मौत – बेला पुनिवाला

मौत दरवाज़े पे दस्तक दे रही है, में अपने  बिस्तर पे लेटा  हुआ था, मौत ने कहा, ” तेरा वक़्त आ चूका है तू चल मेरे साथ। “

     पहले तो मुझे लगा, कि कोई सपना होगा, फ़िर दूसरी बार फ़िर से आवाज़ आई, ” तेरा वक़्त ख़तम हुआ, तू चल मेरे साथ।” मैंने पलट के देखा, तो मैं डर ही गया, सच में मेरे सामने मौत खड़ी थी। मैंने उससे कहा, कि अभी नहीं अभी तो मुझ पे बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ है, ऐसे में कैसे मैं  चला आऊँ तेरे साथ ? अभी तो मेरे लड़के का अच्छे से हॉस्टल में एड्मिशन कराना है, उसके लिए मैंने बहुत कुछ सोच भी रखा है, पापा के घुटनों का ऑपरेशन कराना है, मेरी बहन की शादी भी करवानी है, अभी तो मुझे एक बड़ा सा नया घर भी खरीदना है, जिसकी प्लानिंग मैंने शुरू भी कर दी है, मुझे बहुत बड़ा business man बनना है, यही तो मेरा सपना है, अगर मैं ऐसे ही  चला गया, तो मेरे घर का, मेरे पापा, बहन, बीवी और लड़के का क्या होगा ? वो ये सब मेरे बगैर कैसे सँभालेंगे ?

      मौत ने कहा, की ” ये सब मैं नहीं जानता, तेरा वक़्त आ चूका है, अब तू देर ना कर, तू चल मेरे साथ।”

       मैंने फिर से मौत से मिन्नतें की, ” मुझे सिर्फ २ दिन और देदो, उसके बाद मैं आपके साथ चला आऊँगा, ये मेरा वादा रहा, और मैं अपने वादे से मुकरता नहीं, मुझे एक बार सब से मिलना है, मेरे पास जो भी बैंक बैलेंस और प्रॉपर्टी है वो सब मैं मेरे वकील से मिल के मेरे परिवार को देना चाहता हूँ, ताकि मेरे जाने के बाद मेरे परिवारवालों को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। महेरबानी करके मुझे सिर्फ 2 दिन का वक़्त दे दीजिए। 

        मौत ने कहा, कि ” क्या तुम्हें सच में लगता है, की सिर्फ 2 दिन में तुम ये सब कर पाओगे ?”

      मैंने कहा, ” हाँ, ज़रूर कर लूँगा। “


    इस बार मौतने उसकी बात मान ली, और कहा, कि  अच्छा चलो, अगर तेरी यही ज़िद्द है, तो यही सही, मगर दो दिन के बाद जब मैं तुझे लेने आऊँगा, तब तू मना मत करना, तुझे मेरे साथ आना ही होगा। इस से ज़्यादा वक़्त मैं तुम्हें नहीं दे सकता। इतना कहकर मौत वहाँ से चली गई।

      मौत के जाने के बाद मैं सोचने लगा, कि ” मेरे पास तो सिर्फ दो दिन है, इन दो दिनों में मुझे बहुत कुछ करना है, जिस से की मेरे जाने के बाद घर में किसी को कोई तकलीफ ना रहे।”

       उस दिन सुबह मैं जल्दी उठ गया और सोचा पहले मंदिर के लिए निकलता हूँ, बाद में बैंक चला जाऊँगा, उस के बाद वकील के पास प्रॉपर्टी के कागज़ात बनवाने चला जाऊँगा ।

     मंदिर जाके मैंने प्रार्थना की, ” है भगवान, तू तो मेरी हालत जानता ही है और मैं अपने परिवार वालों से बहुत प्यार करता हूँ। उन सब को मैं परेशानी में नहीं देख सकता। मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूँ, कि मेरे जाने के बाद भी उनको कोई तकलीफ ना हो और वह लोग अपनी ज़िंदगी आराम से जी सके। तो दो दिन में कुछ ऐसा कर दे जिस से की मेरी और मेरे परिवारवालों की सारी परेशानियाँ दूर हो जाए। उसके बाद तेरे पास मैं हस्ते-हस्ते चला आऊँगा।

      इतना कहकर मैं जब मंदिर से बाहर जाने के लिए निकला तो पहले तो मेरे जुटे चोरी हो गए, ऑटो में बैठकर बैंक तक पहोचा, तब ऑटोवाले को पैसा देने के लिए जैसे ही मैंने अपनी जेब में हाथ डाला, तो मेरा बटवा गायब था, मतलब कि मेरा बटवा भी चोरी हो गया है, ऑटो वाले को समझा कर कहा, ” मेरा बटवा चोरी हो गया है या तो कहीं गिर गया लगता है, आप रुको मैं बैंक से पैसे लेकर आता हूँ।” बैंक गया तो पता चला की आज तो आख़री saturday है और कल sunday. मतलब की दो दिन तो बैंक बंध ही रहेगा। ” मैंने क्या सोचा था और क्या हो गया।” मैंने भगवान् से माँगा था, कि ” मेरी हर परेशानी दूर कर दे, ये तो उस ने मेरी परेशानियाँ और बढ़ा दी। ” अब में क्या करु ? वही ऑटो में बैठ के वापिस घर के लिए निकला,         

