मीठा पान – नीलिमा सिंघल

“बाबुजी ये लीजिए 200 रुपये पनीर बेसन आलू प्याज ले आना और हाँ,,धनिया मिर्ची भी ले आना,,इनके दोस्त आयेंगे तो पकौड़े बनाने हैं,,,” अलका अपने ससुर से बोली। 

निरंजन जी बोले, ” बेटा,,,खीर बनेगी इसीलिए दूध भी तो आएगा तो ज्यादा पैसे दे दो,,इतने मे नहीं आ आएगा “

“दूध,,,,,खीर,,आपका दिमाग तो खराब नहीं हो गया है,,,इतनी महंगाई हो रही है आपको चोंचले सूझ रहे हैं ” अलका चिड़ कर अंदर जाते हुए बोली। 

तभी उनकी 7 साल की पोती प्रिया आकर बोली, ” दादू,,खीर क्यूँ,,,क्या आज कुछ स्पेशल है “

“हाँ बेटा,,,आज तेरी दादी और मेरी शादी की सालगिरह है ,,हमेशा हर साल इस दिन तेरी दादी मेरे लिए खीर बनाती है और मैं उसके लिए मीठा पान लाता हूं “अपने भावों को छुपाते हुए निरंजन जी बोले। 

सब्जी मंडी जाकर सारा समान लिया देखा 25 रुपये ही बचे हैं,,,तो सब्जी वाले से बोले, “भैया,,, थोड़ा धनिया मिर्ची भी डाल दो जब इतनी सारी सब्जियों ली है तो “

सब्जी वाले ने थोड़ा धनिया मिर्च डाल दी।  फिर निरंजन जी पान वाले के पास गए और बोले, ” ओ बिहारी लाल,,मेरा  स्पेशल वाला मीठा पान लगा दो,,,”

बिहारी लाल ने कहा, “अरे निरंजन बाबु आप,,,

आपके विवाह की वर्षगांठ है आज इसका मतलब” और जल्दी से पान बना दिया,,,,

निरंजन जी ने पूछा “कितने पैसे हुए बिहारी “

“बाबुजी सभी के लिए 50,,,पर आपके लिये 35 रुपये ” पान लपेटते हुए बिहारी लाल ने कहा। 

“35,,,,,,पर मेरे पास तो अभी सिर्फ 25 ही हैं,,,,सोचते हुए निरंजन जी ने बिहारी लाल से कहा ” भई ,,बिहारी बहु ने पैसे तो दिए थे पर अपनी पसंद की इतनी सारी सब्जियां ले आया कि पैसे कम पड़ गए,,अभी तुम ये 25 रुपए रखो 10 मैं बाद मे दे जाऊँगा “

बिहारी लाल ने कहा, ” अरे क्या बात कर दी आपने निरंजन बाबु,,,,मुझे याद है सालों पहले जब मेरी किसी ने मदद नहीं की थी, तब आपने मुझे 5000 रुपये दिए थे,,,जिससे मैंने ये दुकान खरीदी और अपने बच्चे की फीस दी थी,,,,,,आपने मुझसे कभी पैसे वापस नहीं मांगे ना ही कभी तकादा किया,,मुझसे जैसे भी जब भी जितना भी बन पड़ता था,,मैं आपको पैसे पहुंचा देता था यहां तक कि आपने मुझसे 1 रुपया भी ज्यादा नहीं लिया था,,,,,आप पान आज मेरी तरफ से ले जाओ “

निरंजन जी ने पैसे वापस उसको पकड़ाए और मुस्कराते हुए चल दिये।।

पीछे पान वाले ने ईश्वर की मूर्ति की तरफ देखते हुए कहा, “हे परमात्मा कहते हैं कि अच्छे कर्मों का फल अच्छा ही मिलता है,,,,पर निरंजन बाबु को उनकी औलाद के रूप मे कैसा फल मिला है “

निरंजन जी घर आए सारा समान बहु को दिया और अपनी पत्नि कौशल्या के पास आए और उसको पान देते हुए बोले, ” विवाह की वर्षगांठ बहुत-बहुत मुबारक हो “




कौशल्या जी ने पान देखकर कहा, ” सब भूल जाते हैं पर आपको हमेशा याद रहता है,,,पर क्यूँ ले आए आप,,,,,,”

“पान खाते खाते उसकी लाली लगे होंठो से जब बोलती हो मुझे बड़ा अच्छा लगता है,,,पहले तो महीने मे 4-5 बार ले आता था पर 4 साल पहले जबसे रिटायर्ड हुआ हूं तब से बस इसी दिन ही तो ला पाता हूं ” निरंजन जी थोड़ा दुखी होते हुए बोले। 

“पर आप सब्जी वगैरा मत लाया कीजिए,,कभी लाए हो जो अब लाना शुरू कर दिया ” पान खाते हुए कौशल्या जी ने कहा। 

“पहले ऑफिस जाता था,,तो खाना पच जाता था पर अब खाना पचाने के लिए ये काम कर देता हूं ” अपने मनोभाव छुपाते हुए निरंजन जी ने कहा। 

