मातृत्व का अपमान – अर्चना कोहली “अर्चि”

“बेटा! यह अंकित अंकल की बड़ी बेटी पायल की तसवीर है। बहुत ही संस्कारी और सुशील है। हिंदू कॉलेज में प्रोफ़ेसर है। हमें तो पसंद है। अगर तुम्हें पसंद हो तो बात चलायें”। रमा ने पीयूष से कहा।

“कितनी बार कहा है, मेरे कमरे में न आया कीजिए। तसवीर को बिना देखे ही पीयूष गुस्से से बोला”।

रमा ठगी-सी वहीं खड़ी यह सोचने लगी,  आजकल पीयूष को क्या हो गया है? उससे इस तरह से बात क्यों करने लगा है कि अचानक पीयूष ज़ोर से चिल्लाया, “कहा न, जाइए यहाँ से। कहीं ऐसा न हो, कुछ गलत बोल दूं”।

“लेकिन बेटा! हुआ क्या है? ऐसा मैंने क्या कह दिया। आजकल तुम मुझसे उखड़े-उखड़े क्यों रहते हो”? माँ से भला कोई इस तरह से बात करता है, रमा ने भरे गले से कहा।

“आपको तो कोई काम नहीं है, सिवाय बहस के” कहकर बड़बड़ाते हुए पीयूष चुपचाप कंधी करने लगा।

रमा हारे हुए खिलाड़ी की तरह थके कदमों से कमरे से बाहर की ओर चल पड़ी। उसे समझ नहीं आ रहा था, आखिर पीयूष उससे इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहा है!

रमा मयंक की दूसरी पत्नी थी। मयंक की पहली पत्नी विभा बहुत ही आधुनिक विचारों की लड़की थी। उसने शादी के दो साल बाद ही आपसी सहमति से मयंक से तलाक ले लिया था। तलाक के बाद वह अपने किसी सहकर्मी के साथ रहने चली गई थी। उस समय पीयूष की उम्र मात्र एक साल की थी। उसने पीयूष की कस्टडी भी मयंक को दे दी थी।

घरवालों ने मयंक से दूसरा विवाह करने के लिए कहा। पहले तो उसने मना कर दिया। विभा के दिए धोखे के कारण वह शादी ही नहीं करना चाहता था। फिर छोटे से पीयूष की खातिर मान गया। आखिर बच्चों को माँ-पिता दोनों का प्यार चाहिए होता है। बहुत खोजबीन के पश्चात उसने रमा को अपनी जीवनसंगिनी के रूप में चुना। रमा बहुत ही सुशील, संस्कारी और मितभाषी थी।

रमा भी एक तलाकशुदा थी। संतान न होने के कारण उसके पति ने उसे छोड़ दिया था, जबकि संतान न होने में उसका नहीं पति का दोष था।

रमा एक स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत थी। उसके बारे में मयंक को एक पुराने मित्र की पत्नी के माध्यम से पता चला था।


रमा ने अपने अच्छे व्यवहार के कारण शीघ्र ही  सबका मन जीत लिया। शादी के बाद उसने पीयूष की अच्छी परवरिश की खातिर नौकरी भी छोड़ दी। पीयूष को उसने एक पल के लिए भी यह अहसास नहीं होने दिया, उससे उसका कोई रिश्ता ही नहीं है।  पीयूष की खातिर ही रमा ने कभी भी माँ न बनने का कठोर निर्णय कर लिया, ताकि कभी भी पीयूष को यह न लगे, उसका प्यार बंट गया है।

इधर कुछ समय से पीयूष का बदला व्यवहार मयंक और बाकी घरवालों को भी नज़र रहा था। मयंक ने इस बारे में जब भी पीयूष से बात करनी चाही, रमा ने यह कहकर मना कर दिया, शायद ऑफिस की कोई समस्या होगी। मैं उसे समझा दूंगी। आप चिंता न करे, पर आज रमा की भरी आँखों और पीयूष के कड़वे बोल ने बता दिया, कुछ भी सही नहीं है।

मयंक इसे सहन न कर सके और रमा के मना करने पर भी उसका हाथ पकड़कर पीयूष के कमरे की और बढ़े। पीछे-पीछे मयंक की माँ भी उनके साथ चल पड़ी।

कमरे में घुसते ही तेज़ आवाज में मयंक ने पीयूष से कहा, “पीयूष यह क्या चल रहा है। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपनी माँ का अपमान करने की। अभी के अभी माफ़ी माँगो”।

“किस बात की माफ़ी! ये औरत मेरी माँ नहीं है। सिर्फ़ आपकी पत्नी है। मेरी माँ को तो इस औरत की खातिर आपने घर से निकाल दिया। मुझे भी उनके प्यार से वंचित कर दिया”।

“क्या बोल रहे हो! होश में तो हो”! पीयूष की दादी हैरानी से बोली।

आप सभी मिले हुए हैं। क्यों किया ऐसा”!