      तो रास्ते में मैंने अपने लड़के को चौराहे पे पान की लारी पे कुछ लड़कों के साथ सिगारेट फूँकते हुए देखा, मैंने तुरंत ही उसके पास जाकर उसे ऐसा करने से रोका, मगर उल्टा उसने मुझे सब के सामने पलट के जवाब दे दिया, कि ” ये मेरी लाइफ है, मैं जो चाहे करू, आपको इस से क्या ? आप अपने काम से काम रखिऐ।” मैंने अपने ही खून से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं की थी,

       मैंने अपने बेटे के बारे में क्या-क्या नहीं सोचा था मगर उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा दिल ही टूट गया,  अभी इसके साथ और बातें करना बेवकूफ़ी होगी, ये सोच, मैं उसे वही छोड़ ऑटो में अपने घर चला गया। बीवी से पैसे लेकर मैंने ऑटोवाले को उसका पैसा दिया और  उसे जाने दिया। मैंने घर में किसी को मौत के बारे में कुछ नहीं बताया था, क्योंकि में घर में किसी को दुःखी  कर के नहीं जाना चाहता था।

      इसी सब चक्कर में आधा दिन तो गुज़र गया,  मुसीबत कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही थी, फ़िर  भी मैंने हिम्मत ना हारी।

       घर जाते ही पता चला, कि मेरी बहन जिसकी शादी के बारे में मैं सोच रहा था, वह घर पे चिठ्ठी छोड़कर चली गई थी, उस चिठ्ठी में लिखा था, कि ” मैं एक लड़के से प्यार करती हूँ, मगर  शायद आप  सब इस शादी के लिए राज़ी नहीं होंगे, इसलिए मैं उस लड़के के साथ भाग के शादी कर रही हूँ, हो सके तो मुझे ढूँढने की कोशिष  मत करना, मैं उसके साथ बहुत खुश रहूँगी। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना। “


      मैं मन ही मन बोला, की ” ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ ? जिनसे मैं इतना प्यार करता हूँ, जिनकी मैं इतनी परवाह करता हूँ, वहीं मेरे अपने एक के बाद एक जैसे मुझे छोड़ के जा रहे है। इन्ही सब चक्कर में शाम हो गई, और मैंने जो सोचा था, उस में से मैं कुछ भी ना कर पाया, मेरी परेशानियाँ तो बढ़ती ही जा रही है।”

     उसी रात को मेरे पापा को हार्ट अटैक आया, उनको अस्पताल ले जाए उससे पहले तो वो चल बसे, दूसरा  दिन भी पापा के अंतिम संस्कार की विधि में निकल गया। रात को मेरी बीवी चुपके से किसी ओर से मोबाइल पे बातें  कर रही थी, ये सब देख मुझे बड़ा दुःख हुआ।

     एक बार मेरे दिल से ये आवाज़ निकली कि,” ये सब देखने से पहले में मर क्यों नहीं गया ? मुझे मेरी मौत याद आ गई, कि शायद दो दिन पहले अगर में चला गया होता, तो मुझे इतना दुःख नहीं  होता, जितना की आज हो रहा है, जिन परिवारवालों की मुझे परवाह थी, उन्ही ने मेरा साथ छोड़ दिया, तो अब में किस के लिए यहांँ रुकू ? मैंने अपनी आपबीती एक डायरी में लिख दी।

      उस रात मेरी समझ में एक बात आ गई, कि  ” ऊपरवाला जो वक़्त हमारे लिए तय करता है, वो सही ही होता है, उस में हम कुछ नहीं कर सकते। इसलिए अगर उस दिन में चला गया होता, तो मुझे अपने परिवारवालों का ऐसा रूप देखने को नहीं मिलता, जिसकी में इतनी परवाह करता था मगर आज में अपने दिल पे एक बोझ लेकर जा रहा हूँ।”

     तो दोस्तों, आज ये लिख कर मेरी भी समझ में ये बात आ गई है, कि ” ऊपरवाला जो वक़्त हमारे लिए तय करता है, वो सही ही होता है, उस में हम कुछ नहीं कर सकते।” उसने हमारा आने और जाने का वक़्त कुछ सोच समझकर ही रखा होगा, उस में हमें दखल अंदाज़ी करने की कोई ज़रूरत नहीं। उसकी मर्ज़ी के बिना हम कुछ नहीं कर सकते, इसलिए जब भी उसका बुलावा आए, तब बिना डरे मौत का हाथ पकड़ने में ही समझदारी  है।

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