“पर,,,पहले मैं आपको फल मेवे दूध खीर सब देती थी,,पर अब तो गिन कर खाना मिलता है जिसको क्या पचाना ” आँखों की नमी छुपाते हुए कौशल्या जी ने कहा। 

निरंजन जी कुछ कहना ही चाहते थे कि दनदनाती  हुई अलका उनके कमरे मे आयी और बोली “आपको खास धनिया मिर्ची लाने को बोला था,,ये क्या लेकर आए हों,,,,,,,तभी सास पर नजर पड़ी तो गुस्से मे बोली, ” ओहो तो यहां शौक पूरे किए जा रहे हैं,,,शर्म नहीं आती आपको घर मे चोरी करते हुए “

“चोरी,,,कैसी चोरी “”””””,,,,,,,,निरंजन जी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि बाहर से उनके बेटे की आवाज आयी, ” अलका ,,ऑफिस से थका हुआ आता हूं,,,और तुम्हें सिर्फ कलह करनी होती है “

“मैं कोई कलह नहीं कर रही हूं,,तुम्हारे पापा मम्मी को इस उम्र मे शौक पूरे करने हैं उसके लिए घर मे चोरी तक शुरू कर दी है “अलका चिल्लाते हुए बोली। 

“क्या पापा,,,जो मिलता है उसमे खुश क्यूँ नहीं रह सकते,,,इतनी महंगाई हो रही है सारा दिन की थकन और आप लोगों के नखरे ” रूपेश झुँझलाया निरंजन जी कुछ कहना चाहते थे पर कौशल्या जी ने रोक लिया। 

तभी प्रिया बाहर से फूल घास सब जोड़कर एक छोटा सा बुके बनाकर लायी और दादा दादी को देकर “हैप्पी एनिवर्सरी “बोला। 




बेटे बहु उनके कमरे से निकल गए। 

प्रिया रात को अपने मम्मी पापा के पास आयी और बोली, “मम्मी पापा,,जब मैं बड़ी हो जाऊँगी तो क्या आप मेरे बिना अपने सब खास दिन मना लिया करोगे “

अलका हँसकर बोली, ” नहीं रे लाडो, ऐसा कैसे सोच लिया हमारा हर दिन तेरे साथ ही मनेगा “

“पर मम्मी,,मैं तो आपके साथ नहीं रहा करूंगी,,,जैसे आप दोनों ने दादू दादी के साथ किया ” प्रिया ने अपने पापा को देखते हुए कहा। 

” चल बताती हूं तुझे,,,,हम पर गुस्सा करेगी “कहते हुए अलका प्रिया को उसके कमरे मे बंद करके आ गयी और आते ही रूपेश से बोली, ” देख रहे हों,,तुम्हारे मम्मी पापा क्या क्या सिखा रहे हैं प्रिया को “

देखा तो रूपेश सो चुका था,,,अगला दिन भी बीत गया शाम हुई सब खाना खाने बैठे रूपेश की थाली मे 3 तरह की सब्जी रोटी रायता था,,,पर निरंजन जी और कौशल्या जी की थाली मे थोड़ी सी दाल और 2-2 रोटियां थी,,,,निरंजन जी चुपचाप देखते रहे और खाना खाकर अपने कमरे मे आ गए,,,नींद कोसों दूर थी,,,,,,,सुबह तक उनके चेहरे पर एक संतोष की मुस्कान आ गयी थी। 

शाम को जब रूपेश घर आया तो निरंजन जी ने कहा, ” रूपेश,,मेरे बैंक और घर के काग़ज़ मुझे वापस कर दो,,”कौशल्या जी ने उन्हें रोकना चाहा पर निरंजन जी ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया। 

“अब ये क्या नया तमाशा है पापा ” रूपेश की झल्लाहट उसकी आवाज मे थी। 

“कोई तमाशा नहीं है,,,मैं अपने काम अब खुद करूंगा,,,,इतना बूढ़ा नहीं हुआ और ना ही बनना चाहता हूं,,,इसीलिए जाओ और मेरे सभी काग़ज़ अभी मेरे पास लाओ ” निरंजन जी ने आदेशात्मक आवाज मे बोला। 

रूपेश गया और घर के काग़ज़ ,,बैंक के काग़ज़, पासबुक चेक बुक  सब लाकर दे दी। 

अगली सुबह निरंजन जी तैयार होकर बाहर जाने लगे तो रूपेश ने कहा, “आप कहां चल दिये सुबह सुबह,,क्या आज से पहले आपके काम नहीं होते थे,,जैसा चल रहा है उसको चलने दो,,,,क्यूँ बात बढ़ाए जा रहे हो “




“बात बढ़ चुकी है बेटा,,,,,,पर मैं अपने सारे काम अब खुद करूंगा,,,ये मेरा फैसला है ” बोलते हुए निरंजन जी घर से निकल गए। 