“किसने जहर भरा है दिमाग में तेरे”! रमा बोली।

“आप तो चुप ही रहो”, पीयूष गुस्से से चिल्लाया।

“चुप तुम रहो। रमा की बात का जवाब दो। मुझे भी जानना है, किसने तेरे दिमाग में ज़हर भरा है”।

किसी ने नहीं। मेरी विभा माँ ने बताया है। अब मैं उनके साथ ही रहूँगा”।

“विभा ने! उसे कैसे पता, तू उसका बेटा है”। मयंक ने हैरानी से पूछा।


माँ ने मेरे बारे में सब पता किया। फिर मुझसे कुछ दिन पहले ऑफिस में मिलने आई, पीयूष ने कहा। उन्होंने कहा, पहले भी मिलने आई थी, पर किसी ने मिलने ही नहीं दिया।

“कब मिलने आई थी, ज़रा हमें भी तो पता चले। वो झूठ बोल रही है। ताकि हमें तुम्हारी नज़रों से गिरा सके। बड़ी अच्छी योजना बनाई है, तुझे ले जाने की। जाना है तो जाओ, पर अपनी उस माँ का सच तो जान लो”, मयंक ने व्यंग्य से कहा।

“कौन सा सच”?

“उस समय कहाँ थी तुम्हारी विभा माँ, जब तुझे किसी और के लिए छोड़ दिया था। क्यों तलाक के समय अपने साथ लेकर नहीं लेकर गई! क्यों तेरी कस्टडी मुझे सौंप दी। क्यों, आज तक तुझ पर अपना हक नहीं जमाया। जानते हो क्यों? अब वह बूढ़ी हो रही है। उसे तेरी ज़रूरत है। इसलिए•••”

पीयूष को चुप देखकर मयंक ने आगे कहा, “उसकी बातों में आकर तूने रमा के मातृत्व का अपमान किया है। मेरी पत्नी का, इस घर की बहू का अपमान किया है”।

“तेरे पिताजी सही कह रहे हैं। तेरी माँ तो जाते समय सब गहने और पैसे भी लेकर गई थी। पता है तुझे, तेरी इस माँ ने तेरे लिए ही माँ न बनने का निर्णय  किया। ताकि कहीं तेरे प्रति व्यवहार में कुछ परिवर्तन न आ जाए और तू•••”

“आप झूठ बोल रही हैं न दादी”!

“हाँ भई सब झूठ बोल रहे हैं। सच की मूरत तो वो है जो तुझे बचपन में ही छोड़ गई। अगर वो सच्ची है, तो घर आकर बात करे। छिप-छिप कर क्यों मिलती है। इतने सालों तक क्यों नहीं मिलने आई। आज पच्चीस साल बाद ही क्यों तेरे बारे में खोजबीन की। अगर अभी भी विश्वास नहीं तो जा सकते हो उसके पास”, कहकर मयंक रमा का हाथ पकड़कर कमरे के बाहर जाने लगे।

“मुझे माफ़ कर दीजिए, कहकर पीयूष ने माँ के चरण पकड़ लिए और बोला, मैंने आपका बहुत अपमान किया है। हो सके तो माँ मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं बहक गया था”।

“माफ़ किया, पर मेरी भी एक शर्त है”। रमा ने उसे उठाते हुए कहा।

“आपके लिए सब मंजूर है माँ। क्या शर्त है”?

“सिर्फ़ यही कि एक बार पायल की तसवीर देखकर बता दे, तुझे पसंद है या नहीं”, रमा ने हँसते हुए उसकी पीठ पर चपत लगाते हुए कहा।

#अपमान 

अर्चना कोहली “अर्चि”

नोएडा (उत्तर प्रदेश)

मौलिक और स्वरचित

betiyan(M)

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