो थी, मेरी हिम्मत कैसे हुई,उसको कुछ कहने की,,,, क्या बनाना है,लाओ मैं बनाता हूं,,पर वो किचन में नहीं आयेगी, उसके हाथ, पैर जल गये,

कुछ उसने अपने ऊपर गिरा लिया,तो उसकी शादी कैसे होगी,,।  मैंने भी गुस्से में कहा,, आपने आज तक तो हमें एक कप

चाय भी बना कर नहीं दी,, मैं भी किसी की प्यारी बेटी हूं,, कल को ससुराल जायेगी तो सब यही कहेंगे, कि मां ने क्या सिखा कर भेजा,,आपको कोई नहीं कहेगा,, हां नहीं तो, बड़े आये,,किचन में नहीं जायेगी,, मैं पैर पटकते सब छोड़ कर चली आई,, और लेट गई,,टी,बी, चलाया, और देखते, देखते सो गई,,

बाप, बिटिया, दूसरे कमरे में थे,,

आधी रात को स्टोर रूम से भड़भडाने की आवाज आई,, मेरी नींद खुल गई, मैं चुप्पी साध कर सुनने लगी,,,हाय राम, क्या चोर घुसा है,,या चूहा, बिल्ली का खेल चल रहा है,, कुछ देर बाद हम डरते, डरते घिघियाये,,क,क, कौन है वहां,,, अंदर चुप्पी छा गई,,


मम्मी,हम हैं,, तुम,,,तुम इतनी रात को वहां क्या कर रही हो,,हम भाग कर गए, लाईट जलाई,देखा, बड़की बिटिया बड़ी बड़ी आंखों से आंसूओं की झड़ी लगाई खड़ी है,, बोली,, मम्मी,हम यहां रस्सी ढूंढ रहे हैं,, हमने उसे आश्चर्य से देखा और पूछा,, रस्सी , वो किसलिए,, वो हमसे लिपट गई,, फांसी लगाने के लिए,, हमें तो काटो तो खून नहीं,, बेटा, इतनी सी बात के लिए तुम ये क्या करने जा रही थी,, इतनी सी बात नही मम्मी, हमें पापा ने कहा कि मम्मी, गुस्सा होकर चली गई,चलो, कुछ बना लो,, हमने मना कर दिया तो हमें बहुत मारे हैं, देखिए, हमारे गाल पर,पीठ पर,,, मैंने देखा तो गालों पर पीठ पर उंगलियों के नीले , नीले निशान पड़े थे,, मैंने उसे गले से लगा लिया और हम दोनों रोने लगे,,उसको इन्होंने कभी कुछ नहीं कहा था,जो कहती, पूरा करते,,

मैंने इन्हें बुलाया और कहा कि इस तरह मारते हैं,  मेरा गुस्सा बेटी पर निकाले हो,, पापा ने माफी मांगते हुए चुप कराना चाहा तो, तो रोते हुए, गुस्से से हाथ झटक कर बोली, कि मम्मी, मुझे तो मरना ही है,,आप बताओ कि फांसी कैसे लगाते हैं,,लोग पंखे से इतने ऊपर कैसे पहुंच कर नीचे लटक जाते हैं,, मैंने तो बस पिक्चर में देखा है,,हम दोनों ने एक दूसरे को देखा, डरते हुए, फिर उसके भोलेपन पर खिलखिला कर हंसने लगे और प्यार से गले लगा कर समझाया,अब हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे,, सुबह हमने देखा, कि बाहर बगीचे में बाप, बिटिया बड़े प्यार से बातें करते हुए हंस रहे हैं,, जैसे कुछ हुआ ही नहीं,,

अब आप ये सवाल हमसे तो मत ही करियेगा,,,,अरे, इतनी बड़ी लड़की, बारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी, और फांसी लगाना नहीं जानती,,तो हमारा ज़बाब भी हम बता दें,,,वो बोर्डिंग स्कूल अपने नियम, कानूनों का बहुत ही पक्का और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध था,, उसके चारों तरफ़ विशाल ऊंची ऊंची दीवारें थी, बच्चों को बहुत ही अनुशासित ढंग से रखा जाता था, बच्चे दुनियादारी से दूर,आपस में बड़े ही प्रेम से रहते थे,, इसलिए इन तमाम बातों से उनका दूर,दूर का कोई नाता नहीं था, शरदावकाश में दो महीने घर आते, कुछ समय मनोरंजन करते और अगले सत्र की पढ़ाई में व्यस्त हो जाते,,

आज़ वहीं मेरी बेटी विदेश में घर गृहस्थी का सब काम करती है, अपनी बच्ची भी संभालती है,, और नौकरी भी करने जाती है,, अपने जीवन में बहुत सफल है,

पर आज भी हम कई बार उस फांसी की मजेदार वाकया को याद करके बहुत हंसते हैं,

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