2 बज गए पर निरंजन ji ब तक नहीं आए थे,,,कौशल्या जी को बहुत चिंता हो रही थी शाम को 5 बजे निरंजन जी घर आए,,,बहुत सारा समान लाए थे,,,,

आते ही कौशल्या जी को सारा समान देते हुए  बोले,,”” जल्दी से अपनी वाली खीर बनाओ बल्कि उससे भी अच्छी,,क्यूंकि सिखने की कोई उम्र नहीं होती “

कौशल्या जी ने कहा, ” बात क्या है,,,इतने खुश क्यूँ हो,,,और इतना सारा समान “

“बस,,बस,,बस,,कितने सवाल करोगी कौशल्या,,,

सब बताऊँगा,,,रूपेश को आने दो,,तुम जाकर खीर बनाओ,,,,””बहुत शांत आवाज मे निरंजन जी ने बोला ।

अलका बड़बड़ाती रही,,पर निरंजन जी सब अनसुना करते रहे। 

8 बजे रूपेश आया तो भागकर अलका ने शाम वालीं बात रूपेश को बताई,,,

रूपेश बाहर आया तो ड्रॉइंग रूम मे एक पैर के ऊपर दूसरा पैर चढ़ाए निरंजन जी बैठे थे,,बिल्कुल 4 साल पहले की तरह,,उनको ऐसा बैठे देखकर पत्नि की बातों मे आया रूपेश बोला,,”क्या पापा,,कोई भी आता जाता है,,आप यहां ऐसे कैसे बैठ सकते हैं जाइए अपने कमरे मे जाइए कल से नया नाटक कर रखा है “

निरंजन जी ने बहुत शांत किन्तु तेज आवाज मे बोला,,” रूपेश ये घर,,,ये सोफा मेरा है,,,,घर की शांति के लिए,,बहुत मौन रहा,,,,तुम्हें जैसा रहना था वैसा हमने तुम्हें रखा,,,तुम्हें ज्यादा खाना चाहिए होता था तो तुम्हारी यही माँ अपनी थाली से रोटी उठाकर तुम्हें देती थी,,,आज जिसकी थाली मे तुम गिन गिन कर रोटी डालते हो,,,मुझे और अपनी माँ को घर मे काम वाला बनाकर रख दिया,,,पर बस अब और नहीं,,,,,,,,,”

” ये घर मेरा है,,तुम्हें रहना है तो ऊपर वाले 2 कमरे तुम ले सकते हो,,,पर उनके लिये या तो तुम्हें 20000 रुपये किराया देना होगा,,,,,या फिर घर का खर्च और साथ ही तुम्हारी पत्नि अलका घर का सारा काम करेगी,,,,,तुम्हारी माँ कोई काम नहीं करेगी “निरंजन जी ने गहरी सांस लेते हुए अपना फैसला सुनाया। 

कौशल्या जी ने अपने पति को रोकना चाहा क्यूंकि ममता हावी थी,,,,,,,,,,,,,,,,पर निरंजन ने उन्हें चुप करते हुए कहा,,”कौशल्या मैंने बहुत सोच समझकर ये फैसला लिया है,,अब अगर तुम्हारी खीर बन गयी हो ले आओ,,,”




कौशल्या खीर ले आयी तो निरंजन जी अपनी जेब से एक मीठा पान निकाला और उन्हें दिया,,,मीठा पान देखकर कौशल्या जी की आँखों की नमी निरंजन जी से छुप ना सकीं,,,,निरंजन जी ने कहा,,” हम इतने कमजोर नहीं है कौशल्या कि अपनी बेज्जती करवाते रहे,,अपने बेटे के सपने हम दोनों ने पूरे कराए पर बदले मे इतनी बेइज्जती,,,यहां तक कि साथ बैठ कर खाने की थालियों मे भी फर्क,,,,,,”

कौशल्या जी को समझ आ गया कि ममता अपनी जगह है और आत्मसम्मान अपनी जगह। 

उधर कमरे मे जाकर अलका ने कहा, “रूपेश,,हमे यहां से चले जाना चाहिए,,कहीं और किराए पर रहेंगे “

“कहीं और,,,,,,तुम्हारा दिमाग खराब है बाहर 25k से 30k तक किराया होगा बाकी खर्चे भी होंगे,,हमे यहीं रहना है,,,यहां कम से कम किराया नहीं देना होगा,,घर के काम तुम कर देना और घर का खर्च मैं दे दिया करूंगा “

मन मसोस कर अलका मान गयी,,

दोनों ऊपर के 2 कमरों मे शिफ्ट हो गए,,,

प्रिया अब भी ज्यादा समय अपने दादू और दादी के साथ गुजारती थी। 

अब निरंजन जी ने अपनी वसीयत भी बना ली जिसमें आधी जायदाद वृद्धाश्रम और आधी प्रिया के नाम कर दी। 

अब कौशल्या जी के लिए फिर से महीने मे 3-4 बार मीठा पान आने लगा था ।

इतिश्री 

#जिम्मेदारी 

नीलिमा सिंघल